भगवान भरोसे चल रहा कोलवारा पशु स्वास्थ्य उपकेंद्र
2. बोले खगड़िया:भगवान भरोसे चल रहा कोलवारा पशु स्वास्थ्य उपकेंद्रभगवान भरोसे चल रहा कोलवारा पशु स्वास्थ्य उपकेंद्रभगवान भरोसे चल रहा कोलवारा पशु स्वास्

परबत्ता । एक प्रतिनिधि प्रखंड क़े तीन पंचायतो क़े पशुओं का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है। इस समस्या को लेकर गत 1 फरवरी को हिन्दुस्तान ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी। पशु उपस्वास्थ्य केंद्र कोलवारा की स्थिति देख स्वयं अंदाज लगा सकते हैंकि इस क्षेत्र क़े पशुओ का इलाज कैसे होता होगा? पशु उपस्वास्थ्य केंद्र की स्थिति देख पशुपालकों के बीच उदासी छाई हुई है। आज यहां क़े पशुपालको की स्थिति यह है कि करीब 7 किलोमीटर दूरी तय कर इलाज के लिए प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय परबत्ता या ग्रामीणों चिकित्सकों के पास जाते हैं। जानकारी क़े अनुसार कई दशक पूर्व प्रखंड के अति पिछड़ा बाहुल्य क्षेत्र कोलावरा में पशुओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पशु उपस्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई थी। स्थापना होते ही इस क्षेत्र क़े पशुओ का इलाज ससमय किया जा रहा था। पशुपालकों की परेशानी कम हो गई थी। पशु उपस्वास्थ्य केंद्र नियमित रूप से संचालित होने लगा था। इस पशु उपस्वास्थ्य केंद्र क़े संचालन क़े लिए पशुधन सहायक आदि को नियुक्ति की गई थी। स्थानीय पशुपालकों को ससमय पशुओं की स्वास्थ्य जांच, गर्भाधान, धुलाई,सीमेन आदि सुविधाएं उपलब्ध हो गई थी। इसी बीच तक़रीवन एक दशक पूर्व पशुधन सहायक के पद पर कार्यरत चंदेश्वरी यादव का सेवा काल समाप्त हो गया। उनकी सेवानिवृत्ति होते ही पशु उपस्वास्थ्य केंद्र क़े मुख्य गेट पर ताला लटक गया। जो आज वह पशु उपस्वास्थ्य केंद्र जर्ज़र होकर उद्धारक की राह देख रहा है। समय रहते अगर विभाग इसकी समुचित व्यवस्था नहीं करती है तो आने वाले दिनों में पशु उपस्वास्थ्य केंद्र का ईट आदि सामान विलीन हो जाएगा। पशु उपस्वास्थ्य केंद्र क़े भवन को देखकर सहज़ ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह सिर्फ एक केंद्र की स्थिति नहीं है बल्कि प्रखंड क़े महद्दीपुर, दरियापुर भेलवा व कोलवारा क्षेत्र पड़े पशु उपस्वास्थ्य केंद्र का कमोवेश यही स्थिति है। इस तीनो पोषक क्षेत्र के पशुपालकों के पशुओं का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है। इन तीनों पशु उपस्वास्थ्य केंद्र में अनुसेवक तक नसीब नहंी है। प्राप्त जानकारी अनुसार प्रखंड के अधिकांश लोगों का जीवन पालन का मुख्य साधन कृषि व पशुपालन पर निर्भर करता है। यहां के अधिकांश किसान खेती क़े साथ गोपालन कर अपना रोटी रोजगार का जरिया बनकर जीवनयापन करते हैं। विभाग की उदासीनता कहे या समय का तकाजा आज स्थिति यह है कि प्रखंड के तीन पशु उपस्वास्थ्य केंद्र गत एक दशक से ताला लटका हुआ है।
पशुओं का आंकड़ा:
वर्ष 2013-14 के पशुगणना क़े आंकड़े की बात की जाए तो प्रखंड में गाय व भैंस तकरीबन 50 हजार, बकरी की संख्या करीव 60 हजार, शुगर व मुर्गी आदि को मिलाकर करीव 40 से 50 हजार आंक़ा जा रहा है। इससे सहज़ ही अंदाजा लगाया जा सकता है 2025 में की गई गणना से कितने गुने अधिक हुआ होगा।
पशुपालकों की परेशानी : स्थानीय पशुपालक आदि ने बताया की पशु उपस्वास्थ्य केंद्र बंद होने से यहां क़े पशुपालको को अपने पशुओं क़े इलाज क़े लिए प्रखंड मुख्यालय या ग्रामीण चिकित्सक से कराने की विवशता है। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि सही इलाज नहीं होने से कीमती पशु से भी हाथ धोने की नौबत आ जाती है।
बोले अधिकारी :
प्रखंड क़े तीनो पशु उपस्वास्थ्य केंद्र क़े बंद रहने की ओर अधिकारी का ध्यान दिलाया गया है।
डॉ जितेंद्र कुमार
प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सक, परबत्ता।
फोटो : 24
कैप्शन: परबत्ता: प्रखंड क़े कोलवारा गांव में जर्ज़र पड़े पशु उपस्वास्थ्य केंद्र।
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