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89 सौ हे. धान की फसल बर्बाद

जिले में प्रलंयकारी बाढ़ का तीन दिनों से कहर जारी है। बाढ़ में 11 प्रखंड पर इसका अधिक असर है। झंझारपुर, खजौली, बाबूबरही, जयनगर, लदनियां, बासोपट्टी, अंधराठाढ़ी, फुलपरास, घोघरडीहा, खुटौना, लौकही आदि...

हिन्दुस्तान टीम मधुबनीTue, 16 July 2019 12:14 AM
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89 सौ हे. धान की फसल बर्बाद

जिले में प्रलंयकारी बाढ़ का तीन दिनों से कहर जारी है। बाढ़ में 11 प्रखंड पर इसका अधिक असर है। झंझारपुर, खजौली, बाबूबरही, जयनगर, लदनियां, बासोपट्टी, अंधराठाढ़ी, फुलपरास, घोघरडीहा, खुटौना, लौकही आदि प्रखंडों में बाढ़ ने तांडव मचा रखा है।

बाढ़ की वजह से प्रभावित इलाकों में करीब 8885 हेक्टेयर में लगी धान की फसल बर्बाद हो चुकी है। हाल ही में इन खेतों में धनरोपनी की गयी थी। वहीं करीब 4170 हेक्टेयर में लगा धान का बिचड़ा भी पूरी तरह बाढ़ में बर्बाद हो चुका है। कुल मिलाकर अब इन प्रखंड के किसानों की बाढ़ ने कमर तोड़ दी है। अब उनके पास न तो धनरोपनी के लिए बिचड़े ही हैं, न तो धनरोपनी हो चुके खेतों में फसल ही। कुल मिलाकर किसानों पर इस बाढ़ से दोहरी मार पड़ी है।

हालांकि, विभाग ने इन जगहों पर कम दिनों वाले किस्म की धान लगाने की दिशा में पहल शुरू कर दी है। इसके लिए बिहार बीज निगम से बीज की डिमांड कर दी गई है। जिला कृषि पदाधिकारी सुधीर कुमार ने बताया कि अबतक इन प्रभावित प्रखंडों में लक्ष्य के करीब 21 प्रतिशत से अधिक हिस्सों में धनरोपनी हो चुकी थी। नई धनरोपनी के कारण तेजी से बर्बाद भी होंगे। अभी इतनी जल्दी बाढ़ का पानी हटने वाला भी नहीं है। बता दें कि कमला, कोसी, भुतही, बलान, धौंस आदि नदियों में अचानक से जलस्तर में तेजी के बाद बाढ़ का पानी इलाके में फैल गया। हर साल ये नदियां हजारों एकड़ में लगी धान की फसल बर्बाद कर जाती हैं।

इन प्रखंडों में बिचड़ा की क्षति : खजौली में 291 हे.,बाबूबरही में 267, जयनगर में 398, लदनियां में 515, बासोपट्टी में 630, झंझारपुर में 580, अंधराठाढ़ी में 230, फुलपरास में 345, घोघरडीहा में 369, खुटौना में 274 एवं लौकही में 272 हेक्टेयर धान का बिचड़ा पानी में डूबकर बर्बाद हो गया।

यहां हुई धान फसल की बर्बादी : खजौली में 855 हेक्टेयर, बाबूबरही में 344, जयनगर में 796, लदनियां में 1259, बासोपट्टी में 1275, झंझारपुर में 747, अंधराठाढ़ी में 405, फुलपरास में 1152, घोघरडीहा में 1039, खुटौना में 271 एवं लौकही में 742 हेक्टेयर में रोपी गई धान की फसल नष्ट हो चुकी है।

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