गर्भवतियों को ग्लूकोज पिलाकर होगी शुगर की जांच
बिहार के सरकारी अस्पतालों में गर्भवतियों के लिए ग्लूकोज पिलाकर शुगर की जांच की नई व्यवस्था शुरू की गई है। अब तक यह जांच केवल निजी क्लीनिक में होती थी। इस नई व्यवस्था से गर्भवतियों में डायबिटिज की...
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मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। सूबे के सरकारी अस्पतालों में अब गर्भवतियों को ग्लूकोज पिलाकर शुगर की जांच की जाएगी। सरकारी अस्पतालों में पहली बार ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस की जांच शुरू होने जा रही है। दूसरे राज्यों के सरकारी अस्पताल में यह जांच पहले से जारी है। बिहार में भी निजी क्लीनिक में यह जांच होती है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा नहीं थी। इसके लिए सभी जिलों के स्त्री रोग विशेषज्ञों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से पटना में ट्रेनिंग दी गई है। मुजफ्फरपुर से प्रशिक्षण में शामिल हुईं डॉ. स्वर्णिम स्वाति ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में यह जांच शुरू होने से गर्भवतियों में डायबिटिज की पहचान में आसानी होगी।
डॉ. स्वाति ने बताया कि ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट में गर्भवतियों की शुगर जांच से पहले उन्हें 75 ग्राम ग्लूकोज पिलाई जाएगी। इसके बाद उन्हें कुछ देर अस्पताल में बैठाने के बाद शुगर की जांच की जाएगी। इस जांच के बाद जो रिपोर्ट आएगी वह पक्की होगी। राज्य में अब तक सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की रैंडम शुगर की जांच की जाती थी। लेकिन, कई बार इसकी रिपोर्ट में अंतर आता था। इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने गर्भवतियों की शुगर जांच की नई व्यवस्था शुरू की है।
निजी क्लीनिक में खर्च होते हैं 300 से 400 रुपये का खर्च
निजी क्लीनिक या नर्सिंग होम में यह जांच कराने पर 300 से 400 रुपये तक खर्च होते हैं। डॉ. स्वाति का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में यह जांच मुफ्त होगी और इस सुविधा से गरीबों को काफी लाभ मिलेगा। बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों में 75 ग्राम के ग्लूकोज के पैकेट भेजे जाएंगे। एक पैकेट ग्लूकोज गर्भवतियों को पीने के लिए दिया जाना है।
हर महीने सामने आती हैं शुगर पीड़ित 30 से 40 गर्भवती :
सदर अस्पताल में हर महीने शुगर से पीड़ित 30 से 40 गर्भवतियां पहुंचती हैं। डॉ. स्वाति ने बताया कि गर्भावस्था में शुगर नियंत्रित नहीं होने से बच्चे पर असर पड़ता है। कई बाद बच्चे का वजन पांच किलो तक हो गया है। बच्चे का वजन बढ़ जाने से प्रसव में परेशानी होती है। डॉ. स्वर्णिम ने बताया कि जिन गर्भवतियों को शुगर निकलता है उन्हें हर महीने आकर चेकअप कराना चाहिए।
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