मोहना भेलै दगाबाज करलकै दगाबाजी को सुनकर श्रोता की बजी तालियां
अखिल भारतीय साहित्यकार परिषद की ओर से साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन दहेज की बढ़ती मांग
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भागलपुर, वरीय संवाददाता अखिल भारतीय साहित्यकार परिषद की ओर से बाल्टी कारखाना के पास साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता अध्यक्ष महेंद्र निशाकर ने की तो मंच संचालन महासचिव डॉ. नवीन निकुंज ने किया। कवि विनय कुमार कबीरा के सौजन्य से आयोजित कवि गोष्ठी का आगाज लोक गायक कपिलदेव कृपाला द्वारा प्रस्तुत होली गीत से किया गया। दहेज की बढ़ती मांग से उपजी पारिवारिक समस्याओं को जाहिर करते महेश मणि की अंगिका कविता लागै छै मुनिया बनिये गेलै हटिया के सामान हो। केनां के सहवै बेटी के अपमान हो ने श्रोताओं के मन-मस्तिष्क को झकझोर कर दिया।
सुजीत कुमार और वयोवृद्ध कवि नरेश ठाकुर निराला ने परिवार में बुजुर्गों के प्रति उपेक्षा को शब्दों में पिरोकर बुजुर्गों का सम्मान करने की अपील की। महेंद्र प्रसाद निशाकर ने अपनी अंगिका कविता के जरिये प्रकृति की वासंती छटा का मनमोहक वर्णन किया। मुख्य अतिधि अरुण अंजना के मधुर गीत मोहना भेलै दगाबाज करलकै दगाबाजी को सुनकर श्रोता बाग-बाग हो गये। छद्मवेशी नेताओं के रवैये को रेखांकित करती अभय कुमार भारती की पंक्ति थी अपना उल्लू सीधा करने बदली नेता की चाल है। चेहरा क्रूर छुपाने भेड़िया, ओढ़े भेड़ की खाल है। श्रोताओं ने भानू झा की गजल के साथ डॉ. नवीन निकुंज की कविता उम्र सारी बीत गई, किस्मत आजमाने में..., विनय कबीरा की कविता टूटते रिश्ते, बिखरते परिवार भटकते युवा, कौन जिम्मेवार को भी पसंद किया। समारोह में डॉ. कामता प्रसाद की रचना की भी काफी सराहना की गई। मौके पर और स्नेहा कुमारी, खुशबू कुमारी, सुनील कुमार आदि मौजूद थे।
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