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पुस्तकों की प्रर्दशनी रही आकर्षण का केंद्र

सिंहवाड़ा में आयोजित पांच दिवसीय बाल लेखन कार्यशाला का समापन हो गया। बच्चों ने हस्तलिखित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई और कविता पाठ किया। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से मोबाइल संस्कृति पर व्यंग्य किया गया।...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाSat, 8 Feb 2025 11:23 PM
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पुस्तकों की प्रर्दशनी रही आकर्षण का केंद्र

सिंहवाड़ा। उत्तराखंड से प्रकाशित बच्चों की पत्रिका बाल प्रहरी तथा हिंदी बाल साहित्य शोध संस्थान, बनौली के संयुक्त तत्वावधान में राजकीय मध्य विद्यालय, सिमरी में आयोजित बच्चों की पांच दिवसीय बाल लेखन कार्यशाला शनिवार को समाप्त हो गई। समापन समारोह में बच्चों द्वारा तैयार हस्तलिखित पुस्तकों की प्रर्दशनी विशेष आकर्षण का केंद्र रही। मेरा परिचय, जीवन की घटना, यात्रा वर्णन, मेरी दिनचर्या आदि को जोड़ते हुए बच्चों ने लगभग 15 पृष्ठों को जोड़ते हुए बाल स्वर, बालप्रहरी, बाल वाटिका, बाल मन, किशोरी स्वर, नई ज्योति, नई किरण, संभावना, नई किरण आदि नामों से अपनी-अपनी हस्तलिखित पुस्तक तैयार की। बाल कवि सम्मेलन में खुशी, काजल, अंजू, राजलक्ष्मी, राजनंदनी, उपासना, कामनी आदि बच्चों ने कार्यशाला में तैयार स्वरचित कविताओं का पाठ किया। बाल कवि सम्मेलन की अध्यक्षता खुशी चौरसिया ने की।

उदय किरौला द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक मोबाइल टन टना टन के माध्यम से बच्चों ने वर्तमान मोबाइल संस्कृति पर प्रहार करते हुए आज की हकीकत को प्रस्तुत किया। प्रारंभ में कार्यशाला के प्रत्येक प्रतिभागी बच्चे को अतिथियों ने बैज लगाकर सम्मानित किया। औरेगैमी के तहत बच्चों ने अखबार से बनाए मुकुट अतिथियों को पहिनाए। पूनम झा व कविता श्रीवास्तव द्वारा संपादित बाल संसार व सिमरी दर्पण दीवार पत्रिका का लोकार्पण अतिथियों ने किया। कार्यशाला में राजकीय मध्य विद्यालय सिमरी, बनौली समेत विभिन्न स्कूलों के 47 बच्चों ने भागीदारी की। समापन समारोह में प्रधानाचार्य अनिल कुमार पाठक, डॉ. सतीश भगत, उदय किरौला, आशीष अकिंचन, अभिताभ कुमार सिन्हा, सूबेदार नंद किशोर साहू तथा स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित थे। कार्यशाला का संचालन कक्षा छह की छात्रा मोना ने किया। हिन्दी बाल साहित्य शोध संस्थान के सचिव अमिताभ कुमार सिन्हा ने कहा कि गैर शैक्षणिक गतिविधियों से भी बच्चे काफी कुछ सीखते हैं। वक्ताओं ने कहा कि आज अभिभावक बच्चों को डॉक्टर व इंजीनयर आदि बड़े पदों पर आसीन होने का संपना देखते हैं। समय को देखते हुए यह जरूरी है। परंतु आज जरूरत है बच्चे एक अच्छा इंसान बनें। इसके लिए प्रयास किए जाने की जरूरत है। अतिथियों ने बच्चों को प्रमाणपत्र भी दिए।

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