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बेहिसाब ई-रिक्शा, पर स्टैंड नहीं संकरी सड़क पर घुटने लगता दम

मोतिहारी शहर में वाहनों की संख्या और अतिक्रमण के कारण पार्किंग और टेम्पो पड़ाव की कमी से लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ई-रिक्शा का बेवजह संचालन और स्कूल बसों के कारण जाम की समस्या बढ़...

Newswrap हिन्दुस्तान, मोतिहारीSat, 15 Feb 2025 06:31 PM
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बेहिसाब ई-रिक्शा, पर स्टैंड नहीं संकरी सड़क पर घुटने लगता दम

मोतिहारी।शहर में बेहिसाब वाहनों की संख्या और अतिक्रमण के बीच पाार्किंग व टेम्पो पड़ाव नहीं होने से लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। लाखों की आबादी वाले शहर में मात्र एक वेंडिंग जोन व एक पार्किंग है। शहर की मुख्य और अन्य सड़कों पर ठेला, खोमचा वाले अपनी दुकान खोल रहे हैं। संकरी होती सड़कों पर गाड़ियों के बोझ से लोगों का दम घुटने लगा है। सिटीजन फोरम के सदस्यों का कहना है कि अधिकारी इन समस्याओं का हल ढंूढ़ने में कोई रुचि नहीं दिखाते। बड़े स्कूल बसों व कचरा उठाने वाली गाड़ी से लगता है जाम: सिटीजन फोरम ऑफ मोतिहारी के सदस्य अंगद सिंह, ई.अजय आजाद, अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि जाम के कारणों का प्रशासन समीक्षा करे व सार्थक हल ढूंढ़े। सबसे अधिक जाम सुबह में व दोपहर ढाई बजे के बाद से शाम चार बजे तक लगता है। शहर में कई बड़े स्कूल हैं, जिसमें छात्रों की संख्या डेढ़ हजार से अधिक है। उन विद्यालयों की छुट्टी के बाद एक साथ बसों के शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रवेश के कारण जाम लग जाता है। उक्त स्कूलों की छुट्टी के समय में अंतराल होने पर जाम से राहत मिल सकती है। निगम के सफाईकर्मी भी शहर के मुख्य सड़कों पर कचरा उठाव वाले वाहनों को खड़ा कर देते है। कई चौक-चौराहों पर एक साथ सफाई वाली गाड़ी व स्कूल बसों के कारण जाम लग जाता है। निगम सफाई का समय निर्धारित कर कचरा वाली गाड़ी का इस्तेमाल करे को थोड़ी राहत मिल सकती है।

शहर में क्षमता से अधिक संचालित हो रहे ई-रिक्शा: प्रत्येक सड़क के निर्माण के साथ ही उसकी क्षमता का भी निर्धारित होता है। प्रतिदिन वाहनों के परिचालन के अनुमान के साथ सड़क की गुणवता रखी जाती है। शहर में जाम का मुख्य कारण ई-रिक्शा को माना जा रहा है। बेलगाम संचालित ई-रिक्सा के कारण आए दिन दुर्घटनाएं भी होती हैं। सिटीजन फोरम की अध्यक्ष बिंटी शर्मा, सदस्य कौशल किशोर सिंह, सुधीर गुप्ता ने बताया कि शहर में ई-रिक्सा का कोई रुट निर्धारण नहीं किया गया है। सभी ई-रिक्सा पर रुट नंबर लिखा जाए। ई-रिक्शा व ऑटो चालक कहीं भी वाहन खड़ी कर देते हैं। उनके पड़ाव स्थल का निर्धारण जिला प्रशासन के स्तर से होना चाहिए। संस्थापक अध्यक्ष विरेंद्र जालान ने कहा कि शहर में एक समान फूटपाथ बनाया जाए। शहर के मधुबन छावनी चौक से सत्याग्रह चौक तक मॉडल एरिया के रुप में विकसित करने की जरुरत है। एनएच किनारे कचरा डिस्पोजल से बिमारी फैल रही है।

प्रशासन के नाक के नीचे होता है अतिक्रमण:

प्रशासन के नाक के नीचे अतिक्रमण होने का भी आरोप लगा है। फोरम के सदस्य सतीश टंडन, संध्या चौधरी ने कहा है कि जब अतिक्रमण हो रहा होता है तो प्रशासन उसपर ध्यान नहीं देती है। अतिक्रमण के बाद उसे खाली कराने में सरकार का पैसा भी बर्बाद होता है तथा परेशानी भी होती है। शहर में अतिक्रमण हटाने के लिए हर वर्ष लाखों रुपए तक खर्च किए जाते हैं। अतिक्रमण हटाने के बाद प्रशासन के जाने के साथ ही अतिक्रमणकारी दुबारा दुकान लगा देते हैं। सुझाव

1. शहर के अतिक्रमित क्षेत्र को प्रशासन के द्वारा चिह्नित करने की आवश्यकता है और उसे समय पर अवैध कब्जा से मुक्त कराने की जरूरत है।

2. शहर में ई रिक्शा का रूट चार्ट का निर्धारण हो। रूट चार्ट के अनुसार ही सभी ई-रिक्शा का संचालन प्रशासन सख्ती से कराए।

3. ई -रिक्शा व ऑटो का पड़ाव स्थल के लिए नये सिरे से स्थान चिह्नित किया जाये। इससे यत्र तत्र टेम्पो खड़ाकर यात्री को बैठाने पर विराम लगेगा।

4. पन्द्रह सौ से अधिक छात्र व छात्राओं की क्षमता वाले स्कूल की छुट्टी के समय में आधा घंटे का अंतराल हो। इससे सड़कों पर दबाव नहीं बनेगा।

5. शहर में वेंडिंग जोन नये सिरे से बनाया जाये ताकि फुटपाथ पर अवैध कब्जा करने वाले वेंडरों को व्यवसाय के लिये उचित स्थान मिल सके

शिकायतें

1.अतिक्रमण के शुरुआती दौर में प्रशासन नजरअंदाज करता है। बाद में अवैध कब्जा को हटाने में प्रशासन को भी झेलना पड़ता है।

2. शहर में क्षमता से अधिक ई-रिक्शा का संचालन हो रहा है। इसकी समीक्षा डीटीओ स्तर पर नहीं होती। ई-रिक्शा की संख्या बेहिसाब बढ़ रही है।

3. शहर में टेम्पो पड़ाव चिन्हित नहीं होने से ई-रिक्शा वालों की मनमानी चलती है। बीच रोड से मोड़ देना या कहीं रोक यात्री बैठाने लगते हैं।

4. कचरा उठाव करने वाली गाड़ियों का कोई समय निर्धारित नहीं है। कार्यालय व स्कूल समय पर ही कचरा उठाव गाड़ी खड़ी होने से जाम लगता है।

5. सड़क किनारे नगर निगम का कचरा डंपिंग होने से दुर्गन्ध के साथ संक्रमण फैलता है। आम लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार होते हैं।

बिना नक्शा पास बन रहा मकान

नगर निगम क्षेत्र में बगैर नक्सा पास कराए निर्माण कार्य हो रहा है। शहर के बड़े प्रतिष्ठानों के पास कोई पार्किंग एरिया नहीं है, साथ ही मोहल्लों में भी बगैर प्लान के घरों का निर्माण हो रहा है। शहर की कई गलियां काफी संकीर्ण हैं। आपात की स्थिति में एंबुलेंस, अग्निशमन की गाड़ियां भी नहीं जा सकती है। इससे जानमाल के खतरे की भी आशंका बनी रहती है। शहर की कई गलियों में सड़क की चौड़ाई महज चार, छह या आठ फीट का है। इसके कारण आमजनों को काफी परेशानी होती है। बिल्डिंग बाइलॉज का पालन नहीं हो रहा है। शहर में कई जगहों पर होटल, मॉल आदि बड़े भवनों का निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है। लेकिन उनके पास पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। पार्किंग नहीं रहने से ग्राहक अपने वाहन को सड़क पर ही खड़ा करते हैं। इससे ट्रैफिक की समस्या भी होती है। नक्शा तो पास करा लिया जाता है, लेकिन नक्शा के मुताबिक भवन निर्माण कार्य नहीं कराया जाता। इसके सुपरविजन की जरूरत है, जहां भी नक्शा के अनुसार निर्माण कार्य नहीं हो रहा है। वहां अविलंब जुर्माना व कार्रवाई की जरुरत है। नगर निगम को इस पर सकारात्मक पहल करनी चाहिए।

मुख्य पथ का एरिया मॉडल बनाएं

फोरम के सदस्यों ने कहा कि शहर के मुख्य बाजार के अतिक्रमण को हटाकर मधुबन छावनी चौक से सत्याग्रह चौक तक मॉडल एरिया बनाया जाए, ताकि इसकी सुंदरता बढ़ जाए। अतिक्रमण मुक्त कराकर इसके दोनों ओर फूलों के गमलों से सजाया जाये ताकि बाहर से शहर में आने वाले लोगों को सुन्दरता के साथ आकर्षण भी बढ़े। साथ ही आमजनों को आनेजाने में परेशानी नहीं हो तथा व्यवसायियों का रोजगार भी प्रभावित ना हो। इसके साथ ही कई बड़े दुकानदारों के द्वारा अपने प्रतिष्ठान के आगे अपनी दुकान का सामान फैला देते हैं और जगह बचने पर ठेला व खोमचे लगवाकर उससे अवैध राशि वसूल की जाती है। जबकि ग्राहकों के द्वारा बाइक या अन्य वाहन खड़ा करने पर उससे जुर्माना ट्रैफिक पुलिस वसूल करती है। लेकिन बड़े दुकानदारों द्वारा कराये गये अतिक्रमण वाले ठेला खोमचे से जुर्माना

वसूलने की कार्रवाई होनी चाहिए। शहर का मुख्य पथ व्यवसाय के आधे समय ट्रैफिक जाम से जूझता रहता है। खासकर महिला ग्राहकों को परेशानी उठानी पड़ती है। सड़क के किनारे अवैध कब्जा करने वालों पर ट्रैफिक पुलिस को सख्ती करने की जरुरत है।

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