अभिभावक बच्चों को लैंगिक रूप से संवेदनशील बनाएं : प्रो. मंजू
दरभंगा विश्वविद्यालय में शुक्रवार को पीजी संस्कृत विभाग में 'लैंगिक संवेदनशीलता' विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. मंजू राय ने युवाओं से लैंगिक संवेदनशीलता और सम्मानपूर्ण...

दरभंगा। लनामिवि के कुलपति प्रो. एसके चौधरी के आदेश पर आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के तत्वावधान में पीजी संस्कृत विभाग में शुक्रवार को ह्यलैंगिक संवेदनशीलताह्ण विषय पर कार्यशाला हुई। अध्यक्षता कर रहीं मानविकी संकायाध्यक्ष व कमेटी की प्रेसाईिंडग ऑफिसर प्रो. मंजू राय ने अभिभावकों से बच्चों को लैंगिक रूप से संवेदनशील बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि युवा लैंगिक संवेदनशील बनें, सबके साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार करें और इस बदलाव की शुरुआत अपने ही घर से करें। कार्यस्थल का भी माहौल समरसतापूर्ण बनाएं ताकि महिलाएं और छात्राएं स्वयं को सुरक्षित महसूस करें। उन्होंने छेड़खानी को मानसिक बीमारी बताते हुए छात्र-छात्राओं को वश्विास दिलाया कि यदि किसी को वास्तविक रूप में लैंगिक समस्या की शिकायत हो तो वे नि:संकोच आईसीसी कमेटी में दस्तक दें।
आंतरिक शिकायत कमेटी की सदस्य एवं पीजी मनोवज्ञिान विभागाध्यक्ष प्रो. मनसा कुमारी सुल्तानिया ने अपनी पढ़ाई एवं नौकरी प्राप्ति की कठिनाइयों की चर्चा करते हुए बताया कि आज छात्राएं सभी क्षेत्रों में आगे आ रही हैं। ऐसे में स्त्री-पुरुष एक-दूसरे का साथ दें एवं सम्मान करें। मुख्य वक्ता सीएम कॉलेज की डॉ बन्दिु चौहान ने कहा कि यौन जन्मजात है, वहीं लैंगिकता सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना से निसृत है। लैंगिक संवेदीकरण परिवर्तनशील है, पर समाज हमेशा से अपने बने-बनाए परंपरागत ढांचे में ह्यअच्छी लड़कीह्ण की परिभाषा में लड़कियों को ढालना चाहता है। आईसीसी कमेटी को भी आश्वस्त होना होगा कि कलम उनकी और स्याही किसी दूसरे की न हो। उन्होंने छात्र-छात्राओं से संकल्प लेने का आह्वान किया कि वे समाज व आसपास हो रही अनीति, अधर्म और अन्याय के खिलाफ एकजुट हों।
एमएलएसएम कॉलेज की रसायनशास्त्र प्राध्यापिका डॉ. अंजू कुमारी ने कहा कि पुरुषों के मुकाबले ्त्रिरयों के कमतर होने का कोई जैविक या वैज्ञानिक आधार नहीं है। नारी सशक्तिकरण एवं संघर्ष के बल पर लैंगिक भेदभाव, शोषण एवं दमन को पूर्णत: मिटाना होगा। शक्षिा एवं जागरूकता से ही नारी अपने अधिकारों, सरकारी सुविधाओं एवं कानूनों का समुचित लाभ ले सकती हैं।
डब्लूआईटी की उप कुलसचिव डॉ. प्रियंका राय ने कहा कि लोग अपने मूल स्वरूप से भटक गए हैं। युवा मानवतावादी बनें और अपने परिवार की तरह ही समाज में भी स्नेहपूर्ण व्यवहार करें। विषय प्रवेश करते हुए डॉ. शांभवी ने आंतरिक शिकायत समिति के गठन के उद्देश्यों, भावी योजना एवं कार्यप्रणाली पर वस्तिार से प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संस्कृत प्राध्यापिका डॉ. ममता स्नेही ने कहा कि हमें न्यायप्रिय होना चाहिए, जो व्यवहार हमें अपने लिए पसंद नहीं, उन्हें दूसरों के साथ भी नहीं करना चाहिए। हमें सही-गलत की पहचान अवश्य होनी चाहिए।
कार्यशाला में डॉ. अमरेन्द्र शर्मा, डॉ. मोना शर्मा, आईसीसी सदस्य रानी झा, प्रियंका सरकार, ऋद्धि कुमारी, पदमा श्री, त्रिदीप दास, शशांक शेखर व उत्साह निषाद के अलावा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। मंगलाचरण संस्कृत विभाग के शोधार्थी रंजेश्वर झा ने किया। अंग्रेजी विभाग की शोधार्थी ज्योति कुमारी ने संचालन किया। अतिथियों का स्वागत संस्कृत प्राध्यापक डॉ. आरएन चौरसिया ने किया।
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