मुंविव में दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार संपन्न
मुंगेर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा 'सीमाओं से परे : अंग्रेजी भाषा और साहित्य के अध्ययन में समकालीन प्रवृत्तियां' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का सफल समापन हुआ। विभिन्न...

मुंगेर, एक संवाददाता। मुंगेर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा 'सीमाओं से परे : अंग्रेजी भाषा और साहित्य के अध्ययन में समकालीन प्रवृत्तियां' विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुक्रवार को सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस आयोजन में देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए शिक्षकों, शोधार्थियों और छात्रों ने भाग लिया तथा अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य भाषा और साहित्य के क्षेत्र में हो रही नवीन प्रगति की समीक्षा करना तथा भविष्य की दिशा पर विचार-विमर्श करना था। समापन समारोह में कुलपति प्रो. संजय कुमार ने प्रतिभागियों से संवाद किया और सेमिनार की उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त की। कुलसचिव कर्नल विजय कुमार ठाकुर ने भी अपने विचार साझा किए। वहीं, मुंगेर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों ने कहा कि, मुंगेर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा आयोजित यह राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं अकादमिक विमर्श यहां के छात्र-छात्राओं को नई दिशा देने में मील का पत्थर साबित होगी।
अधिक अंतर्विषयक और समावेशी हो गया है समकालीन अंग्रेजी साहित्य: कुलपति :
समापन सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. संजय कुमार, टीएमबीयू के पूर्व प्राध्यापक प्रो. यूसी मिश्रा, एचएस कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक डॉ. लखन लाल पांडेय, तथा अन्य वक्ताओं ने कहा कि, मानव विकास की निरंतर यात्रा के साथ साहित्य और भाषा का भी निरंतर विकास होता रहता है। वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि, साहित्य समाज को आकार देता है, परंतु वह स्वयं भी समाज में हो रहे परिवर्तनों से प्रभावित होता है। इसलिए साहित्य को समय के साथ बदलती सामाजिक परिस्थितियों और विचारधाराओं के प्रति सजग रहना चाहिए। वहीं, कुलपति ने रेखांकित किया कि, समकालीन अंग्रेजी साहित्य अधिक अंतर्विषयक और समावेशी हो गया है। तकनीकी हस्तक्षेप और बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों ने अंग्रेजी भाषा को भी नया स्वरूप प्रदान किया है।
संवादात्मक और जीवंत वातावरण में हुआ आयोजन : प्रो. बीसी पांडेय:
सेमिनार के संयोजक एवं स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. बीसी पांडेय ने कहा कि, दो दिवसीय सेमिनार के दौरान संवादात्मक और जीवंत वातावरण का निर्माण हुआ। उन्होंने बताया कि, इस आयोजन का एक प्रमुख उद्देश्य नवस्थापित विश्वविद्यालय के छात्रों को शैक्षणिक अनुसंधान एवं साहित्यिक विमर्श की प्रक्रियाओं से परिचित कराना था। उन्होंने इस संगोष्ठी को छात्रों और शोधार्थियों के लिए एक प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम की संज्ञा दी, जिसमें प्रतिभागियों ने अकादमिक कार्यशैली को प्रत्यक्ष रूप से देखा और अनुभव किया। उन्होंने सेमिनार की सफलता के लिए कुलपति प्रो. संजय कुमार का विशेष धन्यवाद व्यक्त किया और आयोजन में सक्रिय सहयोग देने वाले कुलसचिव कर्नल विजय कुमार ठाकुर एवं सलाहकार समिति के अन्य सदस्यों की भी सराहना की।
सेमिनार के सफल संचालन में डॉ. तौसीफ मोहसिन, डॉ. एएस पॉली, डॉ. पीआर तिवारी, एके पॉल, डॉ. तबारक सहित विभाग के अन्य स्थायी और अतिथि शिक्षकों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सोशल साइंस संकाय के डीन प्रो. देवराज सुमन तथा विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्यों ने भी आयोजन को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। समापन सत्र का सफल संचालन डॉ. प्रियरंजन तिवारी ने किया।
'मीट द ऑथर' सत्र में प्रो. विकास शर्मा के साथ हुआ संवाद:
सेमिनार के 'मीट द ऑथर' सत्र में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर और 'एसोसिएशन फॉर इंग्लिश स्टडीज ऑफ इंडिया' के महासचिव, सुप्रसिद्ध उपन्यासकार सह कवि प्रो. विकास शर्मा से प्रतिभागियों ने ऑनलाइन संवाद किया। संवाद के दौरान प्रो. शर्मा ने कहा कि, समकालीन अंग्रेजी अध्ययन अब पारंपरिक शैलियों, भौगोलिक सीमाओं और अध्ययन विधियों की सीमाओं को पार कर चुका है। बदलते सांस्कृतिक, तकनीकी और शैक्षणिक परिदृश्यों के साथ अंग्रेजी भाषा और साहित्य भी सतत विकासशील हैं। उन्होंने कहा कि, आज का साहित्य अधिक समावेशी, नवाचारी और वैश्विक दृष्टिकोण वाला बन रहा है, जो एक आपस में जुड़ी हुई दुनिया की यथार्थ तस्वीर प्रस्तुत करता है।
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