अब सत्र के प्रारंभ में ही छात्र-छात्राओं को मिलेगी पोशाक की राशि
बिहार सरकार ने सरकारी विद्यालयों के छात्रों को पोशाक की राशि सत्र के प्रारंभ में देने का निर्णय लिया है। पहले, यह राशि सत्र के अंत में मिलने के कारण बच्चे बिना पोशाक के स्कूल आते थे। अब, पहली कक्षा...
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मुजफ्फरपुर। प्रमुख संवाददाता अब सत्र के प्रारंभ में ही सरकारी विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को पोशाक की राशि मिलेगी। यह राशि अप्रैल से सितम्बर माह तक बच्चों की उपस्थिति के आधार पर मिलती रही है। सत्र के बीत जाने के बाद राशि मिलने के कारण अभिभावक पोशाक नहीं खरीदते हैं। स्कूलों में जांच के दौरान यह मामला सामने आया।
मुजफ्फरपुर समेत विभिन्न जिलों के सैकड़ों स्कूलों में जांच में आधे से अधिक बच्चे बिना पोशाक के मिले थे। इसकी समीक्षा राज्यस्तर पर की गई। इसमें सामने आया कि बच्चों को मिली पोशाक की राशि अभिभावक घर के कामों में खर्च कर देते हैं। इसके पीछे का कारण अभिभावकों ने यह बताया कि काफी देर से पोशाक की राशि मिलती है। तब तक सत्र खत्म होने वाला होता है। ऐसे में अभिभावक उस सत्र के लिए पोशाक खरीदना जरूरी नहीं समझते। मुख्यमंत्री बालिका-बालक पोशाक योजना, बिहार शताब्दी मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को यह राशि दी जाती है। कक्षा पहली से 12वीं तक के बच्चों को यह राशि डीबीटी के माध्यम से मिलती है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने निर्देश दिया है कि विद्यालयों के लगातार निरीक्षण में यह मामला सामने आया है कि राशि मिलने के बाद भी बच्चे पोशाक में स्कूल नहीं आते हैं। सत्र खत्म होने के बाद राशि मिलने के कारण इस योजना में व्यय की गई राशि का सदुपयोग नहीं हो रहा है। ऐसे में नए सत्र से बच्चों को शुरुआत में पोशाक की राशि देने की योजना तैयार की गई है।
इस प्रक्रिया के तहत मिलेगी पोशाक की राशि :
-विभाग ने निर्देश दिया है कि पहली कक्षा में नामांकित होने वाले सभी बच्चों को पोशाक क्रय की राशि उपलब्ध करा दी जाए।
-कक्षा दूसरी से 12वीं तक के सभी के बच्चों को उनके पिछले सत्र एक अप्रैल से 30 सितम्बर तक की 75 फीसदी औसत उपलब्धि के आधार पर पोशाक खरीदने के लिए राशि दी जाए। पहली से 8वीं और 9वीं-12वीं तक के लिए अलग विपत्र कोड भी विभाग की ओर से उपलब्ध करा दिया गया है।
जिले में एक-एक स्कूल में 50-60 फीसदी बच्चे मिले बिना पोशाक
जिले में पिछले छह महीने में अलग-अलग प्रखंडों में तीन हजार स्कूलों की जांच हुई। इसमें एक-एक स्कूल में 50-60 फीसदी बिना पोशाक के मिले। हालांकि, 10 से 15 फीसदी स्कूल ऐसे भी मिले जहां सभी बच्चे पोशाक में थे। जिले में नामांकित लगभग नौ लाख बच्चों में से मुश्किल से पौने पांच लाख के पास ही पोशाक है।
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