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गोदामों से कम मिलता राशन, बाट सत्यापन को देना होता नजराना

बिहार में जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) दुकानदारों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सरकार द्वारा निर्धारित कमीशन और गोदाम की कमी के कारण वे आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे हैं। पीडीएस विक्रेताओं ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, मोतिहारीThu, 13 Feb 2025 11:27 PM
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गोदामों से कम मिलता राशन, बाट सत्यापन को देना होता नजराना

रीबों के कल्याण व भरण-पोषण के लिए सरकार द्वारा स्थापित जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) दुकानों का समाज पर काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है। सरकार की योजनाओं के अनुसार, गरीबों को मुफ्त और कम दरों पर अनाज मुहैया कराने की अहम जिम्मेवारी पीडीएस विक्रेताओं पर है। गरीबों के बीच राशन वितरण के लिए एसएफसी गोदाम से सभी पीडीएस दुकानदारों को खाद्यान्न मुहैया कराया जाता है। जिले में 2757 जन वितरण प्रणाली की दुकानें हैं। इसके पैक्स के माध्यम से संचालित पीडीएस दुकान भी शामिल हैं। पीडीएस दुकानदारों को दुकान संचालन में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। फेयर प्राइस डीलर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष कमलेश कुमार उर्फ सोनू गुप्ता कहते हैं कि पीडीएस दुकानों के संचालन के लिए सरकार के कुछ नियम उन्हें आर्थिक और मानसिक रूप से कमजोर कर रहा है। पीडीएस विक्रेताओं को गरीबों के बीच राशन वितरण के लिए सरकार द्वारा मुहैया कराया जा रहा अनाज के रखरखाव के लिए गोदाम उपलब्ध नहीं कराया गया है। वे लोग अपने स्तर से खाद्यान्न रखने की व्यवस्था करते हैं, पर उन्हें गोदाम का भाड़ा नहीं मिलता है। उचित मेहनताना भी नहीं मिल रहा है। सरकार द्वारा 90 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कमीशन दिया जाता है। एक डीलर को महीने में तीन से पांच हजार तक कमीशन मिलता है। महंगाई के इस दौर में आखिर पांच हजार रुपये में डीलरों का परिवार खर्च कैसे पूरा होगा।

फेयर प्राइस डीलर एसोसिएशन के मोतिहारी प्रखंड अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह, सचिव प्रदीप सरकार, मंटू कुमार, सुरेश कुमार, विनय कुमार व बीरेन्द्र प्रसाद आदि पीडीएस दुकानदारों ने कहा कि हमें कमीशन नहीं प्रतिमाह 30 हजार रुपये का मानदेय मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीडीएस दुकानदारों की समस्याओं के निराकरण के लिए फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन ने कई बार प्रशासन व सरकार का दरवाजा खटखटया मगर अभी तक कोई पहल नहीं हुई। सरकार से व्यवस्थाएं सुदृढ़ करने और मेहनताना बढ़ाने की मांग की, लेकिन अब तक समस्या बकरार है। न व्यवस्था सुधरी और न ही मानदेय दिया गया। कहते हंै कि सभी पीडीएस विक्रेता शोषण के शिकार हैं। बावजूद इसके समय पर गरीबों के बीच राशन वितरण की अपनी जिम्मेवारी पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं।

पीडीएस विक्रेता ओमप्रकाश, बसंत कुमार, गोपाल यादव, सुरेश कुमार व कमल कांत ने बताया कि पूरे देश में वन नेशन वन कार्ड लागू है। देशभर के पीडीएस दुकानदार जब एक ही काम करते हैं, तो भुगतान अलग-अलग क्यों है। पूरे देश में जनवितरण प्रणाली के दुकानदारों को क्विंटल की दर से अधिक कमीशन मिलता है। जबकि बिहार में डीलरों को प्रति क्विंटल मिलने वाला कमीशन दूसरे राज्यों की तुलना में कम है। पीडीएस दुकानदार तौहीद अहमद, तुलसी साह, मदन प्रसाद, मिथुन कुमार व हरिमोहन राय कहते हैं कि पूर्व में पीडीएस विक्रेताओं के लिए अनुकंपा और निलम्बन प्रक्रिया लागू थी, जिसे हटा दिया गया है। इसे पुन: बहाल कराने सहित अन्य आठ सूत्री मांगों को लेकर संघ पूरे बिहार में धरना-प्रदर्शन कर रहा है।

सुझाव:

1. कमीशन के बदले प्रतिमाह 30 हजार रुपये मानदेय मिले। वन नेशन वन कार्ड है, तो मानदेय भी सभी राज्यों में एक समान होना चाहिए।

2. गोदाम से वजन की व्यवस्था को सुदृढ़ करना होगा। पीडीएस दुकानारों को गोदाम से राशन का वजन कम मिलता है।

3. समय से राशन का आवंटन होना चाहिए। गोदाम से समय पर राशन का आंवटन नहीं मिलने से राशन वितरण में परेशानी बढ़ जाती है।

4. खाद्यान्न के लिए हर डीलर के पास दो स्टोर रूम होना चाहिए। अनाज रखने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। गोदाम का किराया भी नहीं मिलता।

5. जविप्र विक्रेता के नॉमिनी को भी न्यूनतम मजदूरी मिलनी चाहिए। विभाग से राशन अनलोडिंग के लिए पलदारों को मजदूरी मिलनी चाहिए

शिकायतें:

1. जनवितरण प्रणाली के दुकानदारों को बाट सत्यापन के लिए मापतौल विभाग को नजराना देना पड़ता है।

2. गोदाम से सही वजन से कम राशन मिलता है। कभी-कभी राशन की बोरी में चावल व गेहूं मिक्स रहता है। इससे आर्थिक नुकसान होता है।

3. राशन का उठाय समय पर नहीं कराया जाता है। समय से राशन का वितरण नहीं होने पर कई बार कुछ लाभुकों का राशन लैप्स हो जाता है।

4. डीलरों को अपने घर में राशन रखना पड़ता है। विभाग से कोई गोदाम उपलब्ध नहीं कराया जाता। गोदाम का भाड़ा भी नहीं दिया जाता है।

5. नॉमिनी को न्यूनतम मजदूरी तक नहीं मिलती। गोदाम से राशन उठाव के बाद अनलोडिंग के लिए पालदारों के लिए भी मजदूरी नहीं दी जाती है।

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