डीएमसीएच वो चमन जिसे मुरझाना नहीं आता
दरभंगा मेडिकल कॉलेज के शताब्दी वर्ष समारोह में पूर्ववर्ती छात्रों ने उत्साह से भाग लिया। 1962 बैच के छात्रों ने अपनी पुरानी यादों को ताजा किया और कॉलेज की प्रगति की सराहना की। रिटायर चिकित्सकों ने...
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दरभंगा। दरभंगा मेडिकल कॉलेज के शताब्दी वर्ष समारोह में आए पूर्ववर्ती छात्र अपने संस्थान की मिट्टी की खुशबू पाकर उत्साह से लबरेज हो गए। 1962 बैच के छात्रों का जोश तो परवान था। विभागाध्यक्षों के पद से रिटायर होने के बाद भी यहां पहुंचने पर वे किसी नए छात्र के जैसे उत्साह से लबरेज थे। शायराना अंदाज में उन्होंने कहा-महफिल में कोई बेगाना नहीं होता है, डीएमसीएच वो चमन है जिसे मुरझाना नहीं आता है। उनके जोश और अंदाज को देख अगल-बगल खड़े मेडिकल छात्र तालियां बजाने से अपने को रोक नहीं सके। रिम्स, रांची से सर्जरी विभाग के अध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त डॉ. मधुकर एस घोष ने कहा कि यहां पहुंचते ही वे पुरानी यादों में खो गए। उनके जमाने में कॉलेज इतना भव्य नहीं था। अब पूरी सूरत बदल चुकी है। इसी दौरान कॉलेज परिसर के बगल में पूर्व में नीलम होटल चलाने वाले राजकुमार बगल से गुजरते हैं। एक झलक में डॉ. भट्ट उन्हें पहचान जाते हैं। कहते हैं- अरे राजकुमार। पहचाने। शाम तुम्हारे होटल में गुजारा करते थे।
वहीं, धनबाद मेडिकल कॉलेज से रिटायर डॉ. एमपी झा भी वर्षों बाद यहां आकर उत्साह से भरे हुए थे। उन्होंने कहा कि पुराना संस्थान उनकी मां समान है। आज जो भी हैं, यहीं की बदौलत। उम्र अधिक हो गई है, लेकिन हर हाल में शताब्दी वर्ष में यहां आने का मन था। ईश्वर की कृपा रहेगी तो अगले वर्ष दोबारा आएंगे। इधर, डीएमसीएच आंख विभाग के अध्यक्ष डॉ. आसिफ शाहनवाज अपने बीच पूर्व के शिक्षकों को पाकर उत्साहित हो गए। उन्होंने उन्हें अपना विभाग दिखाया। आई बैंक की उपलब्धि को देख सभी चिकित्सकों ने डीएमसीएच की जमकर तारीफ की।
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