साधुगाछी बस्ती की ढाई हजार आबादी को 3 दशक से 2 किमी सड़क का इंतजार
मुजफ्फरपुर के साधुगाछी बस्ती के लोग जलजमाव और टूटी सड़कों के कारण परेशान हैं। पिछले तीन दशकों से सड़कें सही नहीं हो पाई हैं, जिससे यहां के निवासियों को हर दिन पानी में चलने की मजबूरी है।...
मुजफ्फरपुर। जिले के उत्तर और पूर्व दिशा के लोगों के लिए शहर के प्रवेश द्वार जीरोमाइल से महज एक किमी की दूरी पर बसी साधुगाछी बस्ती के लोग आज भी पंचायत होने का दंश झेल रहे हैं। चार सौ मकान और करीब ढाई हजार की आबादी वाली इस बस्ती में तीन दशक पहले बनी सड़क जलजमाव के कारण छह माह में ही टूट गई। इसके बाद ना तो सड़क की मरम्मत हुई और ना जलजमाव से निजात के इंतजाम हो सके। नतीजतन बैशाख की इस तपती धूप में भी यहां के वाशिंदें घुटने भर पानी पार करने को विवश हैं। बस्ती के लोगों का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र से बस बूढ़ी गंडक का फासला है, मगर सुविधाएं गांवों जैसी भी नहीं है। कभी किसी ने हमारी समस्या के समाधान के लिए मजबूत पहल नहीं की।
बूढ़ी गंडक नदी के किनारे बसी साधुगाछी बस्ती भले ही बोचहां प्रखंड की शेखपुर पंचायत का हिस्सा है पर जिला मुख्यालय से इसकी दूरी महज दो से तीन किमी है। अखाड़ाघाट पुल पार कर माई स्थान चौराहे से इस बस्ती में प्रवेश के लिए पहले कच्ची सड़क थी। करीब तीन दशक पहले इस सड़क का कालीकरण होने से आवागमन की सुविधा बढ़ी। ग्राम पंचायत में होने के बावजूद जिंदगी ने रफ्तार पकड़नी शुरू ही की थी पर सड़क छह महीने में टूट गई। इसके बाद इसे बनाने की फिर पहल नहीं हुई। माई स्थान से बस्ती में प्रवेश करते ही किराना दुकान चलाने वाले सुनील कुमार ने बताया कि सड़क के समानांतर नालियों का निर्माण नहीं होने से जलजमाव के कारण सड़क पूरी तरह से टूट चुकी है। करीब एक दशक से लोग जलजमाव के बीच इसी टूटी सड़क से गुजरने को विवश हैं। विकास की बात करने वाले कई जनप्रतिनिधि आए और चले गए, लेकिन सड़क-नाला की समस्या दूर नहीं हो सकी। बस्ती के ही मिथिलेश कुमार ने कहा कि करीब दो किमी लंबी इस सड़क के दोनों किनारे छोटे-छोटे बच्चों के आधा दर्जन स्कूल और एक दर्जन कोचिंग सेंटर हैं। बच्चें हो या अभिभावक सबको इसी जलजमाव के बीच से होकर गुजरना पड़ता है। प्रतिदिन कोई ना कोई वाहन सवार टूटी सड़कों पर जलजमाव में गिरकर चोटिल होता है। बस्ती के अभिषेक कुमार सिंह कहते हैं कि दो दशक में पूर्व और वर्तमान मुखिया को इस समस्या से अवगत कराया गया। पहले तो उन्होंने सड़क के साथ ही नाला के निर्माण कराए जाने का आश्वासन दिया। लेकिन अब पिछले एक साल से इस सड़क को ग्रामीण अभियंत्रण संगठन (आरईओ) की बता कर अपना पल्ला झाड़ लिया।
मानसून के समय कमर भर पानी पार करना होता है:
बस्ती के समरेश कुमार, उपेन्द्र कुमार सुशील कुमार सिंह, जियन प्रसाद चौधरी ने बताया कि इस प्रचंड गर्मी में भी सड़क पर टखने भर पानी लगा हुआ है तो मानसून के समय में क्या हालत होती होगी, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। उस समय कहीं घुटने भर तो कहीं कमर भर पानी से होकर गुजरना पड़ता है। अब तो सालोंभर पानी जमा रहना रोज की कहानी बन चुकी है। इसका एकमात्र कारण नाला का नहीं होना है।
जीरोमाइल चौक जाम होने पर यह प्रमुख मार्ग:
बस्ती के डॉ. विनय कुमार सिंह, राजेश कुमार राय, विजय कुमार सिंह कहते हैं कि जीरोमाइल चौक जाम होने पर अहियापुर होते हुए दरभंगा रोड और डीएवी स्कूल तक जाने का यह एकमात्र रास्ता है। इसके बावजूद यह उपेक्षित है। कहा कि सड़क के साथ-साथ यहां नाला निर्माण भा जरूरी है। जल निकासी का प्रबंध हो जाएगा,तो स्वाभाविक तौर पर सड़क की लाइफ भी बढ़ जाएगी। बताया कि बूढ़ी गंडक नदी के किनारे होने के कारण यहां जलनिकासी भी आसानी से हो सकती है। नाला बन जाने से केवल इस बस्ती की ही नहीं, बल्कि आसपास के आधा दर्जन मोहल्लों का पानी भी आसानी से निकल सकेगा।
बोले जिम्मेदार :
साधुगाछी बस्ती के लोगों की समस्या से अवगत हूं। वहां सड़क और नाला निर्माण के लिए प्रयास कर रहा था। एक से डेढ़ महीने में इसे बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। टेंडर की प्रक्रिया में मामला अटका हुआ था, जिसे अब दूर कर लिया गया है। मई महीने में इसका संभवत: इसका शिलान्यास कार्य होगा।
- अमर पासवान, विधायक, बोचहां
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