काको प्रखंड में भीषण गर्मी के बीच बिजली संकट
गर्मी से पूर्व मेंटेनेंस पर खर्च हुए लाखों, फिर भी ट्रिपिंग की समस्या जस का तस, प्रखंड क्षेत्र में भीषण गर्मी व लू चलने से लोग बेहाल हैं। वहीं गर्मी की शुरुआत के साथ ही बिजली संकट ने लोगों की परेशानी...

गर्मी से पूर्व मेंटेनेंस पर खर्च हुए लाखों, फिर भी ट्रिपिंग की समस्या जस का तस रोजाना 4 से 5 घंटे की कटौती से आमजन परेशान, जलापूर्ति पर भी पड़ रहा असर काको, निज संवाददाता। प्रखंड क्षेत्र में भीषण गर्मी व लू चलने से लोग बेहाल हैं। वहीं गर्मी की शुरुआत के साथ ही बिजली संकट ने लोगों की परेशानी और बढ़ा दी है। प्रशासन द्वारा गर्मी से पहले निर्बाध रूप से बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कई बार मेंटेनेंस के नाम पर बिजली काटी गयी। साथ ही तार- पोल की मरम्मत पर लाखों रुपये खर्च किए गए। लेकिन उसका कोई लाभ लोगों को नहीं मिल रहा आ रहा। पावर कट और ट्रिपिंग की समस्या जस का तस है। प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों प्रतिदिन 4 से 5 घंटे तक की बिजली कटौती आम हो चुकी है। गर्मी और उमस के बीच पंखा, कूलर, फ्रिज जैसे उपकरण काम नहीं कर पा रहे हैं। दिन हो या रात, बिजली गुल रहने से लोगों की नींद और दिनचर्या दोनों प्रभावित हो रही हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी बेहाल हैं। बिजली कटौती का सबसे बुरा असर पेयजल आपूर्ति पर पड़ा है। कई गांवों में मोटर नहीं चल पा रहा है। जिससे लोगों को पीने के पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। वहीं बिजली न रहने के कारण बैंकों के एटीएम भी बंद हैं, जिससे नकदी निकासी में दिक्कत हो रही है। स्वास्थ्य सेवाएं भी इससे अछूती नहीं हैं। मेडिकल स्टोर और क्लीनिक संचालकों का कहना है कि तापमान नियंत्रित करने वाली दवाओं की गुणवत्ता बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। यदि बिजली संकट यूं ही बना रहा, तो दवाओं के खराब होने का खतरा बढ़ जाएगा। लोगों का कहना है कि मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपये खर्च हुए लेकिन अब भी हालात बदतर हैं। ग्रामीणों ने इसे बिजली विभाग की लापरवाही बताते हुए सवाल उठाया है कि जब भारी-भरकम खर्च के बावजूद व्यवस्था नहीं सुधरी, तो आखिर मेंटेनेंस का फायदा क्या हुआ। इस मामले में कनीय अभियंता नवीन कुमार ने बताया कि विभाग लगातार प्रयासरत है। नियमित बिजली आपूर्ति के लिए टीम काम कर रही है। लेकिन कभी ब्रेकडाउन तो कभी शटडाउन की स्थिति के कारण बिजली बाधित हो जाती है। गर्मी में खपत अधिक होती है, जबकि आपूर्ति सीमित है। उन्होंने कहा कि इसे संतुलित करने के लिए मांग और आपूर्ति की मॉनिटरिंग की जा रही है।
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