पिछात सरसों की फसल पर लाही कीट का प्रकोप, चिंता में किसान
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पिछात सरसों की फसल पर लाही कीट का प्रकोप, चिंता में किसान चूस रहे पौधे और डीडियों से रस, दाने का विकास हो रहा प्रभावित मौसम में उतार-चढ़ाव की वजह से कीट का प्रसार बढ़ रहा तेजी से फोटो सरसों : नूरसराय के पास खेत में लगी सरसों की फसल। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण पिछात सरसों की फसल पर लाही कीट का प्रकोप काफी बढ़ गया है। पौधों में तैयार हो रही डीडियों से कीट रस चूस रहा है। ऐसे में दानों का विकास प्रभावित होने की आशंका बढ़ गयी है। लाही कीट के बढ़ते प्रसार के कारण मेहनत और पूंजी लगाकर तेलहन की खेती करने वाले किसान चिंता में पड़े हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जलवायु परिवर्तन और समय पर मौसम का साथ न मिलने के कारण इसबार जिले के किसानों ने दलहन की खेती में विशेष रुचि ली है। करीब 8978 हेक्टेयर राई/सरसों की खेती की गयी है। थोड़ी राहत यह कि अगात सरसों की फसल अच्छी हुई है। 25 फीसद हार्वेस्टिंग भी हो चुकी है। समस्या यह कि देर से सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए लाही कीट मुसीबत बन गया है। जिले के प्राय: भागों में कीट का असर दिख रहा है। सरदार बिगहा के किसान धनंजय कुमार, चंडी के मनोज कुमार, नूरसराय के सरोज सिंह, अस्थावां के प्रेम रंजन बताते हैं कि पौधों में फूल झड़ गये हैं। डीडियां लग चुकी हैं। समस्या यह कि बदलते मौसम के साथ लाही का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जल्द रोकथाम नहीं हुई तो उपज पर प्रतिकूल असर पड़ता तय है। कीट से फसल को नुकसान: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के जिला तकनीकी पदाधिकारी धनंजय कुमार बताते हैं कि लाही एक रस चूसक कीट है। यह फसल और उसमें लगे डीडियों के रस चूस जाता है। इससे पौधे अस्वस्थ हो जाते हैं और दाने का विकास रूक जाता है। समय पर रोकथाम के उपाय नहीं किये गये तो फसल बर्बाद हो जाती है। नुकसान से बचना है तो करें ये उपाज: पौधा संरक्षण के सहायक निदेशक संतोष कुमार बताते हैं कि कई किसानों ने सरसों की फसल पर लाही कीट का प्रकोप की शिकायत की है। किसानों को रोकथाम के लिए उपाय बताये जा रहे हैं। जिन खेतों में कीट का असर पर है, उसमें इमीडाक्लोरोपिड एक एमएल प्रति तीन लीटर पानी और सल्फर तीन ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से फसलों का बचाव होगा।
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