Hindi NewsBihar NewsBiharsharif NewsHolika Dahan 2023 Auspicious Timing Limited to 1 Hour 4 Minutes After Bhadra Ends

होलिका दहन में भद्रा का साया, आधी रात में केवल 1 घंटा 4 मिनट का शुभ मुहूर्त

होलिका दहन में भद्रा का साया, आधी रात में केवल 1 घंटा 4 मिनट का शुभ मुहूर्तहोलिका दहन में भद्रा का साया, आधी रात में केवल 1 घंटा 4 मिनट का शुभ मुहूर्तहोलिका दहन में भद्रा का साया, आधी रात में केवल 1...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSun, 23 Feb 2025 10:30 PM
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होलिका दहन में भद्रा का साया, आधी रात में केवल 1 घंटा 4 मिनट का शुभ मुहूर्त

होलिका दहन में भद्रा का साया, आधी रात में केवल 1 घंटा 4 मिनट का शुभ मुहूर्त होलिका दहन 13 मार्च को भद्रा समाप्ति के बाद, होली का पर्व 14 मार्च को धूमधाम से मनाया जाएगा पावापुरी, निज संवाददाता। हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन होलिका दहन की परंपरा है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस वर्ष होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहेगा। इसके कारण शुभ मुहूर्त में कमी रहेगी। ऋर्षिकेश पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 2 मिनट पर लग जाएगी। इस दिन भद्रा का साया भी रहेगा, जो रात 10 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भद्रा काल में होलिका दहन अशुभ माना जाता है। इसलिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त भद्रा समाप्ति के बाद शुरू होगा। आचार्य पप्पू पांडेय कहते हैं कि भद्रा को अशुभ माना जाता है और इसकी अवधि में किसी भी शुभ कार्य को करने से बचने की सलाह दी जाती है। इस बार फाल्गुन पूर्णिमा पर भद्रा का साया होने के कारण होलिका दहन का शुभ समय रात के मध्य में रहेगा। • • होलिका दहन के नियम और विधि: • भद्रा समाप्ति के बाद ही होलिका दहन करें। 13 मार्च की रात 10:44 बजे के बाद शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करना चाहिए। पूजा कर होलिका की परिक्रमा करें और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें। होलिका दहन का महत्व: पंडित सूर्यमणि पांडेय ने बताया कि होलिका दहन के पीछे धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने होलिका का विनाश किया था। इसे बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग होलिका में पुरानी और नकारात्मक चीजें अर्पित करके जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का स्वागत करते हैं। विशेषज्ञों की राय: ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, भद्रा के दौरान होलिका दहन करने से अशुभ फल मिल सकते हैं। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि शुभ मुहूर्त में ही होलिका दहन करें। होली का पर्व: होलिका दहन के अगले दिन रंगों का पर्व होली मनायी जाती है। इस बार होली 14 मार्च शुक्रवार को हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाई जाएगी। इस दिन लोग रंग, गुलाल और पिचकारी से एक-दूसरे को रंगते हैं और गिले-शिकवे भूलकर एकता और प्रेम का संदेश देते हैं। होली का उल्लास और उमंग: 14 मार्च को रंगों का त्योहार होली पूरे देश में धूमधाम से मनायी जाएगी। इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाकर और मिठाइयां खिलाकर भाईचारे और प्रेम का संदेश देंगे। होली का उत्सव न केवल रंगों का त्योहार है, बल्कि यह दिलों को जोड़ने और आपसी मनमुटाव को दूर करने का अवसर भी है। श्री पांडेय ने कहा कि 13 मार्च को भद्रा के साये के कारण होलिका दहन का शुभ समय केवल एक घंटा चार मिनट के लिए होगा। श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वे इस समय का ध्यान रखते हुए विधिपूर्वक होलिका दहन करें और बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव मनाएं। 14 मार्च को रंगों की होली का उत्सव पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: • पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 13 मार्च, रात 10:02 बजे • भद्रा समाप्ति: 13 मार्च, रात 10:44 बजे • होलिका दहन का शुभ समय: 13 मार्च, रात 10:44 बजे के बाद • मध्य रात्रि में केवल 1 घंटा 4 मिनट का समय • भद्रा समाप्ति: मध्य रात्रि के बाद • शुभ मुहूर्त अवधि: 1 घंटा 4 मिनट

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