Hindi NewsBihar NewsGaya NewsLack of Facilities Hinders Athletic Talent in Gaya District

बोले गया : सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रहीं खिलाड़ियों की प्रतिभाएं

गया जिले में एथलेटिक्स खिलाड़ियों को उचित प्रशिक्षण के लिए संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। यहां ट्रैक और अभ्यास के लिए उचित स्थान उपलब्ध नहीं है, जिससे महिला एथलीटों को परेशानी हो रही है।

Newswrap हिन्दुस्तान, गयाFri, 21 Feb 2025 06:07 PM
share Share
Follow Us on
बोले गया : सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रहीं खिलाड़ियों की प्रतिभाएं

एथलेटिक्स जोखिम भरा एकल स्पर्धा का काफी महत्वपूर्ण खेल है। इसमें रनिंग, जंपिंग, थ्रोइंग या वॉकिंग, मैराथन, लॉन्ग जम्प,हाई जम्प, वेडलिफ्टिंग जैसी कई स्पर्धाएं शामिल हैं। इसे सामान्य तौर पर ट्रैक एंड फ़ील्ड के रूप में जाना जाता है। ट्रैक एंड फ़ील्ड में बालिकाओं-महिलाओं के लिए अलग से ट्रैक होता है। लेकिन, गया जिले में इसकी सुविधा नहीं है। यहां खिलाड़ियों की संख्या सर्वाधिक है। एथलेटिक्स खिलाड़ियों के लिए व्यायाम व आहार की भी बहुत जरूरत होती है। संसाधनों की कमी यहां के खिलाड़ी झेलने को विवश हैं। एथलेटिक्स में रनिंग, जंपिंग, थ्रोइंग या वॉकिंग, दौड़,मैराथन, लॉन्ग जम्प,हाई जम्प, वेडलिफ्टिंग जैसी कई स्पर्धाएं शामिल हैं। इसे सामान्य तौर पर ट्रैक एंड फील्ड के रूप में जाना जाता है। एथलेटिक्स एक काफी जोखिम भरा महत्वपूर्ण एकल खेल है। इसे सामान्य तौर पर ट्रैक एंड फील्ड के रूप में जाना जाता है। ट्रैक एंड फील्ड में बालिकाओं-महिलाओं के लिए अलग से ट्रैक होता है। लेकिन, गया जिले में इसकी सुविधा नहीं है। यहां खिलाड़ियों की संख्या सर्वाधिक है। एथलेटिक्स खिलाड़ियों के लिए व्यायाम व आहार की भी बहुत जरूरत होती है। इन संसाधनों की कमी खिलाड़ी झेलने को विवश हैं। लेकिन गया में बालिकाओं के लिए ट्रैक एंड फ़ील्ड की सुविधा नहीं है। सुविधाओं के अभाव के बीच बालिकाएं किसी प्रकार अपना प्रैक्टिश करने को विवश हैं। खेल की अपनी प्रतिभा को उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बालिकाएं संसाधनों के अभाव में सही रूप से अपनी प्रतिभा को निखार पाने में असमर्थ हो जा रही हैं।

100 मीटर दौड़ से 400 मीटर दौड़, 400 मीटर बाधा दौड़, रिले स्पर्धाएं, जैवलिन थ्रो आदि की प्रतिभा निखारने में अपना जी जान लगा रही है। बावजूद सरकार व खेल मंत्रालय का इस ओर अभी तक समुचित रूप से ध्यान नहीं दिया गया है। जबकि खिलाड़ी सुविधाओं की आस लगाए बैठी हैं। महिला एथलीटों को कई तरह की समस्याओं का सामना करने को विवश होना पड़ रहा है।

जगह व ट्रैक की कमी से हो रही परेशानी: एथलेटिक्स खेल की प्रैक्टिश के लिए कोई अलग से स्थान व ट्रैक नहीं है। अलग से कोई सुविधा नहीं रहने के कारण काफी भीड़ भाड़ वाले गांधी मैदान स्टेडियम में प्रैक्टिश करते हैं। इसी स्टेडियम में फुटबॉल, क्रिकेट, वालीबॉल आदि का खिलाड़ी अपना अभ्यास करते रहते हैं। इस कारण महिला एथलीट अपने को काफी असहज महसूस करते हैं। जगह नहीं मिलने की स्थिति में स्टेडियम के बाहर गोला फेकने आदि खेल का अभ्यास करने को विवष रहती है। एथलेटिक्स खेल की अपनी एक अलग गरिमा है। शारीरिक कौशल की आवश्यकता वाले प्रतिस्पर्धी खेलों और खेलों के समूह के लिए एथलेटिक्स काफी रोचक खेल है। एथलेटिक्स खेल प्रतियोगिताओं का एक समूह है जिसमें प्रतिस्पर्धी दौड़ , कूद और फेंकना शामिल है। एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं के सबसे महत्वपूर्ण प्रकार ट्रैक और फील्ड , रोड रनिंग , क्रॉस कंट्री रनिंग और रेसवॉकिंग हैं। इस खेल में शामिल खिलाड़ियों को व्यायाम की अति आवश्यकता है लेकिन इन लोगों को व्यायाम से संबंधित भी सामग्रियों के अभाव का सामना करना पड़ता है खेल सामग्रियों की भी घोर कमी रहने से उनकी प्रतिभा कुंठित हो जा रही है। जबकि रेसिंग इवेंट के नतीजे फिनिशिंग पोजीशन के आधार पर तय किए जाते हैं। जबकि जंप और थ्रो उस एथलीट द्वारा जीते जाते हैं जो प्रयासों की एक श्रृंखला से उच्चतम या सबसे दूर माप प्राप्त करता है। प्रतियोगिताओं की सादगी और महंगे उपकरणों की आवश्यकता की कमी, एथलेटिक्स को दुनिया में सबसे आम प्रकार के खेलों में से एक बनाती है। एथलेटिक्स ज्यादातर एक व्यक्तिगत खेल है।

हमारी भी सुनिए : यहां प्रतिभाओं की नहीं है कमी प्रोत्साहित करने की जरूरत

जिले में शहरी सहित गांवों में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। खेल प्रतिभा को बढ़ावा देने और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर उन्हें सही दिशा देने के लिए मंत्री, विधायक, सांसद व स्वयंसेवी संस्थाओंकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। खेलों के लिए विशेष धन के संसाधन की जरूरत होती है। इन लोगो के पास निधि का प्रावधान होता है। खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए इन राशि का इस्तेमाल किया जा सकता है। गया जिले में एथलेटिक्स खिलाड़ियों की कमी नहीं है। केवल संसाधनों की कमी है। कहीं दौड़ने के लिए ट्रैक नहीं तो कहीं मैदानों के अभाव में प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं। खिलाड़ियों ने कहा कि उन्हें संबंधित खेलों के संसाधनों से लैस किया जाना चाहिए ताकि अपने खेल का उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में कामयाबी मिल सके। संसाधनों की कमी तो कहीं आर्थिक रूप से कमजोरी हम खिलाड़ियों के अरमानों पर पानी फेर रहा है।

उन्होंने कहा कि सही कोच और अच्छे खेल मैदान के बिना हम सबका सपना कैसे पूरा हो पायेगा। संसाधनों के अभाव मेंं खेलों के प्रति हम सबक का जुनून, जोश भी प्रभावित हो रहा है। बावजूद खेल के प्रति हमेशा हौसला बनाये रखने का प्रयास करते रहता हूं। गया जैसे खेल प्रधान जिले में समुचित खेल सुविधाओं के आभाव में उन्हें खेलों का सही तरीके से तकनीकी ज्ञान नहीं मिल पाता है। इस कारण हमारी खेल प्रतिभाएं सही रूप से निखर नहीं पाती है। जबकि कठिन परिश्रम लगातार जारी रहता है। गया गांधी मैदान स्टेडियम की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाते हुए एथलेटिक्स खिलाड़ियों के लिए अलग से ट्रैक की सुविधा दिया जाना चाहिए साथ ही खेल सामग्रियों के अलावे व्यायाम से संबंधित सामग्रियां और समुचित आहार के लिए अलग से स्कॉलरशिप के तहत राशि उपलब्ध करानी चाहिए । जबकि खिलाड़ी स्टेडियम में बुनियादी स्तर पर कुछ कर गुजरने की आस लिए रहते हैं।

प्रशिक्षण के लिए ट्रैक नहीं रहने से हो रही परेशानी

गया। गया में एथलेटिक्स खिलाड़ियों को सही प्रशिक्षण के लिए संसाधनों की कमी है। सही ट्रैक भी नहीं मिल रहा है। कहीं दौड़ने के लिए ट्रैक नहीं तो कहीं मैदानों के अभाव में प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं।

संसाधनों के अभाव के चलते खिलाड़ियों की प्रतिभाएं कुंठित हो रही है। अगर खिलाड़ियों को समुचित सुविधाएं मिलतीं तो देश-विदेशों में गया का नाम रोशन होता। महिला खिलाड़ियों का भी कहना है कि उन्हें संबंधित खेलों के संसाधनों से लैस किया जाए ताकि घर, परिवार और समाज उनकी उड़ान देख सके। अधिकतर युवाओं की पहली पसंद खेल है। एथलेटिक्स खेल में युवा अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं। युवा खिलाड़ी मैदान में अपने भविष्य को तराश रहे हैं। खुद के साथ देश के भविष्य का निर्माण करना चाह रहे हैं पर संसाधनों की कमी तो कहीं आर्थिक रूप से कमजोरी उनके अरमानों पर पानी फेर रहा है। प्रतिभा खूब है मगर उनमें उड़ान भरने के लिए पंख रूपी संसाधन और सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। गया गांधी मैदान स्टेडियम सहित कुछ गिने-चुने मैदानों में सुविधाएं पूरी नहीं कर पा रहे हैं। खिलाड़ियों के लिए दौड़ने के लिए ट्रैक नहीं है तो मांग के अनुरूप खेलने का मैदान भी नहीं है। एक ही मैदान में सभी खेलों व एथलेटिक्स का अभ्यास। करने को विवश है। यह खेल स्टेडियम भी इस है जहाँ डस्ट ही डस्ट है। इससे भी खिलाड़ी परेशान हो रहे हैं। जबकि गया जिले के कई खिलाड़ियों ने देश का मान और सम्मान बढ़ाया है। लेकिन नए खिलाड़ी संसाधन, माहौल और मैदान की कमी झेलने को विवश हो रही है। संसाधनो की कमी के बावजूद खेलों के प्रति उनका जुनून, जोश कहीं से कम नहीं दिख रहा है। जगह के अभाव के कारण स्टेडियम के बाहर बालिकाएं अपने एथलेटिक्स खेल का अभ्यास करती हैं। गोला फेंकने का भी प्रैक्टिस स्टेडियम के बाहर करने को भी उन्हें विवश होना पड़ रहा है। सरकार प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देकर खिलाड़ियों से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक की उम्मीद करती है।

एथेलेटिक्स खिलाड़ियों ने रखीं बातें

मैदान में दौड़ने में काफी कठिनाई होती है। सुबह का वक्त रहे या शाम का। दौड़ते वक्त धूल ही धूल उड़ती है। इस वजह से हम लोगों को दौड़ने में समस्या होती है। धूल के कारण हम लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है।

- अनु कुमारी

हम लोगों को दौड़ने के लिए उचित स्थान नहीं है, जहां हम लोग दिन और रात में दौड़ का अभ्यास कर सके। धावकों के लिए पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। सरकार को इसकी व्यवस्था

करनी चाहिए।

-प्रतिमा कुमारी

सरकार को हम लोगों की मदद करनी चाहिए। अगर रनिंग ट्रैक बन जाए तो सुविधा मिलेगी। इससे अपने भविष्य को सवांर सके। सरकारी स्तर पर धावकों और खिलाड़ियों को संसाधन और सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए।

-बबलू कुमार, कोच

बरसात के दिनों में काफी समस्या होती है। जलजमाव जैसी स्थिति हो जाती है। इस वजह से हम लोगों को बरसात के समय में दौड़ने में असुविधा होती है। इस मौसम में अभ्यास बंद कर देना पड़ता है। इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। दूसरा मैदान भी नहीं है।

-नेहा कुमारी

फील्ड में शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि लड़कियों को शौचालय के लिए सोचना न पड़े। पेयजल की व्यवस्था नहीं है। सरकार को पेयजल की व्यवस्था करनी चाहिए। मैदान को भी संवारना चाहिए। ताकि हमलोगों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो।

-प्राची कुमारी

फील्ड में लोग फुटबॉल और कबड्डी खेलते हैं। इस वजह से हम लोगों को दौड़ने में ध्यान भटकता है। दौड़ने के वक्त झिझक होती है कि कहीं से कोई फुटबॉल आकर लग ना जाए। कोई टकरा ना जाए जिस वजह से हम लोग सही से दौड़ नहीं पाते हैं।

-सुप्रिया ठाकुर

फील्ड पर घास होती तो बेहतर होता। फील्ड में कहीं-कहीं पर बाउंड्री टूटी हुई है। अगर बाउंड्री करा दी जाए तो फील्ड और बेहतर हो जाएगा। अभ्यास करने में खिलाड़ियों को सुविधा होगी।

-नीलम बौद्ध

अभ्यास करने में दिक्कत होती है। क्योंकि यहां बहुत ज्यादा धूल उड़ाती है। धूल उड़ने की वजह से हम लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है। सांस की बीमारी होने का डर लगा रहता है।

-लवली कुमारी

अभ्यास करने के लिए यहां कोई उपकरण नहीं है। अगर उपकरण होता तो हम लोग खुलकर अभ्यास करते और भविष्य बेहतर होता। संसाधन नहीं होने की वजह से परेशानी का सामना करते हैं।

-खुशहाली कुमारी

सरकार को फील्ड में संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए। संसाधन हो तो हम लोगों का भविष्य बेहतर होगा। फील्ड में पेयजल की समस्या है। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।

-नेहा कुमारी

दौड़ते वक्त यहां काफी धूल उड़ती है। इस वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है। फील्ड में अगर घास होती तो धूल नहीं उड़ती। अभ्यास करने में खिलाड़ियों को सुविधा होती।

-तमन्ना कुमारी तनु

शहर के मोहल्ले-गली में पार्क की व्यवस्था की जाए, जहां हमलोग जाकर दौड़ सकें। यहां आने में काफी कठिनाई होती है। चार-पांच किमी दूर से शहर में सिर्फ दौड़ने के लिए आना पड़ता है।

-पुष्पा

शहर में लड़कियों को दौड़ने के लिए व एक्सरसाइज करने के लिए अलग ग्राउंड मिलना चाहिए। शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे मैदान आने पर परेशानी नहीं हो।

-रंजू पासवान

फील्ड में और संसाधन की दरकार है संसाधन की कमी की वजह से अभ्यास नहीं हो पता है। फील्ड को ओपन जिम के तर्ज पर विकसित किया जाए।

-ज्योति कुमारी

गली-मोहल्ले में भी पार्क की व्यवस्था की जानी चाहिए जहां लोग जाकर अभ्यास कर सके। इस फील्ड में घास की कमी है और पेयजल की व्यवस्था नहीं है। इससे परेशानी होती है।

-पूजा कुमारी

यहां अत्यधिक शौचालय की आवश्यकता है। यहां मात्र एक शौचालय है, जिसमें भी गंदगी भर हुई है। समय पर साफ नहीं होता है स्थानीय प्रशासन इस पर ध्यान दें।

-वंदना रानी

धूल उड़ने की वजह से दिक्कत होती है। सांस लेने में परेशानी होती है। यहां अभ्यास करने मुश्किल में होती है। प्रशासन को पेयजल और शौचालय की व्यवस्था करना करना चाहिए।

-अनीशा प्रिया

फील्ड में लोग क्रिकेट और फुटबॉल खेल रहे होते हैं। इस वजह से हम लोगों को दौड़ते वक्त झिझक होती है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।

-अनिशा कुमारी

फील्ड को ओपन जिम के तर्ज पर विकसित किया जाए। लोग व्यायाम करें । यह सुविधा सरकार को देनी चाहिए। इससे लड़के-लड़कियों को बढ़ावा मिलेगा।

-आंचल गुप्ता

फील्ड पर घास नहीं होने से हम लोगों को दिक्कत होती है। हमलोग एक्सरसाइज नहीं कर पाते हैं। शौचालय की व्यवस्था नहीं है। पेयजल की समस्या है।

-प्रतिभा कुमारी

सुझाव और शिकायतें

1. गया में महिला एथलेटिक्स खिलाड़ियों के लिए अलग से एक खेल मैदान और ट्रैक की सुविधा होनी चाहिए। इसके लिए सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।

2. एथलेटिक्स खिलाड़ियों के लिए खेल उपकरणों के

साथ ही व्यायाम करने के लिए उपकरणों की सुविधा होनी चाहिए।

3. शहर में इनडोर स्टेडियम की तरह महिला एथलेटिक्स खिलाड़ियों के लिए अलग से सुविधा उपलब्ध हो। जहां वह एकल स्पर्धा से संबंधित अभ्यास कर सकें।

4. आर्थिक स्थिति से कमजोर महिला एथलेटिक्स खिलाड़ियों को सरकार द्वारा खेल सामग्रियों सहित आहार की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए।

5. महिला एथलेटिक्स खेल को बढ़ावा देने के लिए सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। गया जिले में महिला एथलेटिक्स खिलाड़ियों की सर्वाधिक संख्या है।

1. एथलेटिक्स खेल के प्रति सरकार की उदासीनता और अपेक्षा पूर्ण नीति के कारण खेल की प्रतिभा कुंठित हो रही है। इससे असंतोष की भावना पनप रही है।

2. गया जिला जैसे खेल वाले महत्वपूर्ण स्थान में एथलेटिक्स के लिए अलग से किसी प्रकार का ट्रैक नहीं होना एक गंभीर चिंता का विषय है।

3. सरकार खेल को बढ़ावा देने के लिए लगातार घोषणाएं कर रही है। बावजूद खिलाड़ियों के लिए समुचित संसाधन मुहैया नहीं कराया जा रहा है।

4. एथलेटिक्स खिलाड़ियों के लिए अलग से जीम या व्यायामशाला की सुविधा होनी चाहिए। लेकिन, इस पर सरकार अभी तक ध्यान नहीं दे रही है।

5. गांधी मैदान स्थित स्टेडियम की हालत काफी दयनीय बनी हुई है। बावजूद बड़ी संख्या में किशोर व युवा खिलाड़ी अपने खेल का अभ्यास करते हैं।

-प्रस्तुति: राजेश कुमार मिक्की

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें