बोले सहरसा : बीमा पॉलिसी पर न लें जीएसटी, बोनस बढ़ाएं
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की नींव कहे जाने वाले एजेंट नई नीति से परेशान हैं।
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की नींव कहे जाने वाले एजेंट नई नीति से परेशान हैं। उनका कहना है कि बीमा पालिसियों पर जीएसटी थोपी गई है जो उचित नहीं है। बीमाधारक के हितों का ख्याल अभिकर्ता ही नहीं रखेंगे तो उन्हें व्यवसाय कैसे मिलेगा। उनकी समस्याओं की ही सरकार द्वारा अनदेखा की जा र ही है। बीमाधारकों के लिए पॉलिसी महंगी की जा रही है। इससे पॉलिसी नहीं मिल रही है। दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और परिवार चलाने में भी परेशानी होने लगी है। अभिकर्ताओं ने हिन्दुस्तान के साथ संवाद में अपना दर्द बयां किया।
24 सितंबर 2024 को बीमा के संबंध में लागू किए गए आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सरकार से कर रहे मांग
08 से 12 प्रतिशत प्रीमियम की राशि बढ़ाने के निर्णय को भी वापस लेने के लिए एजेंट द्वारा सरकार से किया जा रहा आग्रह
02 हजार 17 ईस्वी में जीएसटी लागू किए जाने के बाद से ही बीमा एजेंटों की विभिन्न तरह की बढ़ गई है परेशानी
भारतीय जीवन बीमा निगम के अभिकर्ता कई फैसलों से परेशान हैं। इन फैसलों से लगातार उथल-पुथल मची हुई है। बीमा अभिकत्र्ताओं का कहना है कि कुछ मनमाने और एकतरफा फैसले लिए जा रहे हैं और थोपे जा रहे हैं। एलआईसी प्रबंधन ने भी अपनी पुरानी योजनाओं को वापस ले लिया है और 30 सितंबर 2024 से नई योजनाएं शुरू की हैं। इसमें ग्राहकों के लिए प्रीमियम में लगभग 8-12 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इस से एलआईसी पॉलिसियां महंगी हो गई हैं। जुलाई, 2017 में जीएसटी लागू होने से बीमा खरीदने की लागत पहले ही बढ़ गई थी। इतना ही नहीं, पॉलिसी सरेंडर पर कमीशन वापस लेने का भी प्रावधान किया गया है। जिससे न केवल लाखों एलआईसी एजेंट बर्बाद होंगे। बल्कि एलआईसी को भी नुकसान होगा। कमीशन में कटौती आईआरडीएआई के गजट का भी उल्लंघन है। गजट नोटिफिकेशन संसद से पारित होने के बाद ही लागू होता है। जिसका अब उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि 2006 से भी देखें, तो एलआईसी अकेले एक वर्ष में 4 करोड़ या उससे अधिक पॉलिसी करती थी और बीमा पहुंच लगभग 5 प्रतिशत थी। लेकिन आईआरडीएआई की स्थापना और 2000 से बीमा क्षेत्र के खुलने और आईआरडीएआई के तथाकथित बीमा सुधारों के बाद भी एलआईसी के लिए सालाना दो करोड़ पॉलिसी करना मुश्किल हो गया है। बीमा विस्तार के नाम पर बीमा पहुंच 5 प्रतिशत से बढ़ने के बजाय 4 प्रतिशत से भी कम हो गई है। ग्राहकों की पॉलिसियों की बोनस दरें घट रही हैं। उनकी पॉलिसियों पर मिलने वाले ऋण की दर बोनस दरों से दो गुना अधिक है। तो यह स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है कि ये सुधार उत्पादक वृद्धि के बजाय विनाशकारी हैं। एलआईसी की पॉलिसी महंगी होने के कारण लोग हमसे पॉलिसी लेने में आनाकानी करने लगे हैं। एजेंटों ने इस दिशा में पूर्व के नियमों को ही लागू करने की मांग की है।
शिकायतें
1. पहले तीन वर्ष पर सरेंडर होता था पर अब घटा दिया गया है
2. एक वर्ष होने से अभिकर्ता का कमीशन कम हो जाएगा।
3. मृत्यु दावा के लिए उपभोक्ताओं के भुगतान में एजेंटों का काफी देरी होती है।
4. निम्न आय वर्ग के लिए बीमा बढ़ाकर दो लाख रुपये करने से लोग बीमा नहीं ले रहे हैं।
सुझाव
1. उम्र सीमा 55 वर्ष होने से परेशानी हो रही।
2. उम्र सीमा कम होने से ज्यादा लोगों का बीमा होगा।
3. बीमा योजना में जल्द भुगतान होने से लोगों का विश्वास बढ़ेगा।
4. दो लाख रुपये से घटाकर एक लाख रुपये होने से ज्यादा लोगों को फायदा होगा।
सुनें हमारी बात
निम्न वर्ग के लिए बढ़ाये गए 2 लाख रु. बीमा योजना में सुधार करना चाहिए।
सुधीर कुमार सिंह
लोन पर लगने वाले ब्याज को कम किया जाए। ब्लॉक बैंक कमीशन सिस्टम वापस लिया जाए।
विमल देव
नए नियम लागू होने के बाद कमीशन भुगतान कम करने साथ क्लॉबैक क्लॉज का फैसला गलत है।
माणिक राम
बीमा के लिए उम्र सीमा 55 से घटाकर 50 वर्ष करना चाहिए। ज्यादा लोगों बीमा का लाभ मिले।
राजेश कु. सिंह
बीमाधारक को सेवा के लिए मिलने वाले बजट को बीमा धारक पर खर्च किया जाय।
पुष्पा रानी झा
पालिसी सरेंडर करने पर कमीशन वापस लेने का प्रावधान किया गया है। इससे परेशानी होगी।
महादेव
अब एक वर्ष पर पॉलिसी सरेंडर होने पर अभिकर्ता के कमीशन से भरपाई होगी।
अमरेन्द्र कु. सिंह
बीमाधारक के बीमा पर मिलने वाले बोनस को बढ़ाने की जरूरत है। जल्द सुनवाई होनी चाहिए।
अमरेंद्र पांडेय
ग्राहकों के पालिसियों पर बोनस दरें काफी घट रही है। इससे काफी परेशानी हो रही है।
एनके ठाकुर
प्रीमियम पर-पॉलिसी लेने में 8 से 10 प्र.बढ़े हुए दर को हटाया जाना आवश्यक है।
शिवशंकर कुमार
1956 से लागू कमीशन दर में 7 प्रतिशत घटा दिया गया है। जिससे परेशानी हो रही है।
किशोर कुमार
बीमा पॉलिसियों पर मिलने वाली कमीशन दर घटा दी गई है, जिससे नुकसान झेलना पड़ रहा है।
गजेंद्र कुमार
रीन्यूअल प्रीमियम पर लगनेवाले फाइन पर 18 फीसदी जीएसटी समाप्त की जाए।
सुशील कुमार
मृत्यु दावा भुगतान को अति शीघ्र निपटाया जाए। दावा भुगतान की समय सीमा तय हो ।
विनोद भगत
सरकार से मांग है कि एलआईसी के नियमों में बदलाव करते समय उनकी सहमति ली जाए।
सुधीर सिन्हा
बोले जिम्मेदार
बीमा कर्मियों की परेशानी का समाधान केंद्र सरकार स्तर से होगा। बीमा कर्मी मांग पत्र के साथ आएंगे तो उनके लिए सरकार स्तर पर जाकर मदद करने का प्रयास किया जाएगा।
- डॉ आलोक रंजन, पूर्व मंत्री सह स्थानीय विधायक
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