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बोले जमुई : बैंक से सस्ता लोन दिया जाए, समय-समय पर दें प्रिशक्षण

महंगाई लगातार बढ़ रही है, जिससे मिठाई बनाने वाले हलवाई समाज को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दूध, चीनी और अन्य सामग्री की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि से मिठाई की लागत बढ़ गई है। सरकार से आर्थिक...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरFri, 21 Feb 2025 12:10 AM
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बोले जमुई : बैंक से सस्ता लोन दिया जाए, समय-समय पर दें प्रिशक्षण

महंगाई लगातार बढ़ रही है। ग्राहक पुराने दामों पर मिठाइयां खरीदना चाहते हैं। संतुलन बनाने में आमदनी पर असर पड़ रहा है। जिले के हलवाई समाज के लोगों की अपनी समस्या है। लोग परंपरागत रसगुल्ला और खोवा को प्राथमिकता दे रहे हैं। दूध, चीनी, बेसन, डालडा, रिफाइंड की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है। ऐसे में मिठाइयों की लागत अधिक आ रही है। हलवाई समाज के लोगों को बैंकों की ओर से कम ब्याज दर पर लोन की सुविधा नहीं मिल रही है। इससे उन्हें अपना रोजगार बढ़ाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। संवाद के दौरान समाज के लोगों ने अपनी समस्याएं साझा कीं।

50 हजार है कानू हलवाई समाज की आबादी जिले में

05 हजार लोग जुड़े हैं मिठाई बनाने के कारोबार से

01 हजार से अधिक हैं जिले में मिठाई की दुकानें

जमुई जिले में हलवाई समाज की खासी आबादी है। इस बड़ी आबादी में कुछ को छोड़ दिया जाए तो इनमें से अधिकांश आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार हैं। साथ ही सामाजिक व राजनीतिक रूप से भी इन्हें महत्व नहीं मिला। हालांकि हलवाई समाज भी अपने अधिकार को लेकर जागरूक हुआ है। लेकिन आर्थिक कमजोरी इनके विकास में बाधा बनी है। समाज के लोगों ने केंद्र और राज्य सरकार से हलवाई समाज के लिए योजनाएं संचालित करने की मांग की। साथ ही सरकारी स्तर से कम ब्याज पर लोन दिलवाने की अपील की।

कच्चे माल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले साल जो रिफाइंड तेल 900 में खरीदते थे अब कीमत 2000 से ऊपर हो गई है। मैदा जो पहले 1200 से ₹1300 प्रति 50 किलो मिल जाया करता था, अब उसकी कीमत 18 सौ रुपए हो चुकी है। वहीं चीनी की कीमतों में भी बढ़ोतरी का असर मिठाई उत्पादन पर दिखने लगा है। 50 किलो चीनी के लिए 2400 रुपये तक देने पड़ रहे हैं। महंगाई समय के बढ़ रही है। ऐसे में मिठाई की कीमत को सीमित रखना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। लड्डू, टिकरी आदि शादी विवाह में सर्वाधिक उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक मिष्ठान अभी ₹100 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं। जबकि खुले बाजार में इन्हीं मिठाइयों के दाम डेढ़ सौ से 160 रुपए प्रति किलो तक हैं। कई बार नियमित ग्राहकों को 80 रुपये प्रति किलो तक मिठाइयां बेचनी पड़ जाती हैं। इससे मुनाफा नहीं हो पाता। परिवार के आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है।

स्थायी दुकान नहीं रहने से परेशानी

शादी-विवाह व अन्य आयोजनों में लजीज व पारंपरिक भोजन परोसने वाले हलवाइयों के घरों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। जिन लोगों की स्थाई दुकान नहीं है वैसे हलवाई को लग्न के बाद काम की तलाश में भटकना पड़ता है। खुद का व्यवसाय करने के लिए पैसे की जरूरत होती है। बैंक लोन नहीं देता है। यदि बैंक भी तैयार हो जाता है तो बिचौलिए मोटी रकम मांगते हैं। काम करते समय हादसा हो जाए तो किसी मुआवजे का प्रावधान भी नहीं है।

जिला स्तर पर प्रशिक्षण की हो व्यवस्था

वही रेस्टोरेंट, रिजॉर्ट व होटल कल्चर ने भी उनके काम को प्रभावित किया है। आधुनिक व्यंजन के लिए किसी भी तरह का प्रशिक्षण नहीं दिए जाने से भी परेशानी है। बड़े-बड़े रेस्टोरेंट में बाहर के शहरों से ट्रेंड सेफ एवं हलवाई को ही काम मिल पाता है। लोकल स्तर पर शहर में एक भी सरकारी स्तर पर प्रशिक्षण केंद्र नहीं होने से यहां के हलवाई को बाहर के शहर में प्रशिक्षण लेने के लिए जाना पड़ता है। एक बार बाहर के शहरों में प्रशिक्षण लेने के बाद काम की तलाश करते हुए वहीं के होकर रह जाते हैं। ऐसे में पलायन की समस्या भी बढ़ी है। घटती कमाई की वजह से अब हलवाई समाज के लोग अपने बच्चों को इस पेशे में नहीं आने देना चाहते।

शिकायतें

1. पीएम विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत हलवाई समाज को शामिल नहीं किया गया है। इस कारण उन्हें आर्थिक सहयोग नहीं मिल रहा है।

2. हलवाई समाज के अलावा अन्य समुदाय के लोगों का बड़े होटल और रेस्टोरेंट पर साम्राज्य है। होटल में सिर्फ कारीगर के रूप में काम करने पर मजबूर हैं।

3. बदलते समय के अनुसार कोई प्रशिक्षण नहीं मिलता। इस कारण आयोजनों के लिए अब लोग पारंपरिक हलवाई से भोजन तैयार करवाने की बजाय रेस्टोरेंट जाना अधिक पसंद करते हैं।

4. सरकार की ओर से अनुदान की व्यवस्था नहीं है। व्यवसाय करने के लिए लोन नहीं मिलता है।

5. आजकल लोग पारंपरिक हलवाई की जगह रेस्टोरेंट के कारीगर से कैटरिंग का काम करा रहे हैं। डेस्टिनेशन वेडिंग के कारण भी व्यवसाय प्रभावित हुआ है।

समाधान

1. हलवाई समाज को पीएम विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत शामिल किया जाए ताकि बगैर गारंटी अपना व्यवसाय बढ़ाने में आर्थिक मदद मिल सके।

2. आर्थिक के साथ सामाजिक व राजनीतिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए सरकार को विशेष पहल करने की जरूरत है।

3. अनुदान पर वह बिना गारंटी लोन की सुविधा मिलनी चाहिए ताकि अपना व्यवसाय कर सकें। लोन के लिए रिश्वत नहीं देनी पड़े, यह सुनिश्चित हो।

4. लग्न के बाद बेरोजगार हो जाते हैं। रोजगार की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि परिवार पर भुखमरी का संकट पैदा नहीं हो।

5. सरकार द्वारा बेहतर व्यंजन बनाने का प्रशिक्षण मिलना चाहिए। जिस प्रकार राजमिस्त्री व बिजली मिस्त्री को समय-समय पर प्रशिक्षण मिलता है।

सुनें हमारी बात

हलवाई समाज के अभिन्न अंग है। इनके रहने से समाज को काफी मदद मिलती है। बड़े-बड़े यज्ञ में लोगों को खाना बनाकर मन प्रफुल्लित कर देते हैं। उनके बिना मांगलिक कार्यों में लोगों को खाना खिलाने का कार्य असंभव है।

बजरंगी साव

सरकारी स्तर पर इस समाज को आगे बढ़ाने के लिए मदद मिलनी चाहिए। मुख्यमंत्री उत्थान योजना, बिहार लघु उद्योग योजना, महिला लघु उद्यमी योजना आदि का लाभ मिलना चाहिए।

राजेश यादव

हमारा मुख्य पेशा शादी-विवाह में खाना बनाना व दुकानों में मिठाई बनाकर बेचना है। मिठाई खाकर लोग आनंदित हो जाते हैं। मंदिरों की मूर्तियों पर भी मिठाई चढ़ाते हैं। सरकार हमारी उन्नति के लिए सहयोग करे।

विपिन कुमार

शादी विवाह और मांगलिक कार्यों में हलवाई की ही जरूरत पड़ती है। इनका यह रोजगार ठप हुआ तो शादी विवाह में कार्य नहीं हो पाएंगे। सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।

अधिक लागत में सामान खरीद कर बनाना पड़ता है। कम मुनाफा पर बाजार में बेचना पड़ता है। ग्राहक नहीं आने से सामान नहीं बिक पता है। घटा भी हमें ही सहना पड़ता है।

मुकेश कुमार

परंपरागत कार्यों को बढ़ावा नहीं देने के कारण अब दुकानों पर रेडिमेड मिठाइयां आ गई हैं। कम मूल्य पर दूध, चीनी, तेल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की पहल की जरूरत है।

महेश चौधरी

आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक रूप से समाज का विकास नहीं हो पाया। किसी को हमारी चिंता नहीं है। अब तो परंपरागत रोजगार बंद होने के कगार पर हैं। सरकार को गंभीर होकर ध्यान देना चाहिए।

गौतम राम

परंपरागत कार्यों से हलवाई समाज दूर हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण सरकार की ओर से इन्हें किसी प्रकार की सुविधा मुहैया नहीं कराना है। लोन मिले तो यह समाज व्यवसाय के क्षेत्र में आगे बढ़ जाएगा।

पहले शादी-विवाह में लड्डू, खड़ा और टिकरी की डिमांड ज्यादा थी अब लोग रसगुल्ला मांगते हैं। रिफाइंड, चीनी, कोयला, सब कुछ महंगा हो गया। लेकिन मिठाई के दाम बढ़ने नहीं दिए जाते।

धमेंद्र यादव

पिछले साल तक काम अच्छा चल रहा था लेकिन अब बहुत नुकसान हो रहा है। लोग पुराने रेट पर मिठाई मांगते हैं लेकिन लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। कोयला 18 सौ रुपए क्विंटल मिल रहा है।

कुंदन कुमार

पहले हर शादी में 50 से 100 किलो का आर्डर मिलता था अब 10-20 किलो तक सीमित हो गया है। अब ग्राहक नई मिठाइयां मांगते हैं लेकिन हमारे पास वैसा बनाने का साधन नहीं है।

विपिन कुमार

समाज के लोग सामाजिक व राजनीतिक स्तर से काफी पीछे गए हैं। लोगों का सामाजिक-राजनीतिक पिछड़ापन दूर करना चाहिए। संख्या के आधार पर राजनीति में भी भागीदारी हो।

रंजीत कुमार

हलवाई समाज के परंपरागत व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की जाए ताकि समाज के नए युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर युवा उद्यमी के तौर पर व्यवसाय को बढ़ा सकें।

डब्लू कुमार

आर्थिक तंगी से जूझ रहे हलवाई समाज के लोग अन्य व्यवसाय से जुड़ गए हैं। कई लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए मेहनत मजदूरी कर रहे हैं। बड़े होटलों में मजदूरी कर रहे हैं।

संतोष कुमार राम

जिले में भी हलवाई समाज की अच्छी आबादी है। लेकिन कुछ को छोड़ दिया जाए तो आज अधिकांश हलवाई समाज के लोग आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार हैं। कम ब्याज पर आर्थिक मदद देकर स्वावलंबी बनाने की जरूरत है।

राजेश यादव

बैंक से मिलने वाली लोन की प्रक्रिया को आसान बनाया जाए। ताकि हलवाई समाज के लोग लोन के माध्यम से अपने व्यवसाय को बढ़ा सकें। उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।

सत्येन्द्र सिंह

बोले जिम्मेदार

सरकार की योजनाओं का लाभ सभी वर्ग के लोगों को मिल रहा है। सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, महिला उद्यमी योजना समेत कई प्रकार के योजनाएं केंद्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित हैं। इस योजना का लाभ जिले के काफी लोग ले रहे हैं। हलवाई समाज के युवा इनका लाभ उठा सकते हैं। उद्योग विभाग हर समय लोगों की मदद के लिए व सलाह देने के लिए तत्पर है।

-मितेश कुमार शांडिल्य, उद्योग विभाग पदाधिकारी, जमुई।

बोले जमुई फॉलोअप

सब्जी मार्केट के लिए अब तक नहीं बनी दुकानें, सड़क पर सजता है बाजार

जमुई। सालों से शहर में थोक सब्जी विक्रेता नगर थाना के सामने वाली सड़क पर सब्जी की मंडी भी लगा रहे थे। बाद में यह बदलकर खैरा चौक पर आ गया। नप प्रशासन द्वारा थोक मंडी वाले विक्रेताओं को थाना चौक से लेकर लवकुश गैस ऐजेंसी खैरा मोड़ जमुई के रास्ते पर सब्जी मंडी लगाने का आदेश दिया गया। तब से लेकर आज तक मजबूरन सब्जी विक्रेताओं द्वारा इन सड़कों पर ही सब्जी मंडी लगाई जा रही है। सब्जी विक्रेता जिनके घर या दुकान के सामने सब्जी बेचते हैं उनसे भी कहासुनी होती है। राहगीरों और वाहन चालकों से भी बकझक हो जाती है। एनएच होने के कारण सुबह-शाम ट्रकों का आना-जाना होता है। सड़क पर सब्जी मार्केट लगने के बाद वाहन चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अटल बिहारी चौक से नगर थाना होकर खैरा मोड़ तक जाने वाली सड़क की चौड़ाई लगभग 40 फीट है लेकिन जब सुबह इन सड़कों पर सब्जी की मंडी लगती है तो यही 40 फीट वाली सड़क पांच फीट की हो जाती है। उस समय बड़े वाहन को छोड़िया, दो पहिया वाहन भी बहुत कठिनाई से निकल पाते हैं। कई बार सब्जी मार्केट बनाए जाने की मांग की गई लेकिन नतीजा नहीं निकला। पहले तो खैरा चौक पर सुबह ही थोक सब्जी मार्केट लगती थी अब दिन भर सब्जी की दुकानें लगी रहती हैं। वाहन चालकों को काफी परेशानी हो रही है।

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