आरटीई : दूसरे चरण में 416 बच्चों के लिए विद्यालय का हुआ आवंटन, 30 तक होगा नामांकन
आरटीई : दूसरे चरण में 416 बच्चों के लिए विद्यालय का हुआ आवंटन, 30 तक होगा नामांकनआरटीई : दूसरे चरण में 416 बच्चों के लिए विद्यालय का हुआ आवंटन, 30 तक होगा नामांकनआरटीई : दूसरे चरण में 416 बच्चों के...

आरटीई : दूसरे चरण में 416 बच्चों के लिए विद्यालय का हुआ आवंटन, 30 तक होगा नामांकन दूसरे चरण में 446 छात्रों ने नहीं कराया ऑनलाइन आवेदन का सत्यापन, नहीं हुआ स्कूल आवंटन निजी विद्यालयों में पहली कक्षा में नामांकन के लिए 862 ने किया है आवेदन इस साल पहले चरण में 1016 बच्चों हुआ था स्कूल आवंटन फोटो : स्कूल 01 : बिहारशरीफ स्कूल में पढ़ाई करते बच्चे। (फाइल फोटो) बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान संवाददाता। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत अलाभकारी समूह व कमजोर वर्ग के बच्चों को शैक्षणिक सत्र 2025-26 में निबंधित निजी स्कूलों में पहली कक्षा में नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। दूसरे चरण में जिले में 862 छात्र-छात्राओं ने ज्ञानदीप पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया है। लेकिन, 446 छात्रों के अभिभावकों ने ज्ञानदीप पोर्टल पर आवेदन करने के बावजूद आवेदन का सत्यापन नहीं कराया। नतीजा, इन छात्रों का स्कूल आवंटन नहीं किया गया। कागजी प्रक्रिया पूरी करने वाले 416 बच्चों के लिए स्कूल आवंटन किया गया है। चयनित छात्रों का 26 से 30 अप्रैल तक विद्यालय में नामांकन लिया जाएगा। समग्र शिक्षा डीपीओ मो. शाहनवाज ने बताया कि ऑनलाइन आवेदन करने वाले बच्चों के अभिभावकों से 24 अप्रैल तक बीआरसी में जाकर दस्तावेज का सत्यापन कराने की अपील की गयी थी। ताकि विद्यालय आवंटन में किसी तरह की परेशानी नहीं झेलनी पड़े। जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत : जानकारों ने बताया कि आरटीई योजना की जानकारी के लिए महादलित, दलित व अन्य टोले जागरूकता अभियान चलाकर जागरूक करने की जरूरत है। सुदूरवर्ती इलाके में आरटीई योजना क्रियाकलापों की जानकारी नहीं रहने की वजह से कमजोर वर्ग के छात्र पात्र रहते हुए भी योजनाओं की लाभ नहीं ले पा रहे हैं। शिक्षा विभाग व सामाजिक संगठनों द्वारा व्यापक पैमाने पर प्रचार-प्रसार कराया जाना चाहिए। लक्ष्य के अनुरूप आवेदन नहीं : जिले के 764 निबंधित निजी वद्यालय चलाए जा रहे हैं। इनमें से 483 ने अपने विद्यालय में आरटीई के तहत बच्चों का नामांकन लेने की सहमति दी है। जबकि, 281 निबंधित निजी विद्यालय के प्राचार्यों ने सहमति नहीं जतायी है। यानि, गरीब बच्चों को पढ़ाने को तैयार नहीं है। या यूं कहें कि विभागीय आदेश इनके लिए कोई मायने नहीं रखता है। अधिकारी भी सब कुछ जानकर इन विद्यालयों पर नकेल कसने का प्रयास नहीं करते हैं। इसी का नतीजा है कि पिछले साल की तरह इस साल में जिले में शत-प्रतिशत निबंधित निजी विद्यालय आरटीई के तहत गरीब बच्चों को पढ़ाने की सहमति नहीं दी। जबकि, शिक्षा विभाग आरटीई के तहत अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। ऑनलाइन आवेदन करने की दो बार तिथि भी बढ़ायी। लेकिन, इन स्कूलों के प्राचार्य को कोई फर्क नहीं पड़ा।
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