सर्वजन दवा सेवन अभियान में 80 फीसदी लोगों ने खायी दवा
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सर्वजन दवा सेवन अभियान में 80 फीसदी लोगों ने खायी दवा सर्वजन दवा सेवन अभियान में 80 फीसदी लोगों ने खायी दवा
फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए लक्ष्य के अनुरूप 15 लाख से अधिक लोगों को दवा खिलायी गई
जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 28 फरवरी तक चलेगा अभियान
खगड़िया, एक प्रतिनिधि
फाइलेरिया बीमारी का नाम सुनते ही जेहन में हाथी पांव से ग्रसित मरीज का चित्र मन में उभर आता है । अगर कोई व्यक्ति इस बीमारी से एक बार ग्रसित हो जाता है। बस इसी रूप में जीने के लिए विवश हो जाते हैं। यह बीमारी बस इसी रूप में हो ये कहा नहीं जा सकता है। अगर हम समय पर फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए सर्वजन दवा सेवन अभियान में दवा का सेवन नहीं करते हैं तो ये बीमारी शरीर के अन्य अंगों में भी होने की प्रबल संभावना बनी रहती है यह बातें सिविल सर्जन डॉ रमेंद्र कुमार ने सोमवार को कही। उन्होंने बताया कि अभी तक जिले में कुल 15,20,783 ने दवा खायी है। जो दवा खाने के लिए निर्धारित लक्ष्य का 80 फीसदी है। जिले में दवा खाने के लिए 20,47,523 लोगों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
916 टीमों द्वारा खिलायी जा रही है दवा: उन्होंने बताया कि इस अभियान में कुल 916 ड्रग टीम को लगायी गई है।.टीम के साथ सभी प्रभारियों को साफ निर्देश दिया है कि लोग जरूर दवा खाएं। इसके लिए पूरे अभियान चलने तक मॉनिटरिंग करते रहें एवं जो लोग दवा खाने से इंकार करें उन्हें फाइलेरिया जैसी बीमारी से होने वाले नुकसान को बताएं। साथ ही दवा खाने से कोई साइड इफेक्ट नहीं है। इस बात के लिए भी जागरूक करें। वहीं जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ विजय कुमार ने बताया कि फाइलेरिया या हाथी पांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है।
मादा क्यूलेस मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया: यह रोग मादा क्यूलेस मच्छर के काटने से फैलता है। फाइलेरिया दुनियाभर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
दो साल से कम उम्र के बच्चों को फाइलेरिया की दवा नहीं है खिलानी : सिविल सर्जन ने कहा कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को फाइलेरिया की दवा नहीं खिलानी है। गर्भवती महिलाओं एवं गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों को छोड़कर सभी स्वस्थ लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करना है। फाइलेरिया रोधी दवा कभी भी खाली पेट नहीं खानी है।
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कैप्शन: बेलदौर के कस्तूरबा स्कूल में फाइलेरिया से बचाव की दवा खाती छात्रा।
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