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जिले के 67677 घरों में होगा कालाजार से बचाव के लिए दवा छिड़काव

गोपालगंज जिले में कालाजार नियंत्रण के लिए दवा छिड़काव किया जा रहा है, जो अप्रैल के मध्य तक चलेगा। डीएम प्रशांत कुमार ने लोगों से कालाजार के लक्षण दिखने पर समय पर जांच कराने की अपील की है। 14 प्रखंडों...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोपालगंजSun, 23 Feb 2025 11:31 PM
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जिले के 67677 घरों में होगा कालाजार से बचाव के लिए दवा छिड़काव

- डीएम ने लोगों से छिड़काव कराने व कालाजार का लक्षण दिखने पर जांच व इलाज कराने की अपील की - अप्रैल के मध्य तक जिले के चिह्नित गांवों में होगा दवा का छिड़काव, साठ दिनों तक चलेगा अभियान गोपालगंज, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। गोपालगंज जिले में कालाजार के नियंत्रण एवं बचाव के लिए चिह्नित गांवों में दवा का छिड़काव कराया जा रहा है। छिड़काव अप्रैल के मध्य तक चलेगा। डीएम प्रशांत कुमार सीएच ने लोगों से अपील की है कि कालाजार एवं पीकेडीएल के संभावित लक्षण दिखने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर समय पर जांच एवं उपचार कराएं। छिड़काव कर्मियों को सहयोग करते हुए सभी अपने कमरों और गौशालाओं में छिड़काव निश्चित रूप से कराएं। गोपालगंज जिले में कालाजार प्रभावित 14 प्रखंडों के 114 गांव और आठ वार्डों को दवा के छिड़काव के लिए चिह्नित किया गया है। 67 हजार 677 घरों में दवा का छिड़काव किया जाएगा। कालाजार है घातक बीमारी स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कालाजार एक घातक बीमारी है । समय पर उपचार नहीं होने पर दो साल के अंदर ज्यादातर मरीजों की मृत्यु हो जाती है। यह बीमारी आम तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में झोपड़ी तथा मिट्टी के घरों में रहने वालों को प्रभावित करती है। यह बीमारी ज्यादातर गरीब तबके के लोगों को होती है। कालाजार लिगिनीया सोनवानी नामक परजीवी के कारण होता है जो मादा बालू मक्खी के काटने से फैलता है। बालू मक्खी कम तापमान तथा अंधेरे जगहों पर पाई जाती है जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता। प्रायः यह घर के भीतरी दीवारों के दरारों में गोबर, नमी युक्त मिट्टी वाले जगहों में पाई जाती है। कालाजार के प्रमुख लक्षण दो सप्ताह से ज्यादा बुखार का होना, खून की कमी होना, भूख की कमी, वजन में कमी, कमजोरी, पेट में सूजन होना, चमड़ी का रंग काला पड़ जाना इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसके इलाज के लिए सिंगल डोज लाइपोजोमल एम्फोटेरेसीन बी (एम्बीजोम) इन्जेक्शन उपलब्ध है। पीकेडीएल मरीजों को मिल्टेफोसीन कैप्सूल दिया जाता है। दी जा रही सरकारी सहायता कालाजार मरीजों को बिहार सरकार के तरफ से मुख्यमंत्री राहत कोष से श्रमिक क्षतिपूर्ति के रूप में 6600 रुपए तथा भारत सरकार के तरफ से 500 रुपए दिए जाते है। साथ ही पीकेडीएल मरीजों को 4000 रुपए भारत सरकार देती है।

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