स्वामी दयानंद ने किया था वेदों का प्रचार प्रसार
जहानाबाद में आर्य समाज मंदिर में महान समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती की 201वीं जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में वैदिक महायज्ञ का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने स्वामी दयानंद जी के जीवन और उनके योगदान पर...
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जहानाबाद, नगर संवाददाता स्थानीय आर्य समाज मंदिर में महान समाज सुधारक और आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती की 201वीं जयंती मनाई गई। रविवार सुबह वैदिक महायज्ञ का आयोजन किया गया। मोनी आर्याणी के आचार्यत्व में एवं वेद प्रकाश आर्य ने यजमान के रूप ने यज्ञ किया। जिसमे स्वस्तिवाचन के मंत्रों का पाठ कर पूरे विश्व के कल्याण की कामना की तथा शांतिप्रकरण के मंत्रों का पाठ कर पूरे विश्व में शांति स्थापित हो इसकी प्रार्थना की गई। इसके बाद वेद मंत्रों से सबों ने आहुति दी। वक्ताओं ने स्वामी दयानंद जी के जीवन पर चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने वेदों का अध्ययन कर पूरे देश में वेदों का प्रचार, भारतीय संस्कृति और शिक्षा के गौरव को पुनः स्थापित कर स्वराज्य और स्वदेशी के लिए प्रेरित किया। स्वामी जी ने वेदों को सनातन धर्म का मूल धर्म ग्रंथ बताया क्योंकि वेद आदि ग्रंथ है। उन्होंने वेदों का भाष्य किया। अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश, आर्योंदेशरत्नमाला, गोकरुणानिधि सहित दर्जनों ग्रंथों की रचना की। देश की आजादी में स्वामी दयानंद जी की भूमिका महत्वपूर्ण थी। उनकी ही प्रेरणा से शहीद भगत सिंह, लाला राजपात राय, राम प्रसाद विस्मिल, वीर सावारकर, असफाक उल्लाह खान आजादी की लड़ाई में कूदे थे। उनके ही शिष्य हंसराज जी के द्वारा डीएवी स्कूल की स्थापना की गई जो आज शिक्षा का अलख जन जन तक फैला रहा है। कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता डॉक्टर संतोष कुमार, अजय कुमार आर्य, मोनी आर्यानी, वेद प्रकाश आर्य, संजय आर्य ने स्वामी दयानंद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।
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