सदर अस्पताल में पीकू वार्ड नहीं हो सका चालू
सदर अस्पताल में पीकू वार्ड नहीं हो सका चालू सदर अस्पताल में पीकू वार्ड नहीं हो सका चालू सदर अस्पताल में पीकू वार्ड नहीं हो सका चालू

किशनगंज। एक प्रतिनिधि प्रस्तुति : फारूक आजम,
सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा लाखों रुपए खर्च कर पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) वार्ड का निर्माण तो कराया गया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के उदासीनता की वजह से पीकू वार्ड में चिकित्सा सेवा शुरू नहीं हो सका है। जिले के गंभीर बीमारी से पीड़ित बीच को सदर अस्पताल में बेहतर इलाज का मंशा रखते हुए स्वास्थ्य विभाग सदर अस्पताल भवन के छत पर 42 बेड का पीकू वार्ड एक वर्ष पूर्व निर्माण कार्य पूरा होने होने के बावजूद किशनगंज जिले वासियों को पीकू वार्ड की सुविधा नहीं मिल सकी है। निर्माण एजेंसी द्वारा पीकू वार्ड का निर्माण कार्य पूरा कर स्वास्थ्य विभाग को हैंड ओवर भी कर दिया गया है। वार्ड में बेड सहित कई समान भी उपलब्ध होने की जानकारी मिल रही है लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टर एवं अन्य एचआर व संसाधन उपलब्ध नहीं होने की वजह से इस महत्वपूर्ण पीकू वार्ड में ताला लगा हुआ है। सदर अस्पताल की छत पर तीसरी मंजिल में पीकू वार्ड तक पहुंच आसान एवं सुलभ के लिए लिफ्ट का निर्माण कर एजेंसी द्वारा लिफ्ट का ट्रायल भी किया गया है लेकिन अब तक पीकू वार्ड में स्वास्थ्य सेवा शुरू नहीं होने से जिले वासियों में चर्चा का विषय बन कर रह गया है।
क्या है पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट:
पीडियाट्रिक्स इंटेसिव केयर यूनिट (पीकू) अस्पताल में 29 दिन से से 17 साल के गंभीर किशोर को एडमिट किया जाता है। जिसे गहन बाल चिकित्सा वार्ड भी कहा जाता है। पीकू में इमरजेंसी जांच से जुड़े सभी संसाधन उपलब्ध होता है। इनमें वेंटिलेटर, आक्सीजन जैसी जीवन रक्षक मशीनें शामिल हैं। इसके अलावा विशेषज्ञ डॉक्टर्स की पूरी टीम की तैनाती होती है। इसके अलावा रेडियेंट वार्मर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, इनफ्यूजन पंप, मल्टीपेरामीटर मॉनिटर, पल्स ऑक्सीमीटर, लेरिंगोस्कोप सहित एक दर्जन से ज्यादा जीवन रक्षक उपकरण लगाए जाते हैं। पीकू वार्ड में विशेषज्ञ चिकित्सक के अलावा प्रशिक्षण नर्स एवं पैरामेडिकल स्टाफ हर समय तैनात रहेगा। पीकू वार्ड में मरीजों पर स्वास्थ्य कर्मियों की एक टीम द्वारा बारीकी से निगरानी रखी जाती है। पीकू वार्ड में कई ट्यूबों, तारों और केबल्स द्वारा उपकरण से मरीजों को जोड़ा जाता है। पीकू वार्ड में बच्चो की बीमारी का इलाज अलग से शुरू किया जाता है। गंभीर बीमार बच्चों को सांस लेने मे परेशानी होना,दिल की धड़कन का तेजी से बढ़ना- घटना, पीलिया होना, बुखार होना लम्बे समय तक, दिल में छेद होने की बीमारी, ये सब का इलाज के लिए बच्चो को पीकू वार्ड में रखा जाता है। आम तौर पर प्रत्येक एक या दो मरीजों के लिए एक नर्स की ड्यूटी होती है, जो मरीज स्वयं भोजन नहीं कर पाते हैं, उन मरीजों को तरल पदार्थ और पोषक तत्व या अन्य तरल पदार्थ देने के लिए कई ट्यूब लगाने की व्यवस्था होती है। बीमार बच्चों के जीवन की रक्षा हो सकेगी।
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सदर अस्पताल भवन के छत पर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 42 बेड का पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) वार्ड अस्पताल चालू होने से गंभीर बीमार बच्चों एवं किशोरों का आधुनिक तकनीक से बेहतर इलाज हो सकेगा। सभी सुविधाओं से लैस 42 बेड का पीकू वार्ड में 29 दिन के बच्चों से लेकर 17 वर्ष के गंभीर किशोरों के इलाज की सभी सुविधा उपलब्ध रहेगी। पीकू वार्ड चालू होने से जिले के गंभीर बीमार बच्चों एवं किशोरों को इलाज के लिए जिला से बाहर नहीं ले जाना पड़ेगा। पीकू वार्ड में आईसीयू की तर्ज इलाज की सारी सुविधा उपलब्ध रहेगी जिस वजह से सदर अस्पताल से बच्चों एवं किशोरों को रेफर की समस्या से निजात मिल जाएगा। सदर अस्पताल में पीकू वार्ड चालू हो जाए तो सुविधाओं से लैस 42 बेड वाले इस वार्ड में गंभीर बीमार बच्चों एवं किशोरों का स्थानीय सदर अस्पताल में इलाज हो सकेगा । अभी सदर अस्पताल में पीकू की सुविधा नहीं मिलने से लोग अपने बच्चों को शहर के निजी अस्पताल या किसी बड़े शहर में अधिक रुपये खर्च कर इलाज करवाने के लिए मजबूर हैं। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बीमार बच्चों के परिजनों के लिए बड़ी परेशानी से गुजरना पड़ रहा है।
----क्या कहते हैं जिम्मेदार----
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. मंजर आलम ने कहा कि सदर अस्पताल में 29 दिन से 17 वर्ष तक के गंभीर बीमार बच्चों के बेहतर इलाज के लिए 42 बेड का पीकू वार्ड बन कर तैयार है। पीकू वार्ड के लिए विभाग से विशेषज्ञ चिकित्सक एवं अन्य नर्सिंग स्टाफ का डिमांड किया गया है। डॉक्टर्स एवं नर्सिंग स्टाफ का मिलते ही इस महत्वपूर्ण वार्ड को चालू कर दिया जाए।
डॉ. मंजर आलम, सिविल सर्जन किशनगंज।
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ.अनवर हुसैन ने कहा कि सदर अस्पताल भवन के छत पर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 42 बेड का पीकू वार्ड तैयार है। वार्ड तक पहुंचने के लिए लिफ्ट भी चालू है। पीकू वार्ड के लिए स्पेसलिस्ट डॉक्टर एवं अन्य एचआर मिलते ही स्वास्थ्य सेवा शुरू हो जाएगा। पीकू वार्ड गंभीर बच्चों एवं किशोरों का अत्याधुनिक तकनीक से बेहतर इलाज हो सकेगा और सदर अस्पताल से रेफर की समस्या लगभग ख़त्म हो जाएगा।
डॉ. अनवर हुसैन, उपाधीक्षक सदर अस्पताल
-----लोगों की राय------
सदर अस्पताल में बीते कुछ सालों में स्वास्थ्य सुविधा कॉफी बढ़ी है। पीकू वार्ड चालू नहीं होने से यहां 1 माह से ज्यादा उम्र के गंभीर बीमार बच्चों का इलाज किये बगैर रेफर कर दिया जाता है। गरीब परिवार के लोग अपने बच्चों का अधिक पैसे खर्च कर निजी अस्पताल मे इलाज नहीं कर पाते हैं।
अफरोज अहमद
10 वर्ष की बच्ची का इलाज करवाने के लिए सदर अस्पताल लेकर गए थे। प्राथमिक जांच कर बच्ची को बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। सदर अस्पताल में पीकू की सुविधा रहने से पीड़ित बच्ची का सदर अस्पताल में आसान इलाज हो सकता था।
रंजीत पासवान, सामाजिक कार्यकर्ता।
सदर अस्पताल में एसएनसीयू वार्ड में शून्य से 28 दिन के बच्चों का इलाज किया जाता है,वहीं पीकू वार्ड में इलाज शुरू नही होने से 29 दिन से उपर उम्र के बच्चों का गंभीर स्थिति में सदर अस्पताल से रेफर किया जाता है, रेफर बच्चों को बेहतर इलाज के लिए परिजनों को किसी निजी अस्पताल में इलाज करवाना पड़ता है या फिर अन्य जिलों की ओर रूख करना पड़ रहा है।
नौशर नजीरी, पार्षद प्रतिनिधि, नप किशनगंज
अस्पताल में पीकू वार्ड चालू हो जाने से जिले के गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों का सदर अस्पताल में ही आसानी से इलाज हो सकेगा। आर्थिक रूप से कमजोर गरीब परिवार के बीमार बच्चों के लिए पीकू वार्ड जीवनदायिनी साबित हो सकेगा ।क्योंकि पीकू वार्ड में बड़े अस्पताल जैसी इलाज सुविधा नि:शुल्क मिलेगी।
अकबर अली, पैक्स अध्यक्ष
सदर अस्पताल में 1 वर्ष से ज्यादा उम्र के बच्चों का इलाज नहीं हो पता है जिस वजह से गरीब परिवार के बीमार बच्चों का इलाज करना परिजनों के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है। सदर अस्पताल का पीकू वार्ड चालू होने से लोगों को काफी सुविधा मिलेगी
रजी अहमद ,सामाजिक कार्यकर्ता।
साल भर पूर्व से सदर अस्पताल में पीकू वार्ड निर्माण की जानकारी मिल रही है। साल बीतने के बाद अब तक पीकू में इलाज शुरू नहीं हो पाया है। पीकू वार्ड में इलाज शुरू नहीं होने की वजह से जिले के गरीब परिवार के बच्चों का इलाज करना परिजनों के लिए बड़ी समस्या हो जाती है लोग अपने बच्चों के इलाज करने के लिए जैसे तैसे का व्यवस्था करते हैं।
शौकत अली, पैक्स अध्यक्ष
क्षेत्र के बच्चों को बेहतर इलाज के लिए कर अस्पताल लेकर जाने पर चिकित्सक द्वारा इलाज की सुविधा नहीं है। बोल कर रेफर कर दिया जाता है फिर बच्चों का इलाज निजी अस्पताल में कराने के लिए परिजनों को आर्थिक दोहन का शिकार होना पड़ता है। सदर अस्पताल में पीकू वार्ड चालू हो जाए तो यही इलाज कराने में काफी सहूलियत होगी।
जावेद आलम, पैक्स अध्यक्ष।
अस्पताल में डायलिसिस, सीटी स्कैन, डिजिटल एक्स-रे आदि की सुविधा मिल रही है। अब यहां बच्चों के इलाज के लिए पीकू वार्ड की बहुत जरूरत है। पीकू वार्ड चालू हो जाने से सदर अस्पताल, से रेफर कम हो जाएगा लोगों को सदर अस्पताल में ही बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी।
साकिर आलम,सामाजिक कार्यकर्ता।
रिश्तेदार के बच्चों का इलाज करवाने के लिए सदर अस्पताल लेकर आए हैं। यहां उचित सुविधा नहीं रहने के कारण डॉक्टर द्वारा बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। सदर अस्पताल में पीकू वार्ड की व्यवस्था रहता तो सदर अस्पताल में ही इलाज हो सकता था।
मो. मुंतजिम, कमलपुर निवासी।
सदर अस्पताल में 1 माह से ऊपर सीरियस बच्चों का इलाज नहीं हो पता है। इस वजह से निजी अस्पताल या बड़े शहर में अधिक खर्च कर इलाज करना पड़ रहा है। सदा अस्पताल में का पीकू वार्ड चालू हो जाने से लोगों को निशुल्क इलाज की सुविधा मिल पाएगी।लोग अपने बच्चों का किशनगंज में ही इलाज करा पाएंगे
डॉ. फिरोज आलम ,चिकित्सक
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