सम्मेलन में एनईपी-2020 के अनुसार भूगोल में पाठ्यक्रम डिजाइन पर पैनल चर्चा
फोटो- सीयूएसबी में सम्मेलन में शामिल शिक्षाविद्। टिकारी, निज संवाददाता।
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दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के भूगोल विभाग की ओर से आयोजित 19वें डीजीएसआई अंतर्राष्ट्रीय भूगोल सम्मेलन के दूसरे दिन एनईपी-2020 के अनुसार भूगोल में पाठ्यक्रम डिजाइन और सामग्री लेखन पर एक ज्ञानवर्धक पैनल चर्चा आयोजित की गई। भूगोल शिक्षा की विकसित प्रकृति और सतत विकास के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के समावेश पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो विकसित भारत के दृष्टिकोण के साथ संरेखित है। सत्र की शुरुआत सीयूएसबी के कुलसचिव प्रो. नरेंद्र कुमार राणा ने कहा कि एनईपी 2020 भूगोल में पाठ्यक्रम सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, जिससे यह अधिक समग्र और शिक्षार्थी केंद्रित बनता है। उन्होंने औपनिवेशिक मानसिकता पर काबू पाने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला कि तकनीकी अनुसंधान सूचना ज्ञान प्रणालियों में निहित हो। प्रो. अरुण कुमार सिंह ने रेखांकित किया कि एक विषय के रूप में भूगोल उतना ही पुराना है जितनी सभ्यता, उन्होंने भौगोलिक विचार में भारतीय दृष्टिकोणों के लिए एक अलग स्थान की वकालत की।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. ए. आर. सिद्दीकी ने भारतीय सिविल सेवा सहित प्रतियोगी परीक्षाओं में भूगोल के छात्रों की भूमिका पर जोर दिया। प्रो. देवेंद्र सिंह ने भारतीय भूगोल के पाठ्यक्रम में स्थानीय उदाहरणों और सफलता की कहानियों को शामिल करने के महत्व पर प्रकाश डाला, जिससे स्वदेशी ज्ञान की प्रासंगिकता पर बल मिला। एनएटीएमओ के निदेशक डॉ. बिनोद सिंह, प्रो. मनोरंजन मिथरा, आईएनओयू, नई दिल्ली के प्रो. शुभकांत महापात्रा, डॉ. सुशांतो महतो, (सहायक प्रोफेसर, एच.एस. गौर विश्वविद्यालय, सागर), डॉ. सुशील दलाल (हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय) प्रो. लैंसेट टी.एस. (श्री शंकराचार्य विश्वविद्यालय, कोचीन, केरल) और प्रो. मुक्तो राजे ने अपनी बातें रखी। चर्चा का समापन वैश्विक प्रगति, स्थानीय चुनौतियों और एनईपी-2020 के उद्देश्यों के साथ संरेखित करने के लिए भूगोल शिक्षा को फिर से परिभाषित करने पर आम सहमति के साथ हुआ।
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