पेंशन की बची राशि का एफडी करा ब्याज उड़ाते रहे टीएमबीयू के अफसर
खुलासा होने पर 213 करोड़ रुपये टीएमबीयू ने किया वापस पेंशन और एरियर मद की
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भागलपुर, वरीय संवाददाता। पेंशन एवं एरियर की बची हुई राशि को एफडी (फिक्स डिपॉजिट) कराकर उसका ब्याज टीएमबीयू के अफसर उड़ाते रहे। जब इसका खुलासा हुआ तो सिर्फ एक साल के बचे 213 करोड़ रुपये को वापस कर टीएमबीयू प्रशासन ने अपना पिंड छुड़ा लिया। विश्वविद्यालय सूत्रों की माने तो हर साल पेंशन व एरियर मद में विश्वविद्यालय को रुपये मिलते हैं। नियम ये है कि हर साल वित्तीय वर्ष में मिले रुपये में से जो राशि बच जाए, उसे विभाग को सरेंडर करना होता है। लेकिन कई वित्तीय सत्र में शासन द्वारा विभिन्न वित्तीय वर्ष में मिली पेंशन एवं एरियर की बची हुई कुल 358 करोड़ रुपये की राशि को टीएमबीयू के जिम्मेदारों ने एक बैंक में एफडी करा दिया था। कुछ दिन पहले बैंक से मिले इनपुट पर टीएमबीयू के अधिकारियों को मालूम हुआ कि एफडी की गई करीब 358 करोड़ रुपये की राशि ब्याज समेत बढ़कर तकरीबन 500 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। हालांकि एफडी की राशि को लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर पुष्टि तो नहीं हो सकी। लेकिन टीएमबीयू के रजिस्ट्रार प्रो. रामाशीष पूर्वे ने बताया कि विश्वविद्यालय ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में मिले पेंशन एवं एरियर मद के कुल रुपये में से बचे 213 करोड़ रुपये सरकार को वापस कर दिया है।
केके पाठक ने बचे रुपये के उपयोग का दिया था निर्देश, निदेशक उच्च शिक्षा ने किया खारिज
कुछ माह पहले तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक को ये जानकारी मिली तो उन्होंने टीएमबीयू प्रशासन को कार्ययोजना बनाकर बचे हुए रुपये को खर्च करने का निर्देश दिया था। कुछ दिन बाद ही उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक रेखा कुमारी टीएमबीयू के निरीक्षण में आईं। इस दौरान टीएमबीयू में हुई सिंडिकेट की बैठक में विश्वविद्यालय से केके पाठक द्वारा दिये गये निर्देश का जिक्र कर एफडी हुई राशि से विश्वविद्यालय में विभिन्न कार्यों में खर्च करने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन निदेशक उच्च शिक्षा ने कहा कि विश्वविद्यालय पहले राशि को सरेंडर करें। उसके बाद वर्क ऑर्डर बनाकर शासन को भेजे। इसके बाद निर्देश मिलने के बाद ही विश्वविद्यालय राशि का उपयोग करेगा। यहां तक उन्होंने बैठक में कहा था कि पेंशन एवं एरियर मद में मिले रुपये को एफडी कराना गलत है।
कोट
साल 2021-22 सत्र में बचे पेंशन एवं एरियर मद का 213 करोड़ रुपये वापस कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ निर्माण कार्य या किसी अन्य काम के लिए विश्वविद्यालय दूसरे से मदद मांगता है। इधर बची हुई राशि वापस करनी पड़ रही है।
- प्रो. रामाशीष पूर्वे, रजिस्ट्रार टीएमबीयू भागलपुर
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