आम-लीची के पेड़ों में मंजर नहीं आने से मधुबन के बगीचे मालिकों में छायी मायूसी
मधुबन में किसान लीची और आम के पेड़ों के मंजर न आने से निराश हैं। फरवरी के तीसरे सप्ताह के बाद भी केवल 10% लीची और 2% आम के पेड़ों पर मंजर आया है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, यह समस्या जमीन में नमी की...
मधुबन,निज संवाददाता। लीची व आम के पेड़ों में अनुकूल समय में मंजर नहीं आने से किसान व बगीचे के मालिकों के चेहरे पर मायूसी छा गयी है। फरवरी माह का तीसरा सप्ताह बीत गया। किंतु अभी तक 10 प्रतिशत लीची व 2 प्रतिशत आम के पेड़ों पर मंजर आया है। किसान रामनाथ राय, शशांक शिवेन्द्र, आनंदी महाजन, गुड्डू केडिया, नरेन्द्र कुमार अकेला आदि बताते हैं कि आम व लीची के पेड़ों पर मंजर नहीं आने के पीछे कृषि वैज्ञानिक जमीन में नमी का नहीं होना कारण बता रहे हैं। वर्ष 2024 में वर्षा काल के अंतिम दो माह में बारिश अपर्याप्त मात्रा में हुई। तापमान के अनुकूल नहीं होने, उच्च आर्दता स्तर में कमी होने व जमीन में नमी नहीं होने से बगीचे में आम व लीची की फसल में मंजर देखने को नहीं मिल रहा है। किसान आम व लीचे के बगीचे की सिंचाई करने में जुट तो गए हैं। किंतु हर जगह सिंचाई का साधन उपलब्ध नहीं है। कृषि विभाग के अनुसार मधुबन प्रखंड में 1479 एकड़ में आम व 1689 एकड़ में लीची की फसल है। पेड़ों में मंजर आने के लिए किसान बगीचे में दवाओं का छिड़काव भी शुरू कर दिए हैं। बीएओ प्रभात ने बताया कि आम लीची के मंजर विहीन पेड़ों पर सल्फर व कीटनाशक दवा छिड़कने की सलाह किसानों को दी जा रही है। साथ ही बगीचे वाली जमीन में पर्याप्त सिंचाई की जरूरत है। मौसम अनुकूल नहीं होने से पेड़ों में मंजर नहीं आने की शिकायत मिल रही है।
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