मोदी ने नाम नहीं लिया, नीतीश ने आयोग नहीं दिया; उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में चुनाव से पहले बेचैनी
उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो में बेचैनी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने बिक्रमगंज की रैली में कुशवाहा का नाम नहीं लिया तो सीएम नीतीश कुमार ने रालोमो के किसी नेता को अब तक आयोग में जगह नहीं दी है।

राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बेचैनी बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 मई को उपेंद्र कुशवाहा की लोकसभा सीट काराकाट के बिक्रमगंज में ही रैली की थी, लेकिन अपने संबोधन में उन्होंने कुशवाहा का नाम नहीं लिया। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने पिछले दो-तीन दिनों में बहुत सारे आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की है, लेकिन उसमें रालोमो के किसी नेता का नंबर नहीं आया है। लोजपा-आर और हम कोटे से चिराग पासवान के बहनोई और जीतनराम मांझी के दामाद को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद मिल गया है।
पीएम मोदी का सरकारी कार्यक्रम था, जिसमें उन्होंने लगभग 50 हजार करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। मंच पर पहली कतार में पीएम मोदी की दाईं तरफ राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी, गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, राज भूषण चौधरी, डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा, राज्य के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, प्रेम कुमार, सांसद संजय जायसवाल बिठाए गए थे। पीएम मोदी की बाईं तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री ललन सिंह, चिराग पासवान, सतीश चंद्र दुबे, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपेंद्र कुशवाहा और विजय चौधरी बैठे थे।
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पीएम मोदी ने जनसभा में जब अपना भाषण शुरू किया तो उन्होंने जनता का अभिवादन करने के बाद राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और दोनों डिप्टी सीएम का ही नाम लिया और फिर अन्य मंत्री और जनप्रतिनिधिगण बोलकर आगे की बातें करने लगे। अनुमान है कि सरकारी कार्यक्रम में होने की वजह से पीएम मोदी ने राज्यपाल से लेकर डिप्टी सीएम तक का ही नाम लिया। बिक्रमगंज काराकाट लोकसभा का हिस्सा है और लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की यहां हार को इलाके में एनडीए की पराजय से जोड़कर देखा गया था। इसलिए सभा में पीएम मोदी द्वारा उपेंद्र कुशवाहा का नाम नहीं लेने को लेकर सासाराम से पटना तक चर्चा हो रही है।
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आपको याद दिला दें कि काराकाट से भाजपा से जुड़े रहे भोजपुरी स्टार पवन सिंह निर्दलीय लड़े थे और दूसरे नंबर पर रहे। सीपीआई-माले के राजाराम सिंह कुशवाहा जीतकर संसद पहुंच गए। बिहार में कोइरी जाति के बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा तीसरे नंबर पर चले गए। तब कुशवाहा ने कहा था कि पवन फैक्टर बने या बनाए गए, ये सबको पता है। समर्थकों ने भाजपा के एक बड़े कुशवाहा नेता को सूत्रधार माना। पीएम मोदी जब जनसभा में आए थे तो खुली जीप पर नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी उनके साथ सवार थे।
छह आयोग का गठन हो गया लेकिन रालोमो नेताओं की बारी नहीं आई
पीएम मोदी के नाम ना लेने का उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में विश्लेषण चल ही रहा था कि नीतीश कुमार की सरकार ने एक के बाद एक छह आयोगों का गठन कर दिया। जेडीयू, बीजेपी, लोजपा-आर और हम के नेता आयोग में सेट हो गए लेकिन कुशवाहा की पार्टी के किसी नेता का नंबर नहीं आया। रालोमो नेता इसके बाद से बेचैन हैं। विधानसभा चुनाव में तीन-चार महीने ही बचे हैं लेकिन पार्टी के नेता इसमें संकेत और संयोग खोजने लगे हैं। एक-दो और आयोग बचे हैं, अगर उसमें भी नंबर नहीं आया तो रालोमो में गंभीर चिंतन का दौर शुरू हो सकता है।
मृणाल अध्यक्ष, देवेंद्र उपाध्यक्ष; एससी कमीशन में चिराग पासवान के बहनोई और मांझी के दामाद सेट
अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष जेडीयू के गुलाम रसूल बलियावी और उपाध्यक्ष जेडीयू के उमर नूरानी और भाजपा के लखविंदर सिंह लक्खा को बनाया गया है। भाजपा के महाचंद्र प्रसाद सिंह को सवर्ण आयोग का अध्यक्ष जबकि जेडीयू के राजीव रंजन प्रसाद को उपाध्यक्ष का पद मिला है। अनुसूचित जनजाति (एसटी/आदिवासी) आयोग का अध्यक्ष भाजपा के शैलेंद्र कुमार गढ़वाल और उपाध्यक्ष जेडीयू के सुरेद्र उरांव को मनोनीत किया गया है।
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जेडीयू नेता मनोज कुमार ऋषि को महादलित आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। भाजपा के ललन सहनी मछुआरा आयोग के अध्यक्ष और जेडीयू के अजीत चौधरी उपाध्यक्ष बने हैं। अनुसूचित जाति (एससी) आयोग में धनंजय पासवान उर्फ मृणाल पासवान को अध्यक्ष और देवेंद्र कुमार मांझी को उपाध्यक्ष बनाया गया है। धनंजय रामविलास पासवान की पहली पत्नी के दामाद और चिराग के बहनोई हैं। वो लोजपा-आर के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। उपाध्यक्ष बने देवेंद्र केंद्रीय मंत्री और हम नेता जीतनराम मांझी के दामाद हैं।
