Hindi NewsBihar NewsMotihari NewsStruggling Sculptors in Bihar Demand Government Support for Artisans Welfare

मूर्तिकारों को चाहिए स्थाई बाजार सब्सिडी पर लोन और बीमा सुविधा

बिहार के मूर्तिकार अपने पारंपरिक पेशे में संघर्ष कर रहे हैं। परिवार के सदस्य आर्थिक तंगी के कारण बच्चों को भी काम में लगाते हैं। मूर्तिकारों का कहना है कि उन्हें सरकारी सहायता और स्थाई बाजार नहीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, मोतिहारीSat, 22 Feb 2025 05:30 PM
share Share
Follow Us on
मूर्तिकारों को चाहिए स्थाई बाजार सब्सिडी पर लोन और बीमा सुविधा

शहर के मूर्तिकार अपने पुश्तैनी पेशे को आगे बढ़ाते आ रहे हैं। पूरा परिवार मिलकर रोजी-रोटी के लिए संघर्ष करता है। पढ़ने-लिखने की उम्र में बच्चे भी काम में हाथ बंटाते हैं, तब जाकर जीवनयापन हो पाता है। बिहार कुम्हार प्रजापति समन्वय समिति, पूर्वी चंपारण के अध्यक्ष उदय कुमार पंडित व सचिव राम एकबाल पंडित ने बताया कि जिले में 200 से अधिक छोटे-बड़े मूर्तिकार हैं। वहीं, शहर में 60 से अधिक मूर्तिकार इस कला से जुड़े हैं। मूर्तिकार अपने काम से संतुष्ट नहीं हैं। कई परेशानियों को झेलते हुए भी पुश्तैनी पेशा को महज ढो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मूर्तिकारों को सरकार की ओर से कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता है। इस कला को कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाता तो यहां के कलाकार मूर्तियों के साथ मोतिहारी की पहचान भी गढ़ पाते।

सौ साल में भी नहीं बदले हालात : मूर्तिकार रामायण पंडित, हरिश्चंद्र पंडित, मनोज पंडित, विनोद पंडित, हरेंद्र पंडित, रामबाबू पंडित, राजेंद्र पंडित आदि ने बताया कि 60 से अधिक लोग शहर में मूर्तिकला से जुड़े हुए हैं। मूर्तिकला में पुरुष के साथ घर की महिलाएं भी निपुण हैं। मूर्तिकार रामायण पंडित ने बताया कि सौ वर्ष से अधिक समय से हमलोगों का परिवार इस पेशे से जुड़ा है, मगर हमलोगों की आर्थिक स्थिति दिनों-दिन खराब होती जा रही है। एक सदी बाद भी उनके हालात नहीं बदले। जिस प्रकार किसान ईश्वर पर भरोसा कर खेती करते हैं, उसी प्रकार हम मूर्तिकार ईश्वर से प्रार्थना कर प्रतिमा निर्माण करते हैं। कभी-कभी तो बनी हुई प्रतिमाएं नहीं बिक पातीं। इसमें हजारों का नुकसान उठाना पड़ता है। पूर्वजों के समय के संसाधन से आज भी प्रतिमाएं बना रहे हैं।

मूर्ति बिक्री के लिए शहर में तय जगह नहीं : 70 वर्षीय असर्फी पंडित ने कहा कि सरकार की ओर से मूर्तिकारों को प्रोत्साहन व समय-समय पर प्रशिक्षण देना चाहिए। आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराने से भी मूर्तिकारों की स्थिति में काफी सुधार होता। मूर्ति बनाने के बाद भी बिक्री के लिए शहर में स्थाई बाजार नहीं है। मूर्तिकारों को न तो स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलता है, न ही परिवार को आर्थिक मदद दी जाती है। आज हमारे परिवार को कोई देखनेवाला नहीं है।

50 प्रतिशत अनुदान पर दस लाख का लोन मिले :

बिहार कुम्हार प्रजापति समन्वय समिति, पूर्वी चंपारण के अध्यक्ष उदय कुमार पंडित, सचिव राम एकबाल पंडित व प्रदेश युवा प्रवक्ता सुरेश कुमार प्रजापति ने कहा कि सरकार अगर उद्यमी योजना के तहत दस लाख का ऋण 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराए तो मूर्तिकारों की दशा सुधर सकती है। विश्वकर्मा योजना लागू हुए एक वर्ष बीत गए, मगर अबतक मूर्तिकारों की अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया है। विश्वकर्मा पूजा, गणेश पूजा, दुर्गा पूजा, दिवाली आदि त्योहारों में प्रतिमाओं की मांग अधिक रहती है। सरकार के अधिकारी शहर से लेकर गांव तक के मूर्तिकारों को चिह्नित कर उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ें तो उनकी स्थिति में सुधार आए।

सुझाव

1.मूर्तिकारों के परिवार को शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार देने पर सरकार ध्यान दे। इससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकेगा।

2.मूर्तिकारों को सरकारी जमीन से मुफ्त में मिट्टी खुदाई करने की अनुमति प्रदान की जाए। उद्यमी योजना के तहत 10 लाख का ऋण मिले।

3.मूर्तिकारों के परिवार को सरकार दस लाख की बीमा सुविधा प्रदान करें। साथ ही अनुदान पर लोन व प्रोत्साहन भी देना चाहिए।

4.मूर्तिकारों के लिए नगर प्रशासन स्थाई जगह उपलब्ध कराए, जहां प्रतिमाओं की बिक्री सुगमता से हो सके। इससे मूर्तियां बेचने में सुविधा होगी।

5.मिट्टी कला आयोग का गठन किया जाए। इससे अनुदान पर लोन व सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में मूर्तिकारों को सुविधा होगी।

शिकायतें

1.मां शारदे की प्रतिमा बनानेवालों के बच्चे शिक्षा से दूर हो रहे हैं। सरकार पूजा के समय ही परीक्षा की तिथि निर्धारित कर देती है।

2.सरकारी योजना का ज्यादातर लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है। सरकारी अनुदान पर लोन व कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता

3.मूर्तिकारों को बीमा का लाभ नहीं मिलता है। इससे उनके आश्रितों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। सरकारी प्रोत्साहन भी नहीं मिलता है।

4.मूर्तिकारों को सरकार की ओर से स्थाई बाजार तक उपलब्ध नहीं कराया गया है। इससे कई बार मूर्तियां बारिश में विनष्ट भी हो जाती हैं।

5.निर्माण सामग्री का मूल्य काफी बढ़ गया है। इससे प्रतिमा बनाने में खर्च बढ़ जाता है। ग्राहक सही दाम नहीं देते हैं।

महंगी सामग्री खरीदकर सस्ते में प्रतिमा बेचते हैंमूर्तिकार

मोतीलाल पंडित, मुकेश पंडित, अशोक पंडित, सुखाड़ी पंडित, दशरथ पंडित, जयराम पंडित, अशोक कुमार ने बताया कि महंगाई चरम पर है। बांस, मिट्टी, सुतली, पुआल, चट्टी आदि के साथ पेंट की कीमत आसमान छू रही है, फिर भी हमलोग सस्ती दर पर प्रतिमा उपलब्ध कराते हैं। सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिलती। महंगी सामग्री खरीदकर सस्ती दर पर प्रतिमा बेचना मजबूरी है। इससे परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। मूर्तिकारों का कहना था कि हमारा समाज हाशिये पर है। सरकार हमलोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को लेकर विशेष ध्यान दे तो हमारी हालत बेहतर हो।

यहां से सीखे कलाकार दूसरे राज्यों में हैं खुशहाल मूर्तिकार

रामायण पंडित ने बताया कि यहां के मूर्तिकारों को मेहनत का सही दाम नहीं मिलता है। मूर्ति निर्माण अब महंगा हो गया है, पर खरीदार उचित दाम नहीं देते हैं। इस कारण यहां से काम सीखकर मूर्तिकार दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं। अधिकतर मूर्तिकार बंगाल में प्रतिमा निर्माण कर खुशहाल हैं। मगर, हमलोग महंगाई के बोझ तले दबे हुए हैं। प्रतिमा का सही दाम नहीं मिल पाता है। इस पेशे में समस्याओं की कमी नहीं है। मूर्ति का व्यवसाय काफी घाटे में चल रहा है। दर्जनों लेबर काम करते हैं, लेकिन कभी-कभी उनलोगों को घर से मजदूरी देना पड़ता है। सरकार हमलोगों पर ध्यान दें, जिससे सालोभर काम चलता रहे।

शिक्षा व रोजगार पर हो ध्यान, आत्मनिर्भर बनाए सरकार

बिहार कुम्हार प्रजापति समन्वय समिति के जिलाध्यक्ष उदय पंडित ने कहा कि शहर से लेकर गांव तक के मूर्तिकार बदहाली का जीवन जी रहे हैं। उनके पास उतने पैसे नहीं कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकें। मजबूरन वे इसी पेशे में अपने बच्चों को लाने को मजबूर हैं। सरकार मूर्तिकारों को सस्ता ऋण सुविधा और बीमा का लाभ दे तो उनका परिवार कभी आर्थिक तंगी का शिकार नहीं होगा। सरकारी प्रोत्साहन से ही मूर्तिकारों का विकास होगा। जिले में 200 से अधिक मूर्तिकार हैं। इनमें शायद ही कोई आर्थिक रूप से सक्षम हो। अधिकतर लोग कर्ज में डूबे हुए हैं, जिसके कारण उनके परिवार की शिक्षा का स्तर काफी खराब है। इस समुदाय की शिक्षा व रोजगार पर ध्यान दिया जाए।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें