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शिवरात्रि पर शिव-पार्वती विवाह की तैयारी पूरी, मंदिर के सजावट का चल रहा

महाशिवरात्रि को लेकर तारापुर के विभिन्न शिव मंदिरों में पूजा और शिव-पार्वती विवाह की तैयारी पूरी हो गई है। बाबा रत्नेश्वरनाथ मंदिर, जो प्राचीन है, की विशेष मान्यता है कि यहाँ पूजा करने से भक्तों की...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुंगेरTue, 25 Feb 2025 01:42 AM
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शिवरात्रि पर शिव-पार्वती विवाह की तैयारी पूरी, मंदिर के सजावट का चल रहा

तारापुर, निज संवाददाता। महाशिवरात्रि को लेकर तारापुर के उल्टास्थान महादेव मंदिर, बाबा रत्नेश्वर नाथ महादेव मंदिर रणगांव, बाबा बिर्नोधानाथ महादेव मंदिर माधोडीह, शिव मंदिर बेलबिहमा, देवगांव सहित दर्जनों शिव मंदिरों पूजा एवं शिव- पार्वती विवाह की तैयारी पूरी कर ली गयी है। मंदिरों के रंग-रोगन के बाद अब सजावट का काम भी चल रहा है। तारापुर अनुमंडल के रणगांव स्थित बाबा रत्नेश्वर नाथ मंदिर अति प्राचीन शिव मंदिरों में एक है। मान्यता है कि रत्नेश्वर महादेव की पूजा से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने के साथ ही कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल जाती है। यही कारण है कि कुष्ठ रोगी भी यहां पूजा करने आते हैं।

इस मंदिर के स्थापना के संबंध में कुछ वैचारिक मतभेद है। कुछ लोगों का कहना है कि यह मंदिर पालकालीन है। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि रणगांव मंदिर का शिवलिंग अंकुरित है। बहुत पहले रति नामक किसान हल से खेत की जुताई कर रहा था। अचानक हल शिला में अड़ गया एवं शिला से रक्तश्राव होने लगा। रक्तश्राव होते देख किसान डर गया। उसने इसकी सूचना ग्रामीणों व साधु संतों को दी। संतों की मौजूदगी में खुदाई कराई गई, तो शिवलिंग निकला। आज भी शिवलिंग में हल से कटे का निशान है। रति किसान को लोग रत्नेश्वर कह कर बुलाने लगे। उसी के नाम पर रत्नेश्वर महादेव का नामांकरण किया गया। मंदिर के संबंध में एक कथा यह भी प्रचलित है कि इस स्थल पर राजा खदेड़िया का मुगलों के साथ युद्ध हुआ था। राजा खदेडिया ने जीत की खुशी में 1203 में मंदिर का निर्माण करवाया।

मंदिर की विशेषता: बाबा रत्नेश्वरनाथ मंदिर की आकृति एवं प्रांगण का स्वरूप बाबाधाम एवं बासुकीनाथ से मिलता जुलता है। इसी कारण लोग बाबा रत्नेश्वर मंदिर को सिद्धपीठ मानते हैं। मंदिर के उत्तर एक शिवगंगा है, जहां श्रद्धालु स्नान करने के बाद मंदिर में पूजा करते हैं। भागलपुर जिला निवासी लखनपुर के कायस्थ जाति उस वक्त राजा के दीवान हुआ करते थे। राजा ने उन्हें जिम्मेवारी दी थी कि शिवरात्रि में वह लखनपुर से बाबा रत्नेश्वरनाथ का बारात लाएंगे। जिसका पालन अभी भी कायस्थ परिवार के द्वारा किया जा रहा है। अब अन्य लोग भी बारात में शामिल होने लगे हैं।

क्या कहते हैं मंदिर से जुड़े लोग:

पुजारी भवेश पंडा, सदस्य चंदर सिंह राकेश, पूर्व जिला परिषद सदस्य निरंजन मिश्रा, पूर्व मुखिया अंबिका पंडा, अजय झा, किशोर कुमार यादव आदि ने कहा कि मंदिर की व्यवस्था का संचालन धार्मिक न्यास परिषद की ओर से गठित समिति करती है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां एक माह का मेला लगता है। महाशिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में लोग पूजा के लिए आते हैं।

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