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दिनकर की रचनाओं पर चर्चा कर साहित्कारों ने अर्पित की श्रद्धांजलि

मधुबनी में राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर की पुण्यतिथि मनाई गई। कार्यक्रम में दिनकर के साहित्य में योगदान पर चर्चा की गई और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सभी ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधुबनीSun, 27 April 2025 01:55 AM
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दिनकर की रचनाओं पर चर्चा कर साहित्कारों ने अर्पित की श्रद्धांजलि

मधुबनी, नगर संवाददाता। ‘राष्ट्र जागरण धर्म हमारा ध्येय को समर्पित राष्ट्रीय कवि संगम एवं हिन्दी साहित्य समिति मधुबनी के तत्वावधान में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पुण्यतिथि मनाई गई। आध्यात्मिक कवि भोलानंद झा के बाबू साहेब चौक स्थित आवास पर प्रथम सत्र में ‘राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का हिन्दी साहित्य में योगदान विषय पर परिचर्चा तथा दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सभी साहित्यकार और कवियों ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया। वरिष्ठ कवि- साहित्यकार उदय जायसवाल की अध्यक्षता, प्रख्यात कवि- साहित्यकार, प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल के कुशल संचालन में दो सत्रों में कार्यक्रम की शुरुआत हुई। विषय प्रवेश कराते हुए हिन्दी साहित्य समिति के संयोजक यायावर कवि पंकज सत्यम ने कहा कि दिनकर हिन्दी साहित्य के जगमाते नक्षत्र हैं। डॉ. दयानंद झा ने कहा दिनकर प्रखर वक्ता विश्वविख्यात कवि थे। डॉ. विनय विश्वबंधु ने कहा कि दिनकर हिन्दी- मैथिली के प्रखर कवि थे। भोलानंद झा ने कहा कि दिनकर की प्रसिद्धि हुंकार कविता संग्रह से हुई। रेवतीरमण झा ने उनकी कालजयी रचना हिमालय भागलपुर में हुई थी।

प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल ने कहा दिनकर कालजयी रचनाकार थे। उनकी विशिष्ट रचना में रश्मिरथी और परशुराम की प्रतीक्षा है। उदय जायसवाल ने राष्ट्रकवि दिनकर हिन्दी के स्थापित श्रेष्ठ कवि बताया। दूसरे सत्र के कवि सम्मेलन में पूर्व सैन्य अधिकारी दयानंद झा, रेवतीरमण झा, डॉ. विनय विश्वबंधु, भोलानंद झा, पंकज सत्यम, डॉ. शुभ कुमार वर्णवाल, उदय जायसवाल ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उदय जायसवाल ने कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम, मधुबनी अपने साहित्यिक क्षेत्र में बहुत कम समय में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया हैजो प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय है।

गरिमामयी उपस्थिति में आदरणीया किशोरी देवी का अतुलनीय योगदान महत्वपूर्ण रहा। धन्यवाद ज्ञापन भोलानंद झा द्वारा दी गई। अंत में पहलगाम में मारे गये 27 भारतीय संतानों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।

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