राहत: नालंदा में तैयार पौध से 23 जिलों में गेंदा फूल की खेती
राहत: नालंदा में तैयार पौध से 23 जिलों में गेंदा फूल की खेतीराहत: नालंदा में तैयार पौध से 23 जिलों में गेंदा फूल की खेतीराहत: नालंदा में तैयार पौध से 23 जिलों में गेंदा फूल की खेतीराहत: नालंदा में...

अच्छी खबर : राहत: नालंदा में तैयार पौध से 23 जिलों में गेंदा फूल की खेती 8 माह में किसानों को अनुदान पर दिये गये 4 करोड़ 67 लाख 44 हजार पौधे भागनबिगहा के आदर्श फ्लोरीकल्चर सेंटर में तैयार पौध से उपज मिलती है अधिक फोटो फ्लोरीकल्चर: : भागनबिगहा के मॉडल फ्लोरिकल्चर सेंटर की हाईटेक नर्सरी, जहां तैयार होती है गेंदा फूल की पौध। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। एनएच 20 के किनारे भागनबिगहा में है सूबे का पहला मॉडल (आदर्श) फ्लोरिकल्चर सेंटर। यहां हाइटेक नर्सरी में विभिन्न प्रभेदों के फूलों के पौधे तैयार किये जाते हैं। पहला मौका है कि पिछले वित्तीय वर्ष में नालंदा समेत सूबे के 23 जिलों के किसानों को गेंदा फूल की पौध यहां से अनुदानित दर पर मुहैया करायी गयी थी। इस पहल से बिहार की मालियों को बड़ी राहत मिली है। गेंदा की पौध के लिए बंगाल समेत अन्य प्रदेशों पर निर्भरता खत्म हो गयी है। उद्यान निदेशालय द्वारा करीब छह करोड़ गेंदा की पौध बांटने का लक्ष्य रखा गया था। इसके विरुद्ध पिछले साल जुलाई से लेकर इस साल फरवरी तक 23 जिलों के किसानों को मांग के अनुसार चार करोड़ 67 लाख 44 हजार 796 पौधे दिये गये। प्रति हेक्टेयर 28 हजार पौधों की जरूरत होती है। यानी नालंदा में तैयार पौध से विभिन्न जिलों में करीब 1670 हेक्टेयर में फूल की खेती हुई। अच्छी बात यह भी कि प्रति पौधा की दर एक रुपए निर्धारित थी। राहत यह कि फूल विकास योजना के तहत चयनित जिलों को पौधे नि:शुल्क मुहैया कराये गये थे। इतना ही नहीं फ्लोरिकल्चर सेंटर के वाहन से पौधे जिलवार बिना किसी किराया के पहुंचाया गया था। रहुई प्रखंड के इमामगंज के राकेश मालाकार, मुकेश मालाकार व अन्य कहते हैं कि पहले हर सीजन में पश्चिम बंगाल से पौधे लाने पड़ते हैं। खर्च अधिक होता है। अब भानगबिगहा में पौधे तैयार होने लगे हैं तो बड़ी राहत मिली है। पौधों की खासियत : हाइटेक नर्सरी में अच्छी क्वालिटी के बीज से तैयार पौध निरोग रहती है। वह भी बिहार की मिट्टी और वातावरण के अनुकूल। लागत कम के साथ ही अधिक उपज देने वाली किस्में होती हैं। पिछले साल गेंदा फूल की पूसा बसंती लाल, पूसा बसंती ऑरेंज, बंगाल ऑरेंज और बंगाल लाल वेरायटी के पौधे किसानों को दिये गये थे। आधुनिक सुविधाओं से है लैस : करीब चार एकड़ में फैला फ्लोरिकल्चर सेंटर आधुनिक सुविधाओं से लैस है। पौधे तैयार करने के लिए हाइटेक नर्सरी है। ऑटोमेटिक ड्रीप एरीगेशन सिस्टम लगा है। एक बार में करीब 50 लाख पौधे तैयार करने की क्षमता है। 15 से 20 दिन में पौध रोपने लायक हो जाती है। मॉडल फ्लोरिकल्चर सेंटर पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर चलता है। उद्यान विभाग देखरेख तो निजी कंपनी पौधे तैयार करती है। कहते हैं अधिकारी: मॉडल फ्लोरीकल्चर की स्थापना फूलों की उन्नत पौध तैयार करने के साथ ही किसानों को खेती की बारीकियां बताने के लिए की गयी है। पिछले साल 23 जिलों के किसानों को मांग के अनुसार गेंदा फूल की पौध मुहैया करायी गयी थी। इसबार का लक्ष्य अभी नहीं मिला। उम्मीद है कि निदेशालय स्तर से इसपर जल्द निर्णय लिया जाएगा। राकेश कुमार, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग, नालंदा किस जिले में कितने पौधे भेजे गये: (1) अररिया 6,28,320 (2)औरंगाबाद 24,25,360 (3) बांका 1,83,400 (4) बेगूसराय 5,57,200 (5) भागलपुर 30,80,000 (6) दरभंगा 13,52,988 (7)गया 37,32,624 (8) जमुई 11,25,264 (9) कटिहार 15,22,920 (10) खगड़िया 22,40,000 (11) किशनगंज 3,46,080 (12) मधुवनी 22,40,00 (13) मुंगेर 13,70,320 (14) मुजफ्फरपुर 15, 83,120 (15) नालंदा 18,90,000 (16) पश्चिमी चम्पारण 47,88,000 (17) पटना 67, 53, 880 (18) पूरबी चम्पारण 31, 33,760 (19) पूर्णिया 16,50,320 (20)रोहतास 16,78,880 (21) सहरसा 5,10,440 (22) समस्तीपुर 34,39,520 (23) वैशाली 45, 44,400
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