अचला सप्तमी पर श्रद्धालुओं ने रखा व्रत, किया मीठा भोजन
अचला सप्तमी पर श्रद्धालुओं ने रखा व्रत, किया मीठा भोजनअचला सप्तमी पर श्रद्धालुओं ने रखा व्रत, किया मीठा भोजनअचला सप्तमी पर श्रद्धालुओं ने रखा व्रत, किया मीठा भोजन

अचला सप्तमी पर श्रद्धालुओं ने रखा व्रत, किया मीठा भोजन एक दिन नमक त्यागने से मिलता है बड़ा लाभ व्रत करने से पूरे साल नमक नहीं खाने का मिलता है फल पावापुरी, निज संवाददाता। माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को श्रद्धालुओं ने अचला सप्तमी का व्रत रखकर केवल मीठा भोजन ग्रहण किया। पंडित सत्यनारायण पांडेय ने बताया कि शास्त्रों की मानें, तो इस दिन सूर्य का प्रकाश सबसे पहले धरती पर आया था। इसे रथ सप्तमी, भानु सप्तमी और संतान सप्तमी भी कहा जाता है। अचला सप्तमी के दिन नमक का त्याग करके मीठा खाने से विशेष पुण्य मिलता है। श्रद्धालु साल में इस दिन नमक का त्याग करते हैं। व्रतियों ने पूरे दिन और रात में मीठा भोजन ही ग्रहण किया। आचार्य पप्पू पांडेय ने कहा कि भविष्य पुराण में इस सप्तमी को वर्ष की सर्वश्रेष्ठ सप्तमी में से एक माना है। इस दिन नमक का त्याग करके मीठा खाने की परंपरा को अच्छा माना जाता है। इस व्रत को संतान सुख, रूप और सौभाग्य प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत रखने से वर्षभर नमक न खाने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है और स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है एक दिन नमक का त्याग करना : आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के अनुसार एक दिन नमक का त्याग करने से शरीर को कई फायदा होता है। रक्तचाप नियंत्रित रहता है। अधिक नमक का सेवन उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है। शरीर को विषरहित बनाने में यह काफी सहायक होता है। नमक छोड़ने से शरीर में जल संतुलन बना रहता है और विषाक्त पदार्थ बाहर निकलता है। गठिया व जोड़ों के दर्द में राहत मिलता है। नमक के अधिक सेवन से सूजन बढ़ती है, जबकि एक दिन इसे छोड़ने से शरीर को आराम मिलता है। हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है। कम नमक खाने से हृदय रोगों के होने की आशंका काफी कम होती है। अचला सप्तमी का महत्व : ज्योतिषियों की मानें, तो अचला सप्तमी को रथ सप्तमी भी कहा जाता है। इस व्रत के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस दिन धरती पर सूर्य की पहली किरण पड़ी थी। सूर्यदेव ने अपने रथ पर सवार होकर इस संसार को आलोकित करना शुरू किया था। इसलिए इसे रथ सप्तमी कहते हैं। इस तिथि को सूर्य देवता के प्राकट्य दिवस और जन्म दिवस के रूप में मनाए जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पद्म पुराण में बताया गया है कि इस दिन स्वयं भी नमक का त्याग करना चाहिए और सूर्य देवता को भी मीठी चीजों जैसे खीर, मालपुआ और बेसन के लड्डू का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से आप पर सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। अचला सप्तमी पर नमक का त्याग करने के फायदे : अचला सप्तमी पर नमक और तेल से बनी वस्तुओं का त्याग करके सूर्यदेव का व्रत श्रद्धालुओं ने किया। वहीं लोगों ने सिर्फ मीठी चीजों का सेवन किया। ऐसी मान्यता है कि जो लोग अचला सप्तमी पर नमक का त्याग करके सिर्फ मीठा भोजन करते हैं, उन्हें पूरे साल नमक त्यागने के समान पुण्य मिलता है। ऐसे लोगों को सूर्यदेव की कृपा से कोई रोग नहीं होता है और ऐसे लोग समाज के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी काफी सफल होते हैं। ज्योतिष में सूर्य का संबंध हृदय से भी माना गया है। इसलिए अचला सप्तमी पर व्रत करने से आपके हृदय को भी बल मिलता है। मरने के बाद भी ऐसे लोग बैकुंठ में जगह पाते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।