50 हजार में मां ने बेटी को वेश्यावृत्ति के लिए बेचा, कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा; 66 दिनों में फैसला
- सरकारी वकील एपीपी राजा नंद पासवान ने बताया कि रानीगंज प्रखंड की इस महिला ने अपनी बेटी को मो सहारूल उर्फ सोनू के हाथ बेचकर 50 हज़ार रुपये में बेच दियाथा। आरोपी मां ने अपने खाता मे ट्रांसफर करवाया था। मो सहारूल उर्फ सोनू ने वेश्यावृत्ति के लिए बच्ची को खरीदा था।

बिहार के अररिया में महज पचास हजार में 7 साल की बेटी को बेच दिया। कोर्ट ने आरोपी मां समेत चार को उम्र कैद की सजा सुनाई है। स्पीडी ट्रायल के तहत शनिवार को बच्ची को वेश्यावृत्ति के लिए बेचने का मामला प्रमाणित होने पर न्याय मण्डल अररिया के जिला एवं प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी ने बच्ची की मां सहित चार अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा का फैसला दिया। प्रत्येक आरोपी को कारावास की सज़ा के अलावा विभिन्न धाराओं में 05 लाख 90 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह सजा एसटी 628/2024 रानीगंज 328/2024 में सुनायी गयी है।
सज़ा पाने वाली बच्ची की मां रानीगंज प्रखंड के एक गांव की रहनेवाली है जबकि अन्य अभियुक्तों में मो सहारूल उर्फ सोनू पिता इलयास मधेपुरा जिले के लक्ष्मीपुर भगवती वार्ड 10, शाह मजहर पिता शाह मंजूर मुंबई के हिंगोली और जहाना खातुन पति शाह मजहर मधेपुरा जिले के लक्ष्मीपुर भगवती वार्ड 10 की रहनेवाली है। कोर्ट का फैसला मात्र 66 दिनों में आया है। समाज में इसकी जोर शोर से चर्चा हो रही है।
मामले की जानकारी देते हुए सरकारी वकील एपीपी राजा नंद पासवान ने बताया कि रानीगंज प्रखंड की इस महिला ने अपनी बेटी को मो सहारूल उर्फ सोनू के हाथ बेचकर 50 हज़ार रुपये में बेच दियाथा। आरोपी मां ने अपने खाता मे ट्रांसफर करवाया था। मो सहारूल उर्फ सोनू ने वेश्यावृत्ति के लिए बच्ची को खरीदा था।
इस मामले में रानीगंज थाना कांड संख्या 328/2024 दर्ज किया गया था। केस के आइओ की तत्परता से कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुआ। जहां न्यायालय के न्यायधीश ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 93, 98, 99, 111(5) व 143(4) के तहत संज्ञान लिया था। आरोपियों के विरुद्ध आरोप गठन 20 नवंबर 2024 को किया गया था। आरोप गठन के पश्चात एसपी के निर्देश पर गठित अभियोजन कोषांग (स्पीडी ट्रॉयल ) के पुलिस निरीक्षक आसिफ बेग व सब इंस्पेक्टर प्रकाश चन्द्र दुबे ने त्वरित कार्यवाही कर सरकारी गवाहों को न्यायालय में प्रस्तुत किया। गवाहों के बयान से संतुष्ट होकर न्यायालय के न्यायधीश श्री तिवारी ने सभी आरोपियों को दोषी पाया। बचाव पक्ष से अधिवक्ता केएन विश्वास व एलएडीसी चीफ विनय ठाकुर (अधिवक्ता) ने अपने पक्ष रखे।