भगवान की प्राप्ति के लिए गुरु का सहारा जरूरी : स्वामी युगल शरण
भगवान की प्राप्ति के लिए गुरु का सहारा जरूरी : स्वामी युगल शरणभगवान की प्राप्ति के लिए गुरु का सहारा जरूरी : स्वामी युगल शरणभगवान की प्राप्ति के लिए गुरु का सहारा जरूरी : स्वामी युगल शरणभगवान की...

भगवान की प्राप्ति के लिए गुरु का सहारा जरूरी : स्वामी युगल शरण कहा-संसार के मोह से मुक्त होकर ही ईश्वर की प्राप्ति संभव सच्चे गुरु की पहचान कठिन, ढोंगियों से बचें भगवान तक पहुंचने का मार्ग गुरु से होकर ही गुजरता है फोटो : युगल 01 : बिहारशरीफ के श्रम कल्याण केंद्र में शुक्रवार को आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए डॉ. स्वामी युगल शरण। युगल 02 : श्रम कल्याण केंद्र के मैदान में डॉ. स्वामी युगल शरण के प्रवचन में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़। बिहारशरीफ, हमारे संवाददाता। शहर के श्रम कल्याण केंद्र में ब्रज गोपिका सेवा मिशन द्वारा आयोजित प्रवचन के छठे दिन शुक्रवार को डॉ. स्वामी युगल शरण ने गुरु की महिमा पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए सच्चे गुरु की शरण में जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जीवन के मोह-माया से मन को मुक्त कर, भगवान की भक्ति में लगाना ही आध्यात्मिक सफलता का मार्ग है। स्वामी युगल शरण ने कहा कि कोई भी व्यक्ति बिना गुरु की कृपा के ईश्वर को नहीं जान सकता। वेदों और पुराणों में गुरु की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। उन्होंने उपनिषद् का उदाहरण देते हुए कहा ‘आचार्यवान पुरुषो हि वेद। इसका अर्थ है कि सच्चे गुरु के बिना कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता। भगवद गीता का उल्लेख करते हुए उन्होंने ने बताया कि परमात्मा को जानने के लिए एक अनुभवी और ब्रह्मनिष्ठ गुरु की जरूरत होती है। श्रीकृष्ण ने भी कहा है ‘आचार्यं माम् विजानीयान यानी गुरु को भगवान से न बड़ा मानो, न छोटा, बल्कि यह मानों कि गुरु ही स्वयं भगवान हैं। सच्चे गुरु की पहचान कठिन, ढोंगियों से बचें: उन्होंने कहा कि सच्चे गुरु को पहचानना बहुत मुश्किल है। आजकल कई लोग संत का भेष धारण कर भोले-भाले लोगों को धोखा देते हैं। ऐसे ढोंगी बाबाओं से सावधान रहना चाहिए, जो भक्ति के नाम पर लोगों को गुमराह करते हैं। उन्होंने बताया कि संसार में चार प्रकार के लोग होते हैं। पहले वे संत जो पूरी तरह से मोह-माया से मुक्त हो चुके हैं और उनका आचरण भी वैसा ही होता है। इन्हें पहचानना आसान होता है। दूसरे वे संत जो भीतर से माया से मुक्त होते हैं लेकिन बाहर से सामान्य लोगों जैसा व्यवहार करते हैं। इन्हें पहचानना कठिन होता है। तीसरे वे साधारण लोग जो न भीतर से माया से मुक्त हैं और न बाहर से। ऐसे लोग आम मनुष्य होते हैं। चौथे वे ढोंगी लोग जो भीतर से माया से मुक्त नहीं हैं लेकिन बाहर से संत होने का दिखावा करते हैं। आजकल ऐसे ही लोग सबसे अधिक देखने को मिलते हैं, जो दूसरों की श्रद्धा का गलत फायदा उठाते हैं। गुरु का काम है मार्ग दिखाना और प्रेम प्रदान करना: स्वामी युगल शरण ने बताया कि जब कोई व्यक्ति सच्चे गुरु की शरण में जाता है, तो गुरु उसे साधना और भक्ति का सही मार्ग दिखाते हैं। वे उसके योग-क्षेम कल्याण का ध्यान रखते हैं और जब उसका मन पूरी तरह शुद्ध हो जाता है, तब उसे भगवान का दिव्य प्रेम प्राप्त होता है। प्रवचन के अंत में भजन-कीर्तन और आरती का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। छठे दिन भी प्रवचन सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। मौके पर जोसफ टीटी, परमेश्वर महतो, डॉ. सुनील कुमार, दीपक कुमार, विभाष प्रियदर्शी, अनिल सैनी, अमित कुमार, राजन अग्रवाल, ममता कौशांबी आदि मौजूद थे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।