पीएमसीएच में पढ़े छात्रों की इंग्लैंड-अमेरिका में थी नौकरी की गारंटी
1925 में स्थापित पीएमसीएच ने चिकित्सा क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। यहां से पढ़े चिकित्सक दुनिया भर में काम कर रहे हैं। कोविड काल में डॉ. आशीष झा व्हाइट हाउस में सलाहकार रहे। अन्य चिकित्सकों ने भी...
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1925 में स्थापना के कुछ ही वर्षों बाद पीएमसीएच की ख्याति एक उत्कृष्ट मेडिकल संस्थान के रूप में फैल गई। मरीजों की भारी भीड़ ना सिर्फ देशभर के शहरों से होने लगी, बल्कि नेपाल, म्यांमार (वर्मा), भूटान, ढाका आदि जगहों से भी मरीज यहां इलाज के लिए पहुंचने लगे। 1932 से ही कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज शुरू हो गया। स्त्री रोग, मेडिसिन, सर्जरी, हड्डी रोग, रेडियोलॉजी के क्षेत्र में इसकी पहचान विदेशों तक फैल गई। नित्य नए शोध, इलाज की नई तकनीक के कारण सामान्य से लेकर विशेष दर्जा प्राप्त लोग भी यहां इलाज कराने आने लगे। महान हस्तियों में सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फर खां, महात्मा गांधी की पोती, भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह भी यहां इलाज करा चुके हैं।
1960-65 बैच के छात्र रहे चिकित्सक डॉ. बीबी सिन्हा ने बताया कि पीजी की बात तो छोड़ दीजिए यहां एमबीबीएस पढ़नेवाले छात्रों की इंग्लैंड-अमेरिका, कनाडा, कतर, सऊदी अरब जैसे देशों में नौकरी की गारंटी थी। एक समय तो इंग्लैंड के इलाज व्यवस्था में यहां पढ़े भारतीय चिकित्सकों को आंखों पर बिठाकर रखा जाता था। शुरुआती बैच में मेडिसिन और गायनी के डॉक्टरों को एक से बढ़कर एक ऑफर स्कॉलरशिप के माध्यम से दिया जाता था। एक-एक बैच में 20 से 30 छात्र यूरोपीय देशों में पहुंच जाते थे। 1960 -65 के बाद इंग्लैंड जानेवाले प्रमुख चिकित्सकों में डॉ. धर्मेंद्र त्रिपाठी, डॉ. रामरमन दत्त, डॉ. अरुण सिंह, डॉ. प्रेमशील आहूजा, डॉ. अमरजीत कौर, डॉ. रंजीत प्रसाद, डॉ. मो. फतेह, डॉ. विनय गुप्ता, डॉ. कुंवर बहादुर, डॉ. अशोक वर्मा आदि रहे। वहीं अमेरिका में नाम कमानेवाले प्रसिद्ध चिकित्सकों में डॉ. मनिका पांडेय, स्वर्गीय डॉ. कौशल, डॉ. जनार्दन प्रसाद का काफी नाम रहा। इनमें डॉ. मनिका पांडेय व्हाइट हाउस से भी जुड़ी थी। ये चिकित्सक वहां के अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों व चिकित्सकीय शोध संस्थानों में प्रमुख पदों पर आसीन रहे।
कोविड काल में व्हाइट हाउस के चिकित्सा सलाहकार रहे डॉ. आशीष
पीएमसीएच के पढ़ छात्र डॉ. आशीष झा, डॉ. वेद प्रकाश मिश्रा, डॉ. सलमान अख्तर ने अमेरिका में अपनी खासी पहचान बनाई। अपनी उत्कृष्टता के दम पर ना सिर्फ पीएमसीएच का बल्कि देश के चिकित्सकों का मान बढ़ाया। डॉ. आशीष झा कोविड काल में अमेरिका के राष्ट्रपति के महामारी सलाहकार के रूप में व्हाइट हाउस में तैनात थे। वहीं डॉ. वेद प्रकाश मिश्रा अमेरिका में चिकित्सा शिक्षा की रूपरेखा तय करनेवाली कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए हैं। वहीं डॉ. सलमान अख्तर पूरे अमेरिका के जाने-माने मनोरोग विशेषज्ञ हैं। मनोरोग पर इनकी लिखीं दो दर्जन से अधिक किताबें वहां के मेडिकल संस्थानों में पढ़ाई जाती हैं। डॉ. आशीष झा, डॉ. सलमान अख्तर और डॉ. वेद प्रकाश मिश्रा का नाम नोबेल पुरस्कार तक के लिए प्रस्तावित किया गया था। हालांकि वे पुरस्कार से वंचित रह गए।
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