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जर्जर एएनएम हॉस्टल में रतजगे की नौबत, कार्यस्थल पर चेंजिंग रूम तक नहीं

करीब पांच दशक पहले बने सदर अस्पताल के एएनएम हॉस्टल का कोना-कोना खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। छत का प्लास्टर गिर रहा है। इतने बदहाल हॉस्टल में 84 ए

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरTue, 18 Feb 2025 05:57 PM
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जर्जर एएनएम हॉस्टल में रतजगे की नौबत, कार्यस्थल पर चेंजिंग रूम तक नहीं

मुजफ्फरपुर। सदर अस्पताल के एएनएम स्कूल में दाखिला लेने के बाद पढाई के साथ छात्राओं को सुरक्षा की चिंता सता रही है। सुबह से शाम तक सदर अस्पताल में ड्यूटी करने के बाद जब वे अपने हॉस्टल के कमरों में लौटती हैं तो एक डर उनके साथ होता है। छात्राओं का कहना है कि इसके लिए हमलोग और पहले के बैच की छात्राओं ने शिकायत भी की है, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गई है। हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं की एक और बड़ी परेशानी है कि उनके मेन गेट को अघोषित तौर पर शौचालय में बदल दिया गया है। छात्राओं ने कहा कि गेट पर ही आसपास के लोग लघुशंका करते रहते हैं, जिससे बड़ी शर्म महसूस होती है। हमलोग किसी तरह गेट से निकलकर सदर अस्पताल तक पहुंचते हैं। यह रोजमर्रे की बात हो गई है। सदर अस्पताल जाने और वहां से लौटते समय ऐसी ही स्थिति रहती है। कहा कि एएनएम हॉस्टल वर्ष 1976 का है, लेकिन बनने के बाद कभी इसकी मरम्मत नहीं हुई है।

खिड़कियां टूटीं, बाहर से आते हैं सांप-बिच्छू :

एएनएम हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं का कहना है कि कमरों की खिड़कियां टूटी हैं। अंकिता सिन्हा ने कहा कि खिड़कियों से सांप और दूसरे विषैले जीव कमरे में घुस जाते हैं। बरसात में स्थिति बहुत खराब हो जाती है। छात्राओं ने बताया कि बरसात में हमलोग रोज रात में जगकर यह देखते रहते हैं कि कमरे में खिड़कियों के जरिए कहीं कोई सांप तो नहीं घुस आया है। छात्रा मीरा आनंद ने कहा कि बरसात में कमरों में पानी भर जाता है। बाथ रूम में जो नल लगा है, वह भी खराब है। बताया कि हॉस्टल में पीने योग्य पानी तक नहीं है। बर्तन में पानी रखने पर उसमें काई जम जाती है। हमलोगों को पीने के लिए पानी खरीदना पड़ता है। छात्रा अंशु कुमारी ने कहा कि बरसात में कमरों में पानी भरने के अलावा शौचालय भी जाम हो जाता है, जिससे बड़ी परेशानी होती है।

खाने में भी टूटकर गिर जाता है छत का प्लास्टर :

एएनएम स्कूल के मेस की हालत भी खराब है। छात्राओं का कहना है कि कई बार खाने में छत का प्लास्टर टूट कर गिर जाता है, जिससे वह खाना खाने लायक नहीं रहता है। हॉस्टल के मेस में खाने के लिए हर महीने तीन हजार रुपये छात्राओं को देने पड़ते हैं। हॉस्टल के खाने में कुछ समय पहले कीड़ा मिलने की शिकायत भी आ चुकी है। इसके बाद तत्कालीन सीएस यूसी शर्मा ने हॉस्टल का निरीक्षण किया था और मेस संचालक को सख्त हिदायत दी थी।

हॉस्टल परिसर में अवैध पार्किंग से होती है परेशानी :

छात्राओं ने कहा कि हॉस्टल परिसर में अवैध पार्किंग होती है, जिससे कई बार बाहर निकलने में परेशानी होती है। पार्किंग पर कई बार रोक की कोशिश की गई, लेकिन पार्किंग करने वाले लोग मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। हर दिन पार्किंग के कारण हॉस्टल परिसर पूरी तरह जाम रहता है। इससे हॉस्टल में आने-जाने में परेशानी होती है। ऑटो से लेकर बड़ी गाड़ी और शादी-विवाह के सीजन में तो रथ भी हॉस्टल में ही पार्क कर दिये जाते हैं।

स्कूल में एक ही क्लास रूम, पढ़ाई में परेशानी :

एएनएम स्कूल की छात्राओं का कहना है कि स्कूल में दो वर्ष की पढ़ाई होती है, लेकिन क्लास रूम एक ही है। इससे पढ़ाई में परेशानी होती है। बरसात में क्लास रूम में भी पानी भर जाता है। उस समय पढ़ाई बाधित हो जाती है। हमलोगों को अगर पूजा या कोई आयोजन करना हो तो उसमें भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

एक कमरे में रहती हैं आठ छात्राएं :

छात्राओं ने बताया कि हॉस्टल के जर्जर होने से एक कमरे में आठ-आठ छात्राओं को एडजस्ट करना होता है। हमलोग किसी तरह से कमरे में रहते हैं। कई कमरे जर्जर हो चुके हैं, इसलिए वहां की छात्राओं को उन कमरों में शिफ्ट किया गया है, जो थोड़े-बहुत ठीक हैं। छात्राओं ने बताया कि हॉस्टल की छत तो जर्जर है ही, पंखे भी जर्जर हो चुके हैं। चलाने पर कई बार गिर जाते हैं, जिससे हमेशा डर बना रहता है। छात्राओं ने कहा कि हॉस्टल की दीवारें काफी कमजोर हो चुकी हैं। इनकी तो अब मरम्मत भी नहीं की जा सकती है। पैसेज की छत पूरी तरह उखड़ गई है और छड़ बाहर निकल गये हैं। आने-जाने के समय हादसे की आशंका है। कमरों की दीवारें भी फट गई हैं, छूने पर ही गिरने लगती हैं।

रात में ड्यूटी के समय हो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम :

सदर अस्पताल में 95 प्रतिशत महिला कर्मचारी काम करती हैं। नर्सों ने बताया कि अस्पताल में महिला नर्स के लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। रीना कुमारी ने कहा कि नर्सों के लिए सरकारी आवास होना चाहिए। रात में वार्ड में ड्यूटी करते समय सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए। नर्स और एएनएम ने बताया कि अस्पताल में हमलोगों के लिए चेंजिंग रूम नहीं है, जिससे काफी परेशानी होती है। शोभा कुमारी ने बताया कि अस्पताल में कॉमन रूम भी नहीं है। इससे नर्स को खाना खाने में परेशानी होती है। वहीं प्रियंका ने कहा कि सदर अस्पताल में बरसात में पानी भर जाता है। अस्पताल आने-जाने में काफी परेशानी होती है। नर्सों ने कहा कि कई बार उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। इस पर उच्च अधिकारियों को सख्त कदम उठाना चाहिए। नर्स अपना काम से लेकर फोर्थ ग्रेड तक का काम करती हैं। नर्सों का कहना है सदर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में उनके लिए सरकारी आवास नहीं है। श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज की संजीता यादव का कहना है कि नर्सिंग स्टाफ के लिए क्वार्टर नहीं है। हमलोग बाहर के रहने वाले हैं। बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।

बीएमएसआईसीएल को लिखा गया है पत्र :

एएनएम स्कूल के हॉस्टल की मरम्मत के लिए बीएमएसआईसीएल को कई बार पत्र लिखा गया है। हमलोगों ने हाल ही में फिर से बीएमएसआईसीएल को पत्र लिखकर इसे ठीक कराने को कहा है।

-प्रमोद शर्मा, प्राचार्य, एएनएम स्कूल।

छात्राओं को समस्या से जल्द निजात मिलेगी :

सदर अस्पताल में मार्च में नए भवन का निर्माण होने जा रहा है। वहां सभी नर्सों के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। वहां चेंजिंग रूम से लेकर कॉमन रूम तक की व्यवस्था की जानी है। छात्राओं को समस्या से जल्द निजात मिलेगी।

-डॉ. बीएस झा, अधीक्षक, सदर अस्पताल

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