बिन पढ़े 30 लाख में एमबीबीएस की फर्जी डिग्री
मुजफ्फरपुर में एक पिता-पुत्र ने बिना पढ़ाई के 30 लाख रुपये में फर्जी एमबीबीएस डिग्री बेचने का रैकेट चलाया। दोनों ने जूरन छपरा में कंसल्टेंसी खोली थी और कई छात्रों से ठगी की। जब एक पीड़ित ने पुलिस से...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। बिना पढ़े 30 लाख रुपये में एमबीबीएस की फर्जी डिग्री बांटी जा रही है। डॉक्टर पिता-पुत्र मिलकर ठगी का यह रैकेट चला रहे हैं। पंजाब के एक निजी विवि की फर्जी डिग्री दी जा रही है। पिता-पुत्र मुजफ्फरपुर से लेकर पश्चिम बंगाल तक ठगी कर चुके हैं। जूरन छपरा में दोनों ने कंसल्टेंसी संस्थान खोल रखा था। थाने में केस दर्ज होते ही कंसल्टेंसी बंद कर अहियापुर के कोल्हुआ में शिफ्ट कर लिया। कोल्हुआ में ही उनका आवास भी है। दोनों शहर की एक मशहूर महिला सर्जन के पति और पुत्र हैं। महिला सर्जन की ख्याति के कारण दोनों के चंगुल में आसानी से लोग फंस गए।
बोचहां थाना के कर्णपुर निवासी सुशांत पुंज भारती ने ब्रह्मपुरा थाने में इस फर्जीवाड़े और ठगी का रैकेट चला रहे पिता कृष्णभूषण श्रीवास्तव और पुत्र अमित श्रीवास्तव के खिलाफ 25 मई 2025 को एफआईआर दर्ज कराई। ब्रह्मपुरा थाने के दारोगा प्रेम रंजन कुमार ने मामले की जांच शुरू कर साक्ष्य जुटाना शुरू कर दिया है। मामले की जांच को लेकर पुलिस जब जूरन छपरा स्थित संस्थान के कार्यालय पहुंची तो वहां ताला लटका मिला। छानबीन की गई तो पता चला कि कार्यालय को कोल्हुआ शिफ्ट कर लिया गया है। सुशांत ने पुलिस को बताया है कि दोनों पिता-पुत्र ने जूरन छपरा में जेपी ग्रुप हेल्थ एजुकेशन सोसाइटी और लॉर्ड कृष्ण ग्रुप हेल्थ एजुकेशन सोसाइटी नाम से दो फर्म खोल रखा था। इसी फर्म के जरिए लोगों को एमबीबीएस की डिग्री दिलवाने का झांसा देकर ठगी करते हैं। पीड़ित छात्र सुशांत ने पुलिस को बताया है कि दोनों शातिर पिता-पुत्र से जूरन छपरा स्थित उनके हॉस्पिटल पर मुलाकात हुई थी। दोनों ने कहा कि एमबीबीएस में नामांकन और पढ़ाई का कुल खर्च 30 लाख रुपये लगेगा। प्रत्येक सेमेस्टर का खर्ज पांच लाख रुपये बताया गया था। बताया कि इतनी राशि में डिग्री मिल जाएगी। उसने पंजाब के बठिंडा स्थित एक निजी विवि से डिग्री दिलवाने की बात बताई। झांसा दिया कि पढ़ाई के लिए विवि में नहीं जाना होगा। सबकुछ उसके जूरन छपरा स्थित संस्थान से होगा। सुशांत ने विश्वास कर लिया और दोनों पिता-पुत्र को अलगे-अलग तिथियों पर कुल 30 लाख रुपये का भुगतान कर दिया। कहीं, कोई पढ़ाई नहीं हुई। वर्ष 2022 में कोर्स पूरा होने की बात बता उसे उक्त विवि का सर्टिफिकेट दे दिया गया। इस डिग्री को लेकर वर्ष 2024 में वह एमसीआई का निबंधन कराने पटना स्थित कार्यालय में पहुंचा। वहां जांच में पता चला कि सारी डिग्री फर्जी है। किसी तरह एमसीआई कार्यालय से वह बाहर निकल सका। जब दोनों पिता-पुत्र से सुशांत ने संपर्क कर बताया कि एमबीबीएस की डिग्री फर्जी है तो उन लोगों ने रुपये वापसी का भरोसा दिया। पांच-पांच लाख रुपये के छह चेक उन लोगों ने दिए। लेकिन, सभी चेक बाउंस हो गए। इसके सदमे में सुशांत के बड़े भाई की मौत हो गई। पश्चिम बंगाल पुलिस ने भी किया था गिरफ्तार : एमबीबीएस की फर्जी डिग्री के मामले में बीते जनवरी माह में पश्चिम बंगाल के हुगली थाने की पुलिस ने दोनों पिता-पुत्र को गिरफ्तार किया था। हुगली थाने में डॉ. विश्वजीत घोष ने एफआईआर दर्ज कराई थी। विश्वजीत के एक करीबी को डिग्री दिलवाने का झांसा देकर 26 लाख रुपये की ठगी की गई थी। जब विश्वजीत ने आरटीआई के जरिए केंद्रीय विवि से दोनों पिता-पुत्र के संस्थान की हकीकत के बारे में पूछा तब बड़े पैमाने पर ठगी की सच्चाई सामने आई। इसके आधार पर हुगली थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई।
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