परिवहन मित्रों को वैधानिक मान्यता और मानदेय मिले
भागलपुर में परिवहन मित्रों की स्थिति खराब है। उन्हें न तो मानदेय मिला है और न ही वैधानिक अधिकार। संघ के सदस्य वाहन मालिकों की मदद करते हैं, लेकिन आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। वे सरकार से मानदेय और...
भागलपुर। परिवहन कार्यालय और वाहन मालिकों के बीच कड़ी का काम करने का दावा करने वाले परिवहन मित्रों की हालत खराब है। उनके लिए अभी तक न तो मानदेय का कोई प्रावधान किया गया है और न ही वैधानिक अधिकार मिला है। रोज परिवहन कार्यालय के आसपास बैठने वाले परिवहन मित्र वाहन मालिकों के भरोसे दिन काट रहे हैं। मानदेय नहीं होने से परिवार का भरण-पोषण करने में भी परेशानी हो रही है। बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ भागलपुर शाखा के अन्तर्गत 78 सदस्य हैं। संघ के सदस्य श्रम विभाग द्वारा निबंधन का दावा करते हैं। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि रोज परिवहन कार्यालय परिसर में वाहन मालिकों का कार्यालय से जुड़े काम में सहयोग करते हैं। परिवहन विभाग के नियमों की जानकारी देते हुए संबंधित कागजातों को तैयार करने में मदद करते हैं। लेकिन उन्हें कोई वैधानिक मान्यता नहीं है। संघ विभाग और सरकार से लगातार मानदेय निर्धारित करने और वैधानिक मान्यता देने की मांग कर रहा है। संघ के सदस्यों का मानना है कि परिवहन विभाग की योजनाओं को आमलोगों तक पहुंचाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके बाद उनकी मांगों की अनदेखी करने से परिवार का भरण-पोषण करने में परेशानी हो रही है। मानदेय नहीं मिलने से वाहन मालिकों से मिलने वाले मेहनताना से किसी तरह परिवार चला रहे हैं। लेकिन काम करने का कोई रेट तय नहीं है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि परिवहन कार्यालय से कोई सहयोग नहीं मिलता है। कार्यालय में जाने का भी वैधानिक अधिकार नहीं है। बैठने की कोई जगह नहीं है। परिवहन कार्यालय के आसपास चाय-पान की दुकानों में बैठकर वाहन मालिकों के काम में सहयोग कर रहे हैं।
बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ भागलपुर शाखा के सचिव जितेन्द्र सिंह ने बताया कि वैधानिक मान्यता दिलाने के लिए भागलपुर से पटना तक लड़ाई लड़ी जा रही है। संघ के सदस्य परिवहन विभाग के जागरूकता अभियान में अपनी भूमिका निभाते हैं। लोगों को नियमों को लेकर जागरूक कर रहे हैं। लेकिन अभी तक विभाग के स्तर से मानदेय तक तय नहीं हुआ है। वाहन मालिकों का नियमों के तहत काम करवाने में भी कार्यालय कर्मी परिवहन मित्रों का सहयोग नहीं करते हैं। परिवहन मित्रों को कार्यालय के नजदीक बैठकर ऑनलाइन और ऑफलाइन सेवा करने का मौका देना चाहिए। परिवहन मित्रों को श्रम का उचित मुआवजा मिलना चाहिए। सरकार द्वारा सर्व क्षमा योजना के तहत दुरुस्ती प्रमाण पत्र, पथकर लाइसेंस तथा परमिट जो कई सालों से रूका हुआ है, उसका अर्थदंड माफ करना चाहिए। इससे सरकार को भारी राजस्व की वृद्धि के साथ वाहन स्वामी को राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि विभिन्न मंचों के माध्यम से संघ अपनी मांगों को उठा रहा है। वैधानिक अधिकार मिलने पर राज्य के हजारों परिवहन मित्रों का भला हो जाएगा। इससे परिवहन मित्र के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल पाएगी।
बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन फौजी ने बताया कि सूबे में हजारों लोग इससे जुड़े हुए हैं। 40 से 50 हजार के बीच संघ के सदस्य हैं। वैधानिक मान्यता नहीं मिलने और मानदेय निर्धारित नहीं होने से भूखमरी की स्थिति बनी हुई है। परिवहन मित्र सुबह तैयार होकर घर से भागलपुर आते हैं। कार्यालय आने पर भी रोज कोई काम नहीं मिलता है। ग्रामीण क्षेत्र से आने में किराया भी देना पड़ता है। कई दिन तो काम भी नहीं मिल पाता। परिवहन कार्यालय के आसपास वाहन स्वामी की समस्याओं का समाधान करते हैं। काम करने पर वाहन स्वामी स्वेच्छा से आर्थिक मदद करते हैं। प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से परिवहन मित्र विभाग के कार्यों में सहयोग कर रहे हैं। इससे विभाग को आर्थिक लाभ भी मिल रहा है। परिवहन मित्रों की समस्याओं पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। वैधानिक मान्यता नहीं रहने से काम करने में भी परेशानी होती है। कभी-कभी परिवहन कार्यालय के कर्मियों के आक्रोश को भी झेलना पड़ता है। परिवहन मित्रों का ड्रेस कोड भी होना चाहिए। मांग से संबंधित ज्ञापन बिहार के मुख्यमंत्री को 28 दिसंबर 2020 में भी दिया गया था। ज्ञापन के माध्यम से बताया गया कि सड़क सुरक्षा कानून को प्रभावी बनाने में तथा आपदा के समय परिवहन मित्र अपनी भागीदारी देते हैं।
बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ भागलपुर शाखा के उपाध्यक्ष शशि भूषण कुमार ने बताया कि विभाग के स्तर से भी इस बारे में जानकारी मांगी गयी है। परिवहन मित्र के रूप में आठ साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं। बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ का श्रम संसाधन विभाग से 2016 में ही निबंधन हुआ है। लेकिन सरकार की नजर नहीं पड़ रही है। परिवहन कार्यालय के काम में सहयोग करने के बावजूद कभी-कभी कार्यालय कर्मी प्रवेश करने पर भी रोक लगाते हैं। इस काम से सैकड़ों परिवार जुड़ा हुआ है। परिवहन मित्रों को कम-से-कम कार्यालय के आसपास बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए। कई जनप्रतिनिधियों द्वारा भी इस मांग को बिहार सरकार के समक्ष रखा गया है। वैधानिक मान्यता नहीं मिलने के चलते बहुत परेशानी हो रही है। मानदेय निर्धारित होने पर परिवहन मित्रों को आर्थिक संकट से मुक्ति मिल सकती है। परिवहन कार्यालय को भी आगे आकर परिवहन मित्रों की मदद करनी चाहिए। वाहन स्वामी भी काम में मदद करने पर स्वेच्छा से आर्थिक मदद करते हैं। परिवहन मित्रों को नियमित रूप से काम भी नहीं मिलता है। इतने दिनों तक इस काम से जुड़े रहने के चलते अब दूसरा रोजगार भी नहीं कर सकते हैं।
परिवहन मित्रों ने मुख्यमंत्री सहित कई अधिकरियों से गुहार लगाई
परिवहन कार्यालय में सहयोगी की भूमिका निभाने का दावा करने वाले परिवहन मित्रों के समक्ष काफी समस्याएं हैं। बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ ने समस्याओं का समाधान करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री को 28 दिसंबर 2020 को आवेदन दिया था। आवेदन में परिवहन मित्र कामगार संघ की ओर से पूरे बिहार में पचास हजार परिवहन मित्र द्वारा अपनी सेवा देने की बात बताई गई थी। मुख्यमंत्री, परिवहन विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी, जिला परिवहन पदाधिकारी और पाटलीपुत्र के तत्कालीन सांसद को भी परिवहन मित्रों ने आवेदन दिया था। लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई सकारात्मक सहयोग नहीं मिल सका है। परिवहन मित्र कामगार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन कुमार फौजी ने बताया कि करीब आठ साल से बिहार के सभी जिले में परिवहन मित्र द्वारा सेवा दी जा रही है। लेकिन राज्य सरकार ने वैधानिक अधिकार और मानदेय राशि का प्रावधान नहीं किया। परिवहन कार्यालय और वाहन मालिकों के बीच कड़ी के रूप में सेवा देने के अलावा सड़क सुरक्षा कानून को प्रभावी बनाने के लिए भी काम करते हैं। लेकिन सरकार से उनके कार्यों को कभी सम्मान नहीं मिला। संघ द्वारा कई बार सरकार और संबंधित विभाग को आवेदन दिया गया, पर सकारात्मक परिणाम परिवहन मित्रों को नहीं मिला। परिवहन मित्रों को वैधानिक अधिकार, परिवहन कार्यालय के समक्ष बैठकर ऑनलाइन और ऑफलाइन कार्य करने की अनुमति के अलावा मानदेय मिलना चाहिए।
संघ के सचिव जितेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि अर्थदंड माफ करने से सरकार को भारी राजस्व की प्राप्ति होगी, परिवहन मित्रों के लिए रोजगार सृजन कर मुख्य धारा से जोड़ा जाना चाहिए। बिहार में 50 हजार परिवहन मित्र हैं, जो पिछले कई वर्षों से विभाग एवं वाहन मालिक के बीच सहयोगी की भूमिका निभा रहे हैं। सरकार की पहल पर इन्हें रोजगार से जोड़ा जा सकता है। शशी भूषण कुमार ने बताया कि सालभर पहले गाड़ी निकालने के बाद भी वाहन स्वामी का नाम ट्रांसफर नहीं हुआ। इससे गाड़ी खरीदने वालों को काफी परेशानी होती है। परिवहन मित्र दूर से परिवहन कार्यालय आते हैं। लेकिन पैसे के नाम पर कुछ भी नहीं मिल पाता है। कई परिवहन मित्रों की माली हालत ठीक नहीं है। वाहन स्वामी से जो सहयोग मिलता है उसी से काम चलाना पड़ता है। संजीव कुमार और दीपू घोष ने बताया कि जिला परिवहन पदाधिकारी कार्यालय से पटना परिवहन विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी को पत्र देकर उनकी मांग की जानकारी दी गई है। 11 अगस्त 2023 में परिवहन विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी के माध्यम से भी बिहार के सभी जिला परिवहन पदाधिकारी को मुख्यमंत्री सचिवालय ई कंप्लायंस डैशबोर्ड से संबंधित अनुपालन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने को लेकर पत्र जारी किया गया था। 2020 में पाटलीपुत्र के तत्कालीन सांसद रामकृपाल यादव ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर परिवहन मित्र की मांगों का समाधान का आग्रह किया था। सूरज कुमार और बांके बिहारी वर्मा ने बताया कि सरकार उनलोगों को श्रम के मुताबिक उचित मुआवजा दिया जाए, ताकि आर्थिक रूप से संबल होकर अपनी रोजी-रोटी कमा सके। 2016 में बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ का निबंधन हुआ। लेकिन आज तक परिवहन मित्रों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका।
परिवहन मित्रों को वैधानिक अधिकार मिले
बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन कुमार फौजी ने बताया कि परिवहन मित्रों के वैधानिक अधिकारों की मांग को लेकर जिलास्तर से लेकर जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया गया है। परिवहन मित्र वाहन स्वामियों को जिला परिवहन कार्यालय से जोड़ने का काम करते हैं। जब कोई वाहन स्वामी अपने वाहन को बेचता है, तो उसकी कागजी प्रक्रिया को पूरा करने में परिवहन मित्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन परिवहन मित्रों को उनके कार्य के अनुसार उचित मेहनताना नहीं मिलता है। वर्तमान में परिवहन मित्रों को वाहन स्वामी जो भी मेहनताना देते हैं। उसी से परिवार का गुजर-बसर करना होता है। परिवहन मित्रों का नियमित मानदेय तय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार परिवहन मित्रों को वैधानिक अधिकार दे, ताकि इस असंगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिरता बने।
परिवहन मित्रों को ड्रेस कोड और उचित मेहनताना मिले
बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ भागलपुर शाखा के जिला सचिव जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि परिवहन मित्रों के लिए एक ड्रेस कोड लागू होनी चाहिए। ड्रेस कोड होने से परिवहन मित्रों को एक उचित पहचान मिलेगी। ड्रेस कोड होने पर परिवहन मित्रों को कार्यालय में प्रवेश करने पर रोक-टोक का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह तभी हो सकता है, जब सरकार वैधानिक मान्यता देगी। वर्तमान में बिना पहचान के कई बार कार्यालय में प्रवेश से रोका जाता है, जिससे असुविधा होती है और कभी-कभी विवाद भी होने लगता है। परिवहन मित्र लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उन्हें उनके श्रम के अनुरूप पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है। परिवहन मित्रों को उनके काम के अनुसार उचित मेहनताना देने की जरूरत है।
काम में देरी होने पर आक्रोश का करना पड़ता है सामना
बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ के जिला उपाध्यक्ष शशि भूषण कुमार ने बताया कि परिवहन मित्र न केवल परिवहन कर्मियों का सहयोग करते हैं, बल्कि वाहन स्वामी की सहमति से स्वरोजगार कर सरकार के राजस्व में योगदान देते हैं। इसके बावजूद परिवहन मित्र अपने परिवार का भरण-पोषण सही तरीके से करने में सक्षम नहीं हैं। इसका एकमात्र कारण काम का सही मेहनताना नहीं मिलना है। परिवहन मित्रों को वैधानिक अधिकार मिलना जरूरी है। उन्होंने बताया कि जब वाहन स्वामी के कार्यों को लेकर डीटीओ कार्यालय पहुंचते हैं तो कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासकर ऑपरेटरों की मनमानी से परिवहन मित्रों के कार्यों में अनावश्यक देरी होती है। जिसके कारण वाहन स्वामी के आक्रोश का सामना करना पड़ता है।
परिवहन मित्रों को कार्यालय के पास कार्य की अनुमति मिले
बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ भागलपुर शाखा के सदस्य दीपू घोष ने बताया कि परिवहन मित्रों को कार्यालय के नजदीक बैठकर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन सेवाएं प्रदान करने का अवसर मिलना चाहिए। परिवहन मित्रों को लॉगिन आईडी पासवर्ड निर्गत करने की आवश्यकता है। इससे उन्हें काम करने में सुविधा होगी और वे सुचारू रूप से अपनी सेवाएं दे सकेंगे। परिवहन मित्रों को श्रम विभाग से लाइसेंस तो निर्गत किया है, लेकिन सरकार से मानदेय निर्धारित नहीं किया गया है। कार्य के अनुसार उचित मेहनताना तय होना चाहिए। परिवहन मित्रों को वैधानिक अधिकार देने की आवश्यकता है। सरकार इस दिशा में सकारात्मक पहल करे।
बोले जिम्मेदार
परिवहन मित्र से संबंधित किसी तरह के पद का प्रावधान नहीं है। इसको लेकर विभागीय स्तर से भी कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं है। परिवहन मित्र क्या कर रहे हैं। इसके बारे में भी उन्हें किसी तरह की जानकारी नहीं है। विभाग के निर्देश के बिना किसी तरह का सहयोग किसी को नहीं किया जा सकता है। विभाग स्तर से अगर कोई निर्णय लिया गया है तो इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। विभाग के निर्देशों का पालन किया जाएगा। अगर किसी को कोई समस्या या शिकायत है तो उचित मंच पर रख सकता है। स्थानीय स्तर पर इनकी मांगों पर विचार करना संभव नहीं है।
जनार्दन प्रसाद सिंह, जिला परिवहन पदाधिकारी, भागलपुर
परिवहन मित्रों को उनके काम के अनुरूप मेहनताना नहीं मिलता। जिससे उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। परिवहन मित्र परिवहन कर्मियों और वाहन स्वामियों की सहायता करते हैं। सरकार के राजस्व में भी योगदान देते हैं।
परमानंद मिश्रा
परिवहन मित्रों का लाइसेंस श्रम विभाग द्वारा निर्गत किया गया है। लेकिन मानदेय निर्धारित नहीं किया गया है। लाइसेंस के साथ-साथ परिवहन मित्रों के लिए मानदेय का भी प्रबंध होना चाहिए, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।
सूरज कुमार
परिवहन मित्र वाहन स्वामियों को परिवहन कार्यालय से जोड़ने का काम करते हैं। बावजूद कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। परिवहन मित्र सरकार के राजस्व के वृद्धि में योगदान देते हैं। परिवहन मित्रों की समस्याओं का समाधान होना चाहिए।
बांके बिहारी वर्मा
परिवहन मित्रों का एक विशेष ड्रेस कोड होना चाहिए। इससे कार्यालय में कार्य करने में आसानी होगी। वर्तमान में कार्यालय में प्रवेश के दौरान कई बार विवाद हो जाता है। मानदेय देने की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
महेश चौधरी
परिवहन मित्र मेहनत कर परिवहन व्यवस्था को सुचारू बनाने में सहयोग करते हैं। लेकिन उन्हें श्रम के अनुरूप पारिश्रमिक नहीं मिलता। परिवहन मित्रों को उचित मेहनताना मिलना चाहिए, ताकि परिवार का भरण-पोषण अच्छे से कर सकें।
रूपेश सिंह
वैधानिक अधिकार मिलने पर काफी लोगों को रोजगार का अवसर मिलेगा। वर्तमान में परिवहन मित्रों की आर्थिक हालत काफी कमजोर है। सरकार उचित मानदेय की व्यवस्था करे।
रोशन
परिवहन मित्रों के लिए ड्रेस कोड लागू करने की जरूरत है। श्रम का उचित मेहनताना भी सुनिश्चित होना चाहिए। वैधानिक मान्यता मिलने पर मानदेय का भी निर्धारण हो सकता है। सरकार को उचित निर्णय लेना चाहिए।
गौतम कुमार
परिवहन मित्र को वैधानिक अधिकार नहीं मिलने से युवा इस काम से नहीं जुड़ रहे हैं। वैधानिक अधिकार मिलने पर युवाओं को रोजगार का मौका मिलेगा।
संजीव कुमार
परिवहन मित्रों का मुख्य कार्य वाहन स्वामियों को कार्यालय से जोड़ने का है। लेकिन विभागीय प्रक्रियाओं में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कार्यालय में बाधाओं के कारण कार्य में देरी होती है।
इमरान
परिवहन मित्रों को कार्यालय के नजदीक बैठकर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन सेवाएं प्रदान करने का अवसर मिलना चाहिए। इससे अधिक प्रभावी ढंग से वह सेवा दे सकेंगे। वाहन स्वामियों को भी त्वरित सहायता मिलेगी।
उत्तम कुमार
परिवहन मित्रों को लॉगिन आईडी मिलनी चाहिए। यह व्यवस्था होने पर परिवहन मित्र और विभाग को काफी फायदा होगा। परिवहन मित्रों का मानदेय भी तय होना चाहिए। तभी परिवार का भरण-पोषण कर पाएंगे।
आमिर शहजादा
परिवहन मित्र लगातार परिवहन व्यवस्था को सुचारू रखने में सहयोग कर रहे हैं। लेकिन उनके अधिकार स्पष्ट नहीं हैं। यदि वैधानिक अधिकार मिले तो काम को मजबूती मिलेगी।
मोहम्मद जिब्राइल
समस्या
1. सड़क दुर्घटना पर चालकों को जुर्माना और 10 साल की सजा के प्रावधान से चालकों पर बुरा असर
2. परिवहन विभाग और वाहन स्वामी के बीच कड़ी का काम करने के बावजूद सरकार से आर्थिक सहयोग नहीं
3. परिवहन कार्यालय से पत्र भेजने के बावजूद विभाग का साकारात्मक पहल नहीं
4. श्रम विभाग से लाइसेंस मिला, लेकिन मानदेय देने की व्यवस्था नहीं की गयी है
5. जगह नहीं मिलने से चाय-पान की दुकान पर बैठना पड़ता है
सुझाव
1. वैधानिक अधिकार देते हुए परिवहन मित्रों के ड्रेस कोड की व्यवस्था हो
2. हिट एंड रन कानून में संशोधन करने की जरूरत
3. श्रम संसाधन विभाग से निबंधन के बाद परिवहन मित्रों को अधिकार मिले
4. जिला परिवहन कार्यालय में स्वतंत्र रूप से आवाजाही की अनुमति मिले
5. परिवहन मित्रों को ऑनलाइन और ऑफलाइन काम की सुविधा मिले
प्रस्तुति: रविशंकर, संतोष, बीरेंद्र फोटोग्राफ: संजीव
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