नालंदा में 20 माह से मानदेय नहीं, प्रेरक उतरे सड़क पर
नालंदा में 20 माह से मानदेय व अन्य मांगें पूरी नहीं होने पर जिला प्रेरक संघ के लोगों का धैर्य जवाब दे गया। सोमवार को जिले के सैकड़ों प्रेरक सड़क पर उतर...
नालंदा में 20 माह से मानदेय व अन्य मांगें पूरी नहीं होने पर जिला प्रेरक संघ के लोगों का धैर्य जवाब दे गया। सोमवार को जिले के सैकड़ों प्रेरक सड़क पर उतर गए। पहले श्रम कल्याण केन्द्र के मैदान में जमा हुए और वहां से आक्रोश मार्च निकाल कर अस्पताल चौक, भैंसासुर चौक, अम्बेर चौक व अन्य सड़कों से गुजरते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचकर घेराव किया। आधा घंटे बाद यहां से निकलकर डीईओ कार्यालय पहुंचे और वहां भी घेराव किया। आक्रोश मार्च के दौरान हाथों में बैनर व तख्तियां लिए प्रेरक संघ के सदस्य केन्द्र व राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। आक्रोश मार्च के दौरान सड़कों पर जाम लग गया। कलेक्ट्रेट के निकट सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। बाद में डीएम के ओएसडी से मिले आश्वासन के बाद प्रेरक संघ के लोग सड़क जाम हटाया।
संघ के जिलाध्यक्ष उदय प्रताप ने बताया कि पिछले 20 माह से प्रेरकों को वेतन नहीं दिया गया है। नौकरी करने के बाद भी भूखमरी के कगार पर हैं। प्रेरकों के घरों में चूल्हे जलना मुश्किल हो रहा है। मानदेय नहीं मिलने की वजह से अधिकांश प्रेरक कर्ज में डूब चुके हैं। बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। बावजूद सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। हक के लिए चरणबद्ध तरीके से सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी। इसकी शुरुआत आक्रोश मार्च और कलेक्ट्रेट व डीईओ कार्यालय के घेराव से कर दी गयी है। मांगें पूरी होने तक लड़ाई जारी रहेगी।
जिले में 498 प्रेरक:
उन्होंने बताया कि पिछले सात वर्षों से जिले के 498 प्रेरकों ने सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाओं को पूरा किया है। जिले में चल रही नवसाक्षर महिलाओं को स्वरोजगार के लिए सिलाई-कटाई का काम, सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिलवाना, जन-धन खाता खुलवाना,जीविका समूहों व स्वयं सहायता समूहों से जोड़ना, शौचालय का निर्माण करवाना, मतदाता जागरूकता फैलाना व अन्य कामों में लगे रहे हैं। बावजूद सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है। मौके पर संजीत कुमार, कमलेश कुमार, संगीता देवी, शंभू कुमार, प्रेमलता कुमारी, शैलेन्द्र कुमार, निर्मला कुमारी, पुष्पा कुमारी, भोला प्रसाद, कुमकुम कुमारी के अलावा अन्य लोग मौजूद थे।
ये हैं मांगें:
साक्षर भारत प्रेरकों की सेवा नियमित करने, प्रेरकों को 20 माह का बकाया मानदेय देने, साक्षर भारत प्रेरकों को केन्द्र या राज्य सरकार द्वारा निर्घारित न्यूनतम वेतन लागू करने, सेवा पुस्तिका खोलने, प्रेरकों को ईपीएफ, बीमा, चिकित्सा, महंगाई व अन्य भत्ता देने, महिला प्रेरकों को मातृत्व अवकाश लागू करने आदि।
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