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बच्चों की मौत की पोर्टल पर इंट्री जरूरी, नहीं तो कार्रवाई

मधुबनी जिले में 5 वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु की जानकारी पोर्टल पर दर्ज करने के लिए सिविल सर्जन ने निर्देश दिए हैं। मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए एमपीसीडीएसआर पोर्टल का उपयोग किया जाएगा।...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधुबनीSun, 27 April 2025 11:20 PM
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बच्चों की मौत की पोर्टल पर इंट्री जरूरी, नहीं तो कार्रवाई

मधुबनी, नगर संवाददाता। अब जिले में पांच वर्ष तक के उम्र के बच्चों की मौत की पोर्टल पर इंट्री करनी है। सिविल सर्जन ने डॉ. हरेन्द्र कुमार ने हर हाल में पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु होने की स्थिति में पोर्टल पर इसकी जानकारी अपलोड करने को कहा है। मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए मातृ-शिशु की मृत्यु के कारणों को (एमपीसीडीएसआर) मैटरनल पेरिनेटल चाइल्ड डेथ सर्विलांस एंड रिस्पांस वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। ताकि मातृ-शिशु मृत्यु के आंकड़ों में कमी लाई जा सके। इसको लेकर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विकसित एमपीसीडीएसआर पोर्टल जो 1 नवंबर 2022 से ही जिला में पूर्णत: लागू किया गया है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से शिशु मृत्यु की समीक्षा से संबंधित आंकड़े को रिकॉर्डिंग, रिपोर्टिंग, विश्लेषण आदि किया जाता है, लेकिन राज्य स्वास्थ्य समिति के समीक्षा क्रम में पाया गया कि जिले में कुल अंडर -5 बच्चों की संभावित मृत्यु की ही प्रविष्टि हुई। यह प्रविष्टि संभावित मृत्यु संगणना से बहुत ही कम है साथ ही एचएमआईएस पोर्टल पर एमपीसीडीएसआर पोर्टल में आंकड़ों की प्रविष्टि में काफी अंतर है। इस बात को लेकर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (शिशु स्वास्थ्य) ने निर्देशित किया है कि 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों की होने वाली मृत्यु का शत-प्रतिशत प्रविष्टि एचएमआईएस एवं एमपीसीडीएसआर पोर्टल पर शत-प्रतिशत करवाएं। सविल सर्जन डॉ हरेन्द्र पांडेय ने बताया एमपीसीडीएसआर पोर्टल के माध्यम से शिशु मृत्यु का ब्योरा ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज होता है। पहले जिले में शिशु मृत्युदर समीक्षा की रिपोर्ट मैन्युअल ही दर्ज किया जा रहा था। शिशु मृत्यु की समीक्षा रिपोर्ट दर्ज होने के बाद शिशु मृत्यु की समीक्षा व कारणों को पता लगाने में सहूलियत होती है। स्वास्थ्य विभाग शिशु मृत्युदर की समीक्षा रिपोर्ट प्रक्रिया को सुगम और सरल बनाने के लिए डिजिटलाइजेशन पर विशेष जोर दे रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को समय से समीक्षा कर उसका त्वरित निष्पादन करने में सहूलियत होती है।

इन कर्मियों को किया गया है प्रशिक्षित : अस्पताल के पेट्रिशियन, सीआईडी नोडल नीकु, एसएनसीयू डाटा एंट्री ऑपरेटर, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई से क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक, क्षेत्रीय डेटा एवं अनुश्रवण मूल्यांकन पदाधिकारी, क्षेत्रीय अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी को प्रशिक्षित किया जा चुका है। जिला स्वास्थ्य समिति से एसीएमओ और जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

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