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तेलंगाना की महिलाएं मुजफ्फरपुर से सीखेंगी आत्मनिर्भरता

तेलंगाना की महिलाएं मुजफ्फरपुर की आत्मनिर्भरता के मॉडल से सीखेंगी। शराबबंदी के बाद यहां की महिलाएं जीविका के माध्यम से आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक रूप से सफल हुई हैं। इनमें से कई महिलाएं अब अपने...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरSat, 22 Feb 2025 05:46 PM
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तेलंगाना की महिलाएं मुजफ्फरपुर से सीखेंगी आत्मनिर्भरता

मुजफ्फरपुर। प्रमुख संवाददाता तेलंगाना की महिलाएं मुजफ्फरपुर से आत्मनिर्भरता का गुर सीखेंगी। शराबबंदी के बाद जिले की महिलाओं के जीवकोपार्जन के चुनिंदा केस मॉडल बनेंगे। इन महिलाओं से तेलगांना की महिलाएं आगे बढ़ने और अपने पैरों पर खड़े होने का टिप्स लेंगी।

जीविका दीदियां तेलांगना की महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होना सीखाएंगी। परिवार चलाने का बीड़ा उठाने वाली दीदियों से तेलंगाना की टीम मिलने आई थी। इनके प्रयासों को अब वहां की महिलाओं के लिए लागू करने की योजना है। इसके तहत प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण में है। यहां से महिलाओं की टीम तेलांगाना जाएंगी। इसमें वैसी महिलाओं को मॉडल बनाया गया है जिन्होंने शराबबंदी के बाद न केवल खुद को आत्मनिर्भरता से जोड़ा बल्कि इनमें अधिकतर महिलाएं ऐसी हैं जो अपने परिवार की भरण पोषण कर रही हैं। ये महिलाएं पहले चहारदीवारी से बाहर नहीं निकली थीं और आज लखपति दीदी के रूप में स्थापित हैं। इनकी काबलियत यह कि इन्होंने केवल आर्थिक ही नहीं बल्कि शैक्षणिक और सामाजिक तौर पर भी बदलाव की तस्वीर दिखाई है।

दिहाड़ी मजदूरी करने वाली ललिता आज जमीन मालकिन तो आशा बनी उद्यमी :

दुबियाही पंचायत की ललिता देवी दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करती थीं। पति कोई आर्थिक सहायता नहीं करते थे। इसी बीच जीविका से जुड़कर उन्होंने नए तरीके से डिजाइनर कपड़े बनाने की ट्रेनिंग ली। तीन हजार रुपये कर्ज लेकर एक मशीन खरीदने वाली ललिता आज अपने पैसों से 10 कट्ठे से अधिक जमीन खरीद चुकी हैं। अपने इन खेतों में अब वे दूसरों को काम दे रही हैं। यही नहीं, बेटी को बीकॉम तो बेटे को इंटर में पढ़ा रही है। गरीबी का दंश झेल चुकी मड़वन प्रखंड की आशा देवी आज उद्यमी के तौर पर स्थापित हैं। आशा कहती हैं कि शराबबंदी के बाद हम महिलाओं को घर में सुकन मिला तो बाहर आगे बढ़ने की राह जीविका के माध्यम से खुली। पहले एक छोटा सा मसाला चक्की डाला और आज उस मसालों के कारोबार से महीने में 70-80 हजार तक की कमाई हो जाती है। पहले जहां चार-पांच किलो मसाला की बिक्री होती थी, वहीं अब तीन से चार क्विंटल मसाला बेचती हैं। जीविका के राजीव रंजन कहते हैं कि इन महिलाओं की आत्मनिर्भरता अब दूसरे राज्यों को प्रेरणा देगी।

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