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बोले मुंगेर: न तो बिजली, न ही शौचालय की व्यवस्था कैसे करें काम

मुंगेर निबंधन कार्यालय, जिसकी स्थापना 1817 में हुई थी, आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। लगभग 35 कातिब बिना उचित बैठने की व्यवस्था, पेयजल और बिजली के अभाव में काम कर रहे हैं। उनके सामने शौचालय की...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 28 April 2025 01:09 AM
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बोले मुंगेर: न तो बिजली, न ही शौचालय की व्यवस्था कैसे करें काम

मुंगेर के निबंधन कार्यालय, कातिबों एवं जरूरतमंदों की समस्या: प्रस्तुति: रणजीत कुमार ठाकुर/गौरव कुमार मिश्रा

सन् 1817 ईस्वी में स्थापित मुंगेर निबंधन कार्यालय आज 208 वर्षों के लंबे सफर के बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। यहां कार्यरत लगभग 35 निबंधित कातिब पीढ़ी दर पीढ़ी सेवा कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए आज तक बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी है। अंग्रेजों के जमाने में बने पुराने शेड के नीचे, जिससे होकर अंग्रेज न्यायाधीश पैदल आते जाते थे, या खुले आसमान के तले बैठकर कार्य करना उनकी एवं यहां आने वाले जरूरतमंदों की मजबूरी बन गई है। ऐसे में उनकी समस्याओं को लेकर निबंधन कार्यालय परिसर में ही के साथ हिंदुस्तान संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया, इसमें उन्होंने अपनी समस्याओं को खुलकर हमारे समक्ष रखा।

पानी और बिजली का घोर अभाव, शौचालय भी साफ- सुथरा नहीं:

कातिबों ने बताया कि, निबंधन कार्यालय परिसर में शुद्ध एवं ठंडे पेयजल की कोई सुविधा नहीं है। एकमात्र लगा हुआ एक्वा वाटर कूलर भी खराब पड़ा है, जिससे केवल गर्म पानी निकलता है। ऐसे कातिबों और यहां आने वाले आगंतुकों को टंकी का गर्म पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ता है। वहीं, यहां स्थित शौचालय की स्थिति भी ठीक नहीं है। शौचालय पूरी तरह से गंदा रहता है और काफी दुर्गंध करता है। ऐसे में, कातिबों के साथ-साथ यहां आने वाले लोगों को, विशेष रूप से महिलाओं को कई बार शौच संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

इसके साथ ही जहां कातिब बैठते हैं, वहां बिजली की भी कोई व्यवस्था नहीं है। प्रचंड गर्मी में बिना पंखे और रोशनी के काम करना उनकी विवशता बन चुकी है। यही नहीं यहां की सबसे बड़ी समस्या कार्तिकों के लिए कमरे की व्यवस्था नहीं होना है। दूसरे जिलों में स्थित निबंधन कार्यालय में कातिबों के लिए बकायता कमरे बने हुए हैं। लेकिन, वर्ष से अधिक पुराने निबंधन कार्यालय में आज तक के लिए बैठने की व्यवस्था नहीं हो सकी है।

स्टांप और नकल प्राप्ति में अवैध वसूली:

कातिबों ने बताया कि, स्टांप भी वाजिब मूल्य पर उपलब्ध नहीं है। उदाहरणस्वरूप, 100 रुपए का स्टांप 130 रुपए में बेचा जाता है। उनका कहना था कि, प्रतिदिन लगभग 1000 लोग विभिन्न कार्यों के लिए निबंधन कार्यालय आते हैं, जिनमें से लगभग 200 लोग केवल दस्तावेज की नकल प्राप्त करने के लिए आते हैं। लेकिन, मात्र 20-25 लोगों को ही नकल मिल पाती है। बांकी लोगों को निराश होकर वापस लौटना पड़ता है, जिससे उन्हें बार-बार कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

इंडेक्स का गिरता स्तर और चुनिंदा लोगों का लाभ:

लोगों का कहना था कि, इंडेक्स दिनों-दिन खराब होता जा रहा है, लेकिन इसके संरक्षण या पुनर्निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। आम कातिबों और ग्राहकों को इंडेक्स की प्रतिलिपि लेने में कठिनाई होती है। केवल गिने-चुने लोगों को ही आसानी से इंडेक्स दिया जाता है, जो इस स्थिति का अनुचित लाभ उठाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि, रिकॉर्ड रूम में अवैध लोगों का आना-जाना एवं कब्जा है। वहां कुछ वैसे लोग जमे हुए हैं जो यहां के कर्मी नहीं है और अधिकारियों के नाक के बाल बने हुए हैं। ऐसे लोगों के माध्यम से ही पुराने दस्तावेजों को लेकर यहां अवैध लेन-देन का धंधा जमा हुआ है।

1. मुंगेर निबंधन कार्यालय में 35 निबंधित कातिब हैं।

2. निबंधन कार्यालय में विभिन्न कार्यों से प्रतिदिन 1000 लोग आते हैं।

3. 208 वर्ष का हुआ मुंगेर निबंधन कार्यालय।

4. यहां केवल नकल के लिए ही प्रतिदिन लगभग 200 लोग आते हैं।

समस्याएं:

1. मुंगेर निबंधन कार्यालय में कातिबों के लिए ना तो बैठने की कोई व्यवस्था है और ना ही पेयजल और बिजली की व्यवस्था है। यहां का खराब वाटर कूलर खराब पड़ा हुआ है, कातिब के साथ-साथ यहां आने वाले लोग टंकी का गर्म पानी पीने को मजबूर है और कातिब बिना पंखे के काम करने को मजबूर हैं।

2. यहां का शौचालय गंदा और दुर्गंधयुक्त रहता है। इसके कारण कातिबों के साथ-साथ आगंतुक महिलाओं और पुरुषों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

3. निबंधन कार्यालय के रिकॉर्ड रूम में अव्यवस्था है और कर्मियों में जानबूझकर रिकॉर्ड छुपाने की प्रवृत्ति है। आरटीआई से मांगने पर रिकॉर्ड उपलब्ध होता है, सामान्य प्रक्रिया में लोगों को परेशानी होती है।

4. यहां स्टांप और दस्तावेज की नकल प्राप्ति में अवैध वसूली का आरोप है। लोगों का कहना है कि, स्टांप अधिक

5. मूल्य पर बेचा जाता है और नकल के लिए लंबी प्रतीक्षा जानबूझकर कराई जाती है।

5. रिकॉर्ड रूम में इंडेक्स का स्तर गिरता जा रहा है और यहां बाहरी लोगों का अनधिकृत प्रवेश है। इनका रिकॉर्ड रूम में अवैध कब्जा है और इनके माध्यम से भ्रष्टाचार प्राप्त है।

सुझाव:

1. निबंधन कार्यालय में कातिबों के लिए बैठने की व्यवस्था हो। उनके लिए अलग से कमरे बनाए जाएं और शुद्ध पेयजल तथा बिजली की समुचित व्यवस्था तत्काल की जाए। इसके साथ ही नया वाटर कूलर, जनरेटर, पंखे और पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था हो।

2. शौचालयों की सफाई और रखरखाव के लिए विशेष टीम गठित की जाए तथा इसका नियमित निरीक्षण और सफाई का प्रावधान किया जाए।

3. रिकॉर्ड रूम का डिजिटलीकरण कर पारदर्शी व्यवस्था लागू की जाए। इसके साथ सभी रिकॉर्ड को ऑनलाइन सार्वजनिक करना किया जाए।

4. स्टांप और नकल प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन किया जाए ई-स्टांप और दस्तावेज की ऑनलाइन डिलीवरी सुविधा हो।

5. रिकॉर्ड रूम में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगे और इसकी सख्त निगरानी हो। इसके लिए सीसीटीवी कैमरों लगाए जाएं और इसका नियमित चेकिंग हो।

कहते हैं लोग:

जहां-तहां अस्थायी रूप से अपनी जगह बनाकर निबंधन कार्य में दस्तावेज लेखन का कार्य करते आ रहे हैं। उनकी बड़ी समस्या यह है कि इतने दिनों के बाद भी अभी तक उन्हें व्यवस्थित तरीके से बैठकर दस्तावेज लेखन का कार्य करने के लिए भवन नहीं दिया गया है।

- अजीत कुमार राय

अंग्रेज शासनकाल के बने शेड में कातिबों को काम करना पड़ता है। ये भी जर्जर हो गए हैं। हम लोगों के बैठने के लिए भवन की व्यवस्था होनी चाहिए और शुद्ध पीने योग्य जल की भारी किल्लत है।

- जय प्रकाश दास

जबकि बेगूसराय, हाजीपुर आदि जिलों में कातिबों के लिए रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा शेड बनाकर दिया गया है, तो फिर मुंगेर निबंधन कार्यालय में यह सुविधा क्यों नहीं दी गई है।

- मो. सुफी

अंग्रेजों के बने शेड में ही बैठकर काम करना पड़ रहा है। बरसात के मौसम में कागजात पानी से खराब हो जाते हैं। यहां आने वाले लोगों के लिए शुद्ध पेयजल भी उपलब्ध नहीं है।

- गौरव मिश्रा

1817 ई० से ही दस्तावेज नवीस अपनी व्यवस्था पर जैसे-तैसे बैठकर दस्तावेज लेखन करते आ रहे हैं। फिर भी उनके लिए यात्री शेड या भवन की व्यवस्था नहीं है। यह दुर्भाग्य की बात है जबकि निबंधन विभाग का ही ये अंग हैं।

- राजीव कुमार सिन्हा

रजिस्ट्री कार्यालय में गिने-चुने लोगों को ही रिकॉर्ड रूम से नकल दी जाती है। आरटीआई करने के बाद आराम से नकल दे दी जाती है। यहां भ्रष्टाचार पर रोक लगनी चाहिए।

- अरुण कुमार

वर्षों से दस्तावेज लेखक प्रशासनिक लापरवाही व उदासीनता के शिकार हैं। प्रशासन को केवल सरकारी राजस्व उगाही में उनकी मदद चाहिए। दस्तावेज लेखकों की समस्या दूर करने में प्रशासन की अभिरुचि नहीं है।

- योगेंद्र यादव

दूसरे जिलों में रजिस्ट्री कार्यालयों की तरफ से दस्तावेज नवीसों को स्थायी रूप से जगह दी गई है। कातिब शेड का निर्माण कराया गया है। जबकि मुंगेर जिला निबंधन कार्यालय में इसकी सुविधा नहीं है।

- के एन सिंह

दस्तावेज लेखकों को व्यवस्थित रूप से दस्तावेज लेखन कार्य करने के लिए प्रशासन की ओर से कभी गंभीरता से विचार ही नहीं किया गया। परिणामस्वरूप, ये लोग वर्षों से कष्ट झेलते रहे हैं।

- पंकज कुमार सिन्हा

निबंधन कार्य व सरकारी राजस्व की प्राप्ति में कातिबों का महत्वपूर्ण योगदान होता है, इस तथ्य को जिला अवर निबंधक भी स्वीकार करते हैं। हर वित्तीय वर्ष में यहां के राजस्व टार्गेट को पूरा करने में कातिबों की मदद ली जाती है। उनकी मदद के बिना जिला अवर निबंधक कार्यालय का राजस्व टार्गेट पूरा नहीं हो पाता। फिर इन कातिबों के साथ इस तरह से उपेक्षा क्यों हो रही है।

- अवध किशोर सिंह

निबंधित सभी कातिबों के लिए जल्द कातिब शेड का निर्माण जिला प्रशासन विशेष अभिरुचि लेकर कराए। कातिबों को अब हर हाल में कातिब शेड चाहिए। इस मामले में कोई समझौता नहीं होगा।

- परमेश्वर ठाकुर

बड़ी संख्या में लोग रोजाना मुंगेर रजिस्ट्री कराने के लिए आते हैं। इनमें महिलाओं की संख्या भी काफी होती है। इसके बावजूद शौचालय की समुचित व्यवस्था नहीं है। गंदगी के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

- सार्जन

यहां स्टांप पेपर सरकारी कीमत से अधिक लिये जाते हैं। निबंधन कार्यालय में 100 रुपये के स्टांप पेपर की बिक्री 130 रुपये में होती है। इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।

- एससी वर्मा

जिला निबंधन कार्यालय परिसर में इधर-उधर चौकी व पॉलीथिन और एसबेस्टस टांग कर उसमें काम करना पड़ता है। इससे गर्मी और बरसात के समय काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।

- हरीश प्रसाद

इंडेक्स दिनों-दिन खराब होता जा रहा है, लेकिन इसके संरक्षण या पुनर्निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। आम कातिबों और ग्राहकों को इंडेक्स की प्रतिलिपि लेने में कठिनाइयां होती हैं।

- भरत भूषण

आम कातिबों और ग्राहकों को इंडेक्स की प्रतिलिपि लेने में कठिनाइयां होती हैं। केवल गिने-चुने लोगों को ही आसानी से इंडेक्स दिया जाता है।

- अमोद कुमार चौधरी

बोले जिम्मेदार

निबंधन कार्यालय में कातिबों के लिए भवन निर्माण के लिए आवश्यक जमीन उपलब्ध नहीं है। वहां शेड बना हुआ है और वहीं बैठकर वे काम करते हैं। शौचालय की सफाई होती है। लेकिन, दिनभर लोगों के आने-जाने के कारण शाम तक गंदा हो जाता है। यदि कुछ कमी है तो मैं इसकी साफ- सफाई पर ध्यान दूंगा। कार्यालय में पीने के पानी की व्यवस्था है। जहां तक खराब वाटर कूलर की बात है तो उसे जल्द ही ठीक करा दिया जाएगा। रिकॉर्ड रूम में मेरी जानकारी में कोई भी अवैध व्यक्ति नहीं है। सभी जरूरतमंदों को रिकॉर्ड की जानकारी दी जाती है। यहां ना तो कोई अव्यवस्था है और ना ही किसी प्रकार का अवैध लेनदेन होता है। यदि ऐसा होता है तो मेरी जानकारी में नहीं है। आज तक किसी ने इस संबंध में शिकायत नहीं की है। यदि कहीं से शिकायत आती है तो इसकी जांच कराई जाएगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

-बैद्यनाथ सिंह, डीएसआर, मुंगेर

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