आत्महत्या के लिए विवश करने पर मां- बेटा को सात साल की कैद
छपरा कोर्ट ने हत्या मामले में विवाहिता के पति मिश्रीलाल माझी और सास गुलाबझड़ी देवी को सात वर्ष की सजा सुनाई। दोनों पर दहेज के लिए हत्या का आरोप था। जुर्माना न भरने पर अतिरिक्त सजा भी होगी। अभियोजन पक्ष...

छपरा, नगर प्रतिनिधि। छपरा कोर्ट के जिला एवं सत्र न्यायाधीश दशम दीपचंद पांडेय ने मंगलवार को हत्या मामले की सुनवाई पूरी की। रिविलगंज थाना में दर्ज प्राथमिकी के आरोपित रिवीलगंज के कचनार ग्राम निवासी विवाहिता के पति मिश्रीलाल माझी और सास गुलाबझड़ी देवी उर्फ बेबी देवी को भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के अंतर्गत सात वर्ष की सजा सुनायी गयी है। दस हजार रुपए का अर्थ दंड भी लगाया गया है। जुर्माना नहीं अदा करने पर अतिरिक्त छह माह की सजा होगी। वहीं 498 (ए)के अंतर्गत तीन वर्ष की सजा सुनायी गयी है। पांच हजार रुपया अर्थ दंड लगाया गया है। जुर्माना नहीं देने पर अतिरिक्त तीन माह की सजा होगी।अभियोजन के ओर से लोक अभियोजक सुरेंद्रनाथ सिंह और उनके सहायक सुशांत शेखर ने न्यायालय में सरकार का पक्ष रखा। अभियोजन की ओर से कुल 9 गवाहों की गवाही न्यायालय में हुई। न्यायालय द्वारा आरोपियों पर 9 नवंबर 2015 को आरोप गठन किया गया था। गड़खा थाना के बभनैया निवासी उमेश माझी ने 22 मई 2013 को प्राथमिक की दर्ज कराई थी। इसमें उसने बताया था कि अपनी पुत्री लक्ष्मीना देवी का विवाह देवी लाल मांझी के पुत्र मिश्रीलाल माझी के साथ 2010 में किया था। विवाह के कुछ दिन बाद से ही उनके परिवार के सदस्य लोगों द्वारा उनसे सोने की चेन, पलंग वगैरह दहेज की मांग की जाने लगी और उनकी लड़की के साथ मारपीट हुई। 22 मई 2013 को देवीलाल मांझी के द्वारा फोन किया गया कि आप जल्दी आएं । आपकी लड़की की तबीयत खराब है। सूचना पाकर वे ग्राम कचनार पहुंचे तो देखा कि उनकी पुत्री लक्ष्मीना देवी मौत अवस्था में है। उन्हें पूर्ण विश्वास हो गया कि उसकी बेटी की हत्या दहेज के लिए सुसराल वालों ने कर दी है।
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