डीएल इंटर स्कूल में आज भी जर्जर भवन में होती है पढ़ाई
हिसुआ नगर के डीएल इंटर विद्यालय की स्थिति बेहद जर्जर है। विद्यालय का भवन पुराने दरबार में स्थित है और इसकी मरम्मत की आवश्यकता है। यहां शिक्षकों की कमी और भूमि की अनुपलब्धता है, जिसके चलते छात्रों के...

हिसुआ, संवाद सूत्र। हिसुआ नगर के बीचोबीच स्थित जमींदारी के समय के दरबार में संचालित दृगोपाल लाल इंटर विद्यालय यानी डीएल इंटर विद्यालय वर्तमान में अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। स्कूल के भीतर घुसने के बाद आपको लगेगा कि यह कोई विद्यालय नहीं बल्कि राज दरबार है। किसी जमाने में हिसुआ दरबार के एक भाग में विद्यालय को स्थापित किया गया था। वर्तमान में भी वही पुराने भवन में विद्यालय संचालित है, जो यह बेहद जर्जर अवस्था में आ चुका है। यह कब ध्वस्त हो जाए, कहना मुश्किल है। इस विद्यालय के पास जमीन की अनुपलब्धता सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। विद्यालय की स्थापना वर्ष 1980 में राजदरबार के वंशज रहे दृगोपाल लाल ने दरबार के भीतर कराई थी। विद्यालय भवन की बनावट किसी राजदरबार से कम नहीं हैं। जिसके छत अब झड़-झड़ के गिरने लगे हैं। हालांकि हाल ही के दिनों में छत की मरम्मत करायी गयी है। लेकिन पूर्णत: कायाकल्प नहीं होने से इसका होना अथवा न होना, बराबर ही है। विद्यालय प्रधान अनिल कुमार ने बताया कि हमारे यहां विद्यालय भवन और शिक्षकों की घोर कमी है। यहां उच्च माध्यमिक विद्यालय में अर्थशास्त्र और गृह विज्ञान के मात्र दो ही शिक्षक उपलब्ध हैं, जबकि माध्यमिक में 06, एक लाइब्रेरियन, एक लिपिक और दो परिचारी नियुक्त हैं, जबकि 751 छात्र और छात्राएं यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए नामांकित हैं। विद्यालय के नाम पर मात्र 14 डिसमिल जमीन ही उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि बेहतर शिक्षा के लिहाज से यहां उच्च माध्यमिक में 26 जबकि माध्यमिक में 13 शिक्षक की उपलब्धता जरूरी है। जगह के अभाव में विद्यालय में मात्र 08 कमरा ही उपलब्ध है, जबकि संस्कृत, अंग्रेजी और विज्ञानं जैसे विषय के शिक्षक नहीं है। अन्य संसाधनों का हाल भी है बुरा अध्ययन-अध्यापन से इतर डीएल विद्यालय के भीतर जिम की व्यवस्था है, जो सरकार की एक महती योजना के तहत यहां उपलब्ध करायी गयी थी लेकिन शिक्षण से जुड़े कम्प्यूटर से पढ़ाई की व्यवस्था भी यहां नदारद है। विद्यालय प्रधान ने परिस्थितियों का हवाला देते हुए बताया कि जगह के अभाव के कारण विद्यालय भवन निर्माण की राशि भी लौट गई है। यहां खेल का मैदान सहित अन्य सुविधा भी नहीं है। जगह के आभाव के कारण एक छोटे से कमरे में लाइब्रेरी और प्रयोगशाला को संचालित किया जाता है, जो निरर्थक ही साबित हो रहा है। विद्यालय की जमीन विवादित है और इस कारण यहां जब भी किसी तरह के निर्माण कार्य की शुरुआत की जाती है तो विवाद शुरू हो जाता है। इस परेशानी के कारण कई दफा भवन निर्माण के लिए आई हुई राशि लैप्स हो कर वापस लौट चुकी है। ------------- नीचे के लिए सिंगल पीएम श्री विद्यालय की मान्यता पर नहीं मिल पा रहा लाभ डीएल इंटर विद्यालय को पीएम श्री विद्यालय की मान्यता मिल चुकी है लेकिन संसाधनगत सुविधा के अभाव में इस योजना का लाभ विद्यालय को नहीं मिल पा रहा है। विद्यालय प्रधान अनिल कुमार कहते हैं कि पीएम श्री विद्यालय की मान्यता की जानकारी मुझे बाद में मिली। हमारे यहां जगह ही उपलब्ध नहीं है। 82 पॉइंट में हमारे विद्यालय का सिर्फ 32 पॉइंट है। इसके बावजूद भी विद्यालय को पीएम श्री विद्यालय का दर्जा दिया जाना ठीक नहीं है। जिसे रद्द करने का लिखित अनुरोध किया गया है। जब जमीन ही हमारे यहां उपलब्ध नहीं है तो फिर पीएम श्री का दर्जा मिलने का क्या फायदा। यहा हमलोग सभी शिक्षक और छात्र अपनी जान जोखिम में डालकर पठन और पाठन करते हैं। कभी इस विद्यालय में सभी विषयों के शिक्षक उपलब्ध रहते थे। हालांकि जगह की कमी इस विद्यालय में शुरूआत से ही रही है। विद्यालय प्रबंधन का दावा है कि यहां से पढ़ाई कर कई दर्जन बच्चे देश और दुनिया में अपनी प्रतिभा के दम पर अपने माता-पिता सहित हिसुआ और अपने विद्यालय का नाम आज भी रौशन कर रहे हैं। हालांकि किसी की भी नाम नहीं बताया जा सका। ----------------------- वर्जन : विद्यालय की वर्तमान जर्जर स्थिति की जानकारी मुझे नहीं है। चूंकि फिलहाल ही मुझे कार्यभार मिला है। स्थिति का आकलन कर विद्यालय के विकास का प्रयास करूंगा। पीएम श्री का दर्जा इस विद्यालय को किस लिहाज से दिया गया है, इसकी भी मुझे जानकारी नहीं है जबकि विद्यालय प्रधान भी इस बात से खुद अनभिज्ञ हैं। आगे समुचित कदम उठाया जाएगा। -अमरजीत कुमार, प्रभारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, हिसुआ, नवादा।
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