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आर्थिक तंगी से गुजर रहे सेवईत और पुजारी,बढ़ाई जाए दक्षिणा व हिस्सेदारी

मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन पंडितों और सेवईत परिवारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। पूजा के लिए श्रद्धालुओं को 200 रुपये की रसीद कटानी होती...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरTue, 18 Feb 2025 06:08 PM
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आर्थिक तंगी से गुजर रहे सेवईत और पुजारी,बढ़ाई जाए दक्षिणा व हिस्सेदारी

मुजफ्फरपुर। उत्तर बिहार का बाबाधाम कहे जाने वाले मुजफ्फरपुर के प्रसिद्ध बाबा गरीबनाथ मंदिर में रोज हजारों लोग दर्शन-पूजन करने आते हैं। प्रतिवर्ष औसतन एक करोड़ का चढ़ावा चढ़ता है, बावजूद यहां के पंडित-पुरोहित व सेवईत आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। पुजारियों का कहना है कि यजमान को एक पूजा के लिए दो सौ रुपए की रसीद काउंटर पर कटानी पड़ती है। उसमें से उनको 50 रुपये मिलते हैं। एक पुजारी को रोज तीन से पांच पूजा कराने का अवसर मिल पाता है। 150-250 रुपए दिनभर में कमाई हो पाती है। वहीं, सेवईत परिवारों को दो साल से पूजा रसीद की राशि में हिस्सेदारी नहीं मिली है, जिसके कारण घर चलाना मुश्किल हो गया है। पुरोहित को प्रत्येक पूजा पर दक्षिणा सौ रुपए और सेवईत को पहले की तरह हिस्सेदारी मिले तो हालत सुधरे।

बाबा गरीबनाथ मंदिर में करीब दो सौ साल से सेवईत परिवार सेवा देते आ रहे हैं। वर्ष 2006 में जब गरीबनाथ मंदिर धार्मिक न्यास समिति के अधीन चला गया, उसके बाद इन्हें समिति के द्वारा काटी जाने वाली पूजा की रसीद पर हिस्सेदारी की राशि मिल रही थी, मगर अभी हिस्सेदारी भुगतान लंबित रहने के कारण घर चलाना मुश्किल हो रहा है। वर्तमान में 40 सेवईत परिवार बाबा गरीबनाथ मंदिर से जुड़े हुए हैं। प्रधान पुजारी पंडित विनय पाठक ने बताया कि सावन पूर्णिमा के बाद मंदिर में पूजा-पाठ कराने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आ जाती है। पुन: 15 जनवरी से पूजा-पाठ प्रारंभ होती है। इस बीच पुजारियों के समक्ष आर्थिक तंगी की स्थिति बनी रहती है। जो वेतनभोगी हैं, उनको गरीबनाथ मंदिर न्यास समिति समय से वेतन देती है, लेकिन जो अवैतनिक हैं, उनकी परेशानी का हल निकाला जाना चाहिए। बाबा गरीबनाथ मंदिर में सौ से अधिक पंडितों-पुरोहितों की रोजी-रोटी पूजा-पाठ से चलती है। इनको प्रति पूजा पर 50 रुपये मिलते हैं। किसी दिन यजमानों की संख्या कम रही तो बहुत-से पुजारियों को पूजा कराने का मौका भी नहीं मिल पाता, जिसके कारण उन्हें उस दिन निराश होकर घर लौटना पड़ता है। सावन एवं खास त्योहारों के समय मंदिर से जुड़े पंडित के अलावा 25 से अधिक बाहरी पंडित भी मंदिर के बाहर सेवा देते हैं। जो यजमान पूजा करवाने या दर्शन-पूजन करने आते हैं, उन्हें ये चंदन-टीका व रक्षा-सूत्र बांधते हैं। यजमान के ऊपर निर्भर करता है कि वे इन्हें 10 रुपए दें या 50 रुपये। इसी से इनका जीवन चलता है।

दूसरों की समृद्धि की कामना करने वाले बदहाल :

गरीबनाथ मंदिर से जुड़े अखंड भारत पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पंडित हरिशंकर पाठक ने बताया कि पंडित समाज लोगों के घर जाकर पूजा कराते हैं और उनकी समृद्धि की कामना करते हैं, मगर उनका घर कैसे चल रहा है, इसकी सुध कोई नहीं लेता। शादी में लाखों रुपये सजावट पर खर्च कर देते हैं, मगर पंडित को वाजिब दक्षिणा देने में लोग आनाकानी करते हैं। पंडित भागवत ठाकुर का कहना है कि उनकी उम्र 86 वर्ष है, मगर आज भी वृद्धावस्था पेंशन की राशि चार सौ ही मिल रही है, जबकि 80 वर्ष के बाद सौ रुपये पेंशन की राशि बढ़ा दी जाती है। बताया कि न कोई जानकारी देने वाला है और न सहयोग करने वाला।

काम नहीं मिलता तो ढूंढना पड़ता है विकल्प :

बाबा गरीबनाथ मंदिर में जब काम नहीं मिलता तो कई पंडित यजमानों के घर जाकर पूजा-अनुष्ठान कराते हैं। कई पंडित दूसरे प्रदेशों में नौकरी की तलाश में निकल पड़ते हैं। कई व्यवसाय करते हैं तो कई खेती कर गृहस्थी संभालते हैं। कई पुरोहित ट्यूशन, कोचिंग सेंटर और निजी विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाकर जीविकोपार्जन कर रहे हैं।

अवैतनिक पुजारियों के समक्ष आजीविका का संकट :

बाबा गरीबनाथ मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में प्रतिदिन वृद्धि हो रही है, मगर यहां खास त्योहार व सप्ताह के चुनिंदा दिनों पर ही पूजा-पाठ की जाती है। सावन पूर्णिमा और 15 जनवरी के बाद से ही पूजा-पाठ आरंभ होती है। बाकी दिनों में अवैतनिक पुजारियों को इतना काम नहीं मिलता कि वे ठीक से परिवार चला सकें। आजीविका के लिए दूसरे काम की तलाश करनी पड़ती है। यहां पर कुछ चुनिंदा पंडित ही वेतनभोगी हैं। बाकी पंडितों को प्रति पूजा पर पैसा मिलता है। इनके अलावा बाहरी पंडित भी हैं, जो मंदिर के बाहर चंदन-टीका व रक्षा-सूत्र बांधकर रोजी-रोटी चलाते हैं। इनकी स्थिति बेहतर करने के लिए सकारात्मक प्रयास की जरूरत है।

-पंडित विनय पाठक, प्रधान पुजारी, बाबा गरीबनाथ मंदिर।

बाबा का भोग और शृंगार भी खुद के खर्च से करना पड़ता :

40 सेवईत परिवारों की इस मंदिर से रोजी-रोटी चलती है। वर्ष 2006 में बिहार धार्मिक न्यास समिति ने मंदिर का अधिग्रहण किया। उससे पहले सभी तरह की पूजा-पाठ की आमदनी सेवईत परिवार के अधीन थी। न्यास समिति बनने के बाद प्रति पूजा पर हिस्सेदारी देने पर सहमति बनी। वर्ष 2022 तक तो हिस्सेदारी मिली, मगर उसके बाद से हिस्सेदारी नहीं मिल रही है, जिसके कराण सेवईत परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है। हमलोगों को प्रतिदिन बाबा का भोग व शृंगार भी खुद के खर्च से करना पड़ता है। वर्ष 2006 में प्रति पूजा 35 रुपये की रसीद कटती थी। उस समय 10 रुपये पंडित को, 10 रुपये सेवईत को और 15 रुपये न्यास समिति को जाते थे। अभी 200 रुपए पूजा की रसीद कटती है, जिसमें 50 रुपए पंडित को, 20 रुपए सेवईत को एवं 130 रुपए न्यास को मिलते हैं।

-बैद्यनाथ पाठक, मुख्य सेवईत, गरीबनाथ मंदिर।

बोले जिम्मेदार

बैठक में रखूंगा सेवईत की समस्या :

बाबा गरीबनाथ मंदिर के सेवईत को मंदिर में होने वाले पूजन पर प्रति पूजा 20 रुपये पिछले दो साल से नहीं मिलने की जो बात मुख्य सेवईत के द्वारा बताई जा रही है, वह मेरे संज्ञान में नहीं है। मैं इसकी जानकारी लेकर इस मुद्दे को आगामी बैठक में न्यास समिति के अध्यक्ष के समक्ष रखूंगा। मंदिर के सेवईत के लिए निश्चित रूप से न्यायोचित पहल की जाएगी।

-अमित कुमार, एसडीओ पूर्वी सह गरीबनाथ मंदिर न्यास समिति के उपाध्यक्ष

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