मानवता की रक्षा बौद्धिक प्रयासों का सर्वोच्च कर्तव्य: प्रीति
सीयूएसबी में बौद्धिक संपदा कानून पर क्रॉस-कॉन्टिनेंटल सम्मेलन फोटो- सीयूएसबी में अविन्या 2.0 में शामिल वीसी व अन्य। टिकारी, निज संवाददाता विश्व नवाचार
विश्व नवाचार दिवस पर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में बौद्धिक संपदा कानून पर क्रॉस-कॉन्टिनेंटल सम्मेलन अविन्या 2.0 का आयोजन किया गया। स्कूल ऑफ लॉ एंड गवर्नेंस (एसएलजी) ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (एनआईपीएएम) और इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी-सीयूएसबी) के सहयोग से ऑनलाइन माध्यम से इस कार्यक्रम का आयोजन किया। सम्मेलन का विषय “बौद्धिक संपदा और इतिहास: विचारों और नवाचार के विकास का पता लगाना, रचनात्मकता को सशक्त बनाना, मानवतावाद को बनाए रखना- अनुच्छेद 51(ए)(एच) की भावना” था, जो बौद्धिक संपदा के ऐतिहासिक विकास और रचनात्मकता तथा मानवता के मूल्यों को सशक्त बनाने में इसके महत्व को रेखांकित करता है। कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, शिमला की कुलपति प्रो. प्रीति सक्सेना ने वैज्ञानिक विचार और नवाचार को आकार देने में बौद्धिक संपदा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि मानवता की रक्षा बौद्धिक प्रयासों का सर्वोच्च कर्तव्य है और नवाचार को मानवतावादी मूल्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए। सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने प्रतिभागियों को अपने पेशेवर सफर में नवाचार और मानवता की भावना को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। आईआईटी खड़गपुर के राजीव गांधी बौद्धिक संपदा कानून स्कूल के प्रोफेसर राजू केडी, सीएसआईआर-एनसीएल में बौद्धिक संपदा समूह के प्रमुख और प्रमुख डॉ. नितिन तिवारी, मॉरीशस के प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर डॉ. भावना महादेव ने अपनी बातें रखीं। इससे पहले सत्र की शुरुआत में एसएलजी के विभागाध्यक्ष और डीन, और एनआईपीएएम-सीयूएसबी के नोडल अधिकारी प्रो. अशोक कुमार ने की। उन्होंने ज्ञान संचालित अर्थव्यवस्था में नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में बौद्धिक संपदा कानूनों के बढ़ते महत्व पर जोर दिया। आईआईसी-सीयूएसबी के अध्यक्ष प्रो वेंकटेश सिंह, सहायक प्राध्यापक मणि प्रताप मौजूद रहें।
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