चार साल पहले अस्पताल को अपना ट्रांसफार्मर मिला पर, कनेक्शन नहीं
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अलौली। एक प्रतिनिधि अलाौली सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में चार साल पहले निवर्त्तमान डीएम आलोक रंजन घोष के विशेष आदेश पर अस्पताल में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए ट्रांसफार्मर तो लगा दिया गया पर, अब तक कनेक्शन नहंी हो पाया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार डीएम के आदेश के एक सप्ताह के अंदर ही अलग से नया ट्रांसफर्मर बिजली विभाग द्वारा लगाया गया। चार साल से अधिक गुजर गए, परन्तु सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में ट्रांसफार्मर से अस्पताल का जुड़ाव नहीं हो पाया है। बिजली विभाग ट्रांसफार्मर से आधे रास्ते में बिजली तार लगाकर छोड़ दिया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग सामान्य ट्रांसफार्मर से कनेक्शन लेकर फिलहाल बिजली का उपयोग कर रहा है। अस्पताल परिसर मे छह यूनिट क्वार्टर बना है। जिसमे प्रभारी एवं वरीय चिकित्सा पदाधिकारी के क्वार्टर का अलग भवन है। दूसरे भवन मे चार कर्मी के लिए चार क्वार्टर है। जिनके लिए क्वार्टर बना उसमें से कोई भी नहीं रहते हें। अन्य स्वास्थ्यकर्मी एलाउट वाले के नाम पर रहते हैं। जिन्हे बिजली कनेक्शन अलग से लेना चाहिए। जो अस्पताल की बिजली का उपयोग धड़ल्ले से पिछले चार साल से कर रहे हैं।
जेनरेटर से होती है जरूरी बिजली की पू्त्तित :
अस्पताल में आउटसोर्सिंग से जेनरेटर सेवा उपलब्ध है। बताया जाता है जेनरेटर मे प्रतिघंटा पांच सौ रुपये का खर्च आता है। बिजली का सही उपयोग नहीं होने से जेनरेटर सेवा लेना पड़ती है। जिससे राजस्व की क्षति होती है।
सोलर प्लांट का नहीं हो रहा उपयोग : अस्पताल की छत पर लगा सोलर प्लांट बड़ी क्षमता का लगा हुआ है। जिसका अब तक किसी पदाधिकारी द्वारा निरीक्षण नहीं किया गया। यह काम करता भी है या दिखावा की वस्तु बनकर रह गया है। बैट्री व इन्वर्टर कितनी संख्या में है या कोई कर्मी उसे घर ले गया। जेनरेटर सेवा रहने पर भी उसका उपयोग कैसे होता है? कहीं जेनरेटर की मोटी रकम खाने की योजना तो नहीं है। इसकी जांच हो तो ही सच्चाई सामने होगी।
बिजली विभाग बना है उदासीन : सरकारी संस्थान होने से बिजली विभाग के कर्मी भी काफी उदासीन देखे जा रहे हैं। दोनों विभाग आखिर इतने उदास क्यों है लोगों की समझ से परे हैं। ट्रांसफर्मर के उपयोग करने से फायदा आमलोगों से बेहतर विभाग के आदमी ही जान सकते हैं। बिजली विभाग इस दिशा में पहल की होती या फिर निवर्त्तमान डीएम आलोक रंजन घोष का स्थानांतरण नहीं हुआ होता तो अवश्य ही आज ऐसी लचर व्यवस्था नहीं दिखती।
क्वार्टर में अलग से नहीं लगा कनेक्शन : अस्पताल के अलग-अलग बने क्वार्टर मे बिजली का अलग से उपयोग नहीं होना सरकारी खर्च पर बिजली का उपयोग या चोरी से उपयोग माना जा सकता है। प्रावधान क्या है या तो विभाग के पदाधिकारी ही समझ सकते हैं! क्वार्टर का किराया कर्मी भुगतान करते हैं तो बिजली खर्च स्वास्थ्य विभाग क्यों करे? चार साल से गलत तरीके से क्वार्टर में बिजली उपयोग हो रहा है।
बोले लोग:
1 : चार साल पहले अस्पताल मे लगा ट्रांसफार्मर का उपयोग नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग का विकास बोलता है। साधन रहते दुरुपयोग हो रहा है।
शंकर तांती, पूर्व जिला परिष्द सदस्य।
2 : वर्त्तमान समय में परेशानी सुनने वाले कोई नहीं है। सभी अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। सुने तब तो कुछ कहा जाय।
अशोक यादव, सामाजिक कार्यकर्ता।
3 : सरकारी राजस्व की क्षति पहुंचायी जा रही है। सही से जांच हो तो सच्चाई सामने आ जाएगी। इस दिशा में सकारात्मक पहल होनी चाहिए।
कुंदन कुमार,सामाजिक कार्यकर्ता।
4 : स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी की जिम्मेदारी है कि अस्पताल में बिजली व्यवस्था दुरुस्त रहे। बीएचएम से प्रबंधन का काम सही से नहीं हो रहा है।
अनिल शर्मा, मुखिया, हरिपुर पंचायत।
5 : अस्पताल मे अपना ट्रांसफर्मर होते हुए भी उसका उपयोग नहीं होना प्रशासन के लिए निंदनीय है। कई बार कहा गया पर, ध्यान नहीं दिया गया।
ललन कुमार, पूर्व मुखिया, सहसी।
6. रोगी कल्याण समिति के प्रशासी अध्यक्ष को इस तरह की कठिनाई पर ध्यान देना चाहिए। स्वास्थ्य संवंध में जो भी निर्णय पंचायत समिति बैठक मे ली जाती है वह पंजी मे ही रह जाता है।
इसरारुल हक,उपप्रमुख,अलौली।
बोले अधिकारी:
अस्पताल प्रबंधक अपना कनेक्शन के लिए बिजली तार अब तक उपलब्ध नहीं करा पाया है। जिसके कारण चार साल से ट्रांसफर्मर बेकार पड़ा है। इस ट्रांसफार्मर से किसी का भी कनेक्शन नहीं है।
अनुपम कुमार,जेई, अलौली प्रक्षेत्र विद्युत।
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कैप्शन: अलौली: सीएचसी के पास वर्षों से बेकार पड़ा विद्युत ट्रांसफार्मर।
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