बोले मुंगेर : वर्कशॉप का बढ़ाएं कार्यभार, खाली पदों को भरें
जमालपुर रेलवे वर्कशॉप, जो 1862 में स्थापित हुआ, अब श्रमिकों की संख्या में भारी गिरावट देख रहा है। पहले 22,000 कर्मी काम करते थे, जो अब घटकर 7,000 रह गए हैं। रेलवे प्रशासन की आउटसोर्सिंग नीतियों और...
8 फरवरी 1862 में मुंगेर के जमालपुर में स्थापित विश्व प्रसिद्ध रेलवे वर्कशॉप केवल भारत ही नहीं, बल्कि संपूर्ण एशिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा रेलवे वर्कशॉप रहा है। इस वर्कशॉप ने मुंगेर के लोगों को रोजगार प्रदान करने और यहां की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। किंतु, वर्तमान में यह वर्कशॉप धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है। कभी यहां लगभग 22,000 कर्मचारी कार्यरत थे। अब इनकी संख्या, वर्तमान में सृजित पदों 8000 के विरुद्ध घटकर लगभग 7,000 रह गई है। कभी रेलवे का उद्देश्य लोक सेवा था, लेकिन अब यह लाभ कमाने पर केंद्रित हो गया है। ऐसी स्थिति में वर्कशॉप में कार्यरत कर्मचारी कई कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
22 हजार कर्मी काम करते थे 1862 में स्थापित जमालपुर रेल वर्कशॉप में
08 हजार रह गई है वर्तमान में वर्कशॉप में श्रमिकों के सृजित पदों की संख्या
07 हजार कर्मी काम कर रहे हैं वर्तमान में जमालपुर रेल वर्कशॉप में
ईस्टर्न रेलवे के अंतर्गत तीन प्रमुख वर्कशॉप लिलुआ, कचरा पाड़ा और जमालपुर स्थित हैं। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान कर्मचारियों ने बताया कि जमालपुर रेलवे वर्कशॉप सबसे पुराना है। पहले यह एक रिपेयर वर्कशॉप था, जहां विभिन्न प्रकार की मरम्मत के कार्य किए जाते थे। इसके अलावा, यहां स्टीम इंजन के विभिन्न भागों का निर्माण किया जाता था, जो अन्य कारखानों को आपूर्ति किए जाते थे। इस कार्य के लिए यहां एक विशाल मशीन शॉप थी, जो अब संकुचित हो चुकी है। यहां तीन बड़े ढलाई घर थे, जिनमें भारतीय रेलवे को आपूर्ति किए जाने वाले ब्रेक ब्लॉक, फिश प्लेट, रोड हुक, नट-बोल्ट आदि का निर्माण होता था। इसके अलावा, यहां एक नट-बोल्ट निर्माण शॉप, रोलिंग मिल, कारपेंटर शॉप और ब्लैक स्मिथ शॉप थी। यहां एक एक पावर हाउस भी था कोयले से बिजली उत्पादन करता था।
कर्मचारियों ने बताया कि, रोलिंग मिल में विभिन्न प्रकार की रॉड बनाई जाती थीं, जिनसे कई प्रकार के पुर्जो का निर्माण होता था। ब्लैक स्मिथ शॉप में पिटाई करके विभिन्न पुर्जे बनाए जाते थे, जबकि कारपेंटर शॉप में रेलवे की जरूरत के अनुसार आवश्यक सामग्री तैयार की जाती थी। इन कार्यों के लिए पर्याप्त संख्या में श्रमिक उपलब्ध थे। कर्मचारियों के लिए रेलवे क्वार्टर और एक उत्कृष्ट अस्पताल भी था। लेकिन पिछले 15 वर्षों में इन सुविधाओं का ह्रास हुआ है। वर्कशॉप में संचालित कई शॉप और सुविधाएं पूरी तरह समाप्त हो चुकी हैं। कर्मचारियों के रहने के लिए बनाए गए रेलवे क्वार्टर और मेडिकल सुविधाएं भी दयनीय स्थिति में हैं। रेलवे अस्पताल में कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है, और नियमित पैथोलॉजिस्ट की भी नियुक्ति नहीं हुई है। वर्तमान में केवल आउटसोर्सिंग से पैथोलॉजिस्ट की व्यवस्था की गई है, जिससे गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए कर्मियों को निजी चिकित्सकों के पास जाना पड़ता है, जिससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ता है।
जमालपुर वर्कशॉप में बने विद्युत इंजन, मेमू और ईएमयू:
कर्मियों ने बताया कि वर्ष 1990 के आसपास भारत सरकार ने स्टीम इंजन को रेलवे से हटाने की नीति अपनाई और डीजल इंजन का उपयोग शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप, जमालपुर वर्कशॉप को डीजल इंजन और वैगनों की मरम्मत का कार्य मिला। इसके अतिरिक्त, यहां 140 टन क्रेन, बॉक्स-एन एचएल, टावर कार और बीएलसी वैगन के निर्माण का कार्य भी मिला। लेकिन, इन कार्यों का भार इतना अधिक नहीं था कि यहां के कर्मचारियों की पूरी संख्या बनी रहे। अब रेलवे ने डीजल इंजनों के उपयोग को भी समाप्त करने और विद्युत इंजनों को अपनाने का निर्णय लिया है। यदि जमालपुर वर्कशॉप को विद्युत इंजन, ईएमयू और मेमू निर्माण का कार्य नहीं सौंपा जाता है, तो भविष्य में यहां स्वीकृत पदों की संख्या और भी कम हो जाएगी। इससे वर्कशॉप के अस्तित्व के साथ-साथ मुंगेर की अर्थव्यवस्था और रोजगार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
आउटसोर्सिंग से घटी कर्मियों की संख्या :
उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय अब धीरे-धीरे विभिन्न कार्यों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से कराने लगा है, जिससे कर्मचारियों की संख्या में और गिरावट आई है। यदि यह स्थिति बनी रही तो, या तो जमालपुर वर्कशॉप का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा या फिर यह पूरी तरह आउटसोर्सिंग पर निर्भर हो जाएगा। ऐसे में, जमालपुर रेलवे वर्कशॉप का अस्तित्व बचाने के लिए त्वरित एवं प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि रेलवे प्रशासन आवश्यक सुधार और निवेश नहीं करता, तो यह ऐतिहासिक वर्कशॉप धीरे-धीरे अस्तित्वहीन हो जाएगी, जिससे न केवल मुंगेर की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, बल्कि हजारों परिवारों का भविष्य भी अंधकारमय हो जाएगा।
कर्मचारी कर रहे आंदोलन :
ऐसे में यहां कार्यरत कर्मचारी अपने यूनियन के माध्यम से रेल प्रशासन से मांगों के साथ लगातार द्वारा आंदोलन कर रहे हैं। उनकी कुछ प्रमुख मांगे हैं: रेलवे प्रशासन जमालपुर वर्कशॉप को विद्युत इंजन और 175 टन क्रेन के निर्माण का भार दे। बॉक्स-एन एचएल, बीएलसी वैगन और टावर कार निर्माण का कार्यभार बढ़ाया जाए। रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए और स्वीकृत पदों की संख्या 8,000 से बढ़ाकर 10,000 की जाए। आउटसोर्सिंग की नीति को समाप्त किया जाए। रेलवे क्वार्टरों का पुनर्निर्माण कराया जाए और अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों तथा नियमित पैथोलॉजिस्ट की नियुक्ति की जाए।
समस्याएं:
1. कर्मचारियों की संख्या में लगातार आ रही है गिरावट।
2. रेलवे वर्कशॉप के विभिन्न शॉप्स और सुविधाएं धीरे-धीरे बंद हो रहीं।
3. रेलवे अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों और सुविधाओं की कमी।
4. आउटसोर्सिंग के कारण स्थानीय रोजगार के अवसरों में कमी।
5. वर्कशॉप को पर्याप्त कार्यभार न मिलने से इसका अस्तित्व खतरे में।
सुझाव:
1. विद्युत इंजन, ईएमयू और मेमू निर्माण कार्य जमालपुर वर्कशॉप को सौंपा जाए।
2. रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति कर कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए।
3. रेलवे अस्पताल को आधुनिक बनाया जाए और विशेषज्ञ चिकित्सकों की बहाली हो।
4. आउटसोर्सिंग नीति को बंद कर स्थानीय कर्मियों को प्राथमिकता दी जाए।
5. रेलवे क्वार्टरों और अन्य बुनियादी सुविधाओं का पुनर्निर्माण कराया जाए।
सुनें हमारी बात
रेलवे धीरे-धीरे निजीकरण की ओर बढ़ रहा है और आउटसोर्सिंग से काम कराने की नीति अपना रहा है। यह हम कर्मचारी के दृष्टिकोण से उचित नहीं है।
- मनोज कुमार श्रीवास्तव
रेलवे अस्पताल में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी है। यहां गंभीर बीमारियों का इलाज नहीं हो पता है। जमालपुर का रेलवे अस्पताल सिर्फ रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है।
- रामकृष्ण
सरकार आज हर चीज प्राइवेट हाथों में दे रही हैं। रेलवे में भी कई कार्य ठेका के माध्यम से हो रहे हैं। आउटसोर्सिंग से कर्मियों की नियुक्ति हो रही है। ऐसे में जमालपुर रेलवे वर्कशॉप पूरी तरह से सिमट जाएगा।
- रविंद्र यादव
सरकार आज सभी सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौंप रही है। अपने यहां आउटसोर्सिंग से काम ले रही है। ऐसे में हम श्रमिकों की संख्या में भारी कमी आ रही है। श्रमिकों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
- देव मित्र पासवान
सरकार लगातार मजदूर विरोधी काम कर रही है। इसे हम मजदूर बर्दाश्त नहीं करेंगे। रेल प्रशासन जल्द खाली परी पदों को भरे और हमारी मांग के अनुरूप वर्कशॉप का लोड बढ़ाए।
- राहुल कुमार
सरकार उद्योगपतियों को लाभ पहुंचा रही है। केंद्र सरकार विभिन्न सरकारी संस्थाओं, कारखानों एवं उपक्रमों को निजी क्षेत्र में देना चाहती है। रेल विभाग में भी निजीकरण की प्रक्रिया बढ़ती जा रही है। हम इसका विरोध करते हैं।
- कविता कुमारी
भारत सरकार के मजदूर विरोधी नीतियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। कारखाना जैसे चलते आ रहा है वैसे चलने देना चाहिए। श्रमिकों की छंटनी नहीं हो। जमालपुर वर्कशॉप में श्रमिकों की क्षमता को देखते हुए वर्कलोड बढ़ाया जाए।
- धर्मेंद्र कुमार
रेल मंत्रालय रेलवे में छंटनी की प्रक्रिया बंद करे। आउटसोर्स से कार्य कराने की संस्कृति रेलवे में नहीं चलेगी। रेल प्रशासन रेलवे अस्पताल, रेलवे क्वार्टर एवं रेलवे स्कूल को ठीक कराये।
- मो रिजवान आलम
ब्रिटिश हुकूमत ने भी रेल कर्मचारियों को कष्ट नहीं दिया था और कर्मियों की छंटनी नहीं की थी। भविष्य में भारत सरकार नई श्रम कानून लाने जा रही है। इसका बुरा प्रभाव हम पर पड़ने वाला है।
- राजीव कुमार सिंह
सरकार को नया श्रम कानून नहीं लाना चाहिए। रेलवे का निजीकरण नहीं हो। जमालपुर वर्कशॉप में नए पदों का सृजन किया जाए और खाली पदों पर लोगों को बहाल किया जाए।
- गोपाल जी
जमालपुर में रेलवे द्वारा संचालित हाई स्कूल एवं अन्य स्कूल शहर के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण स्कूल रहे हैं। यहां के छात्र-छात्राएं बड़े-बड़े इंजीनियर और रेल अधिकारी बने हैं। लेकिन, रेल प्रशासन ने सभी स्कूलों को बंद कर उसे इंटर कॉलेज में मर्ज कर दिया है।
- चंदन कुमार
रेलवे अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति हो। गंभीर रूप से बीमार पड़ने अथवा अन्य समस्या होने पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण यहां से बीमार रेलवे कर्मी को कोलकाता रेफरल कर दिया जाता है। इसमें सुधार हो और पूर्व की भांति यहां सारी सुविधाएं हों।
- पंकज कुमार
सरकार की नीति के कारण जमालपुर रेल वर्कशॉप में कर्मचारियों की संख्या दिनों-दिन घटती जा रही है। यहां कर्मचारियों की कमी है। हमें अतिरिक्त काम भी करना पड़ता है।
- शिव व्रत गौतम
जमालपुर रेलवे में कार्यरत कर्मियों के लिए स्थापित रेलवे हॉस्पिटल का आधुनिकीकरण हो और विशेषज्ञ चिकित्सक तथा पैथोलॉजिस्ट की नियुक्ति हो। रेलवे द्वारा पूर्व से संचालित सभी स्कूलों को फिर से शुरू किया जाए और उसका आधुनिकीकरण किया जाए।
- नूतन देवी
पहले से जो पुरानी व्यवस्था चल रही थी उसे यथावत रखते हुए आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए। जमालपुर वर्कशॉप में कार्यभार बढ़ाना चाहिए और श्रमिकों के पदों की संख्या भी बढ़ानी चाहिए।
- अश्वनी कुमार सिंह
सरकार आउटसोर्सिंग से काम करने की नीति अपना रही है। यह हम रेल कर्मियों के लिए सही नहीं है। इससे हमारे अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। हम इस नीति का विरोध करते हैं।
- गोपाल जी
बोले प्रतिनिधि
मैं सरकार के निजीकरण की नीति एवं आउटसोर्सिंग से कार्य करने की नीति का विरोध करता हूं। रेल मंत्रालय एवं सरकार जमालपुर वर्कशॉप की पुरानी गरिमा को लौटाए। इसके लिए रेल प्रशासन यहां विभिन्न वर्ग के कर्मियों के पदों की संख्या में वृद्धि करने के साथ-साथ वर्कशॉप का कार्यभार बढ़ाए। रिक्त पड़े पदों एवं बढ़ाए गए पदों पर एक्ट अप्रेंटिस तथा बेरोजगार युवाओं को नियुक्त करे। रिक्त पदों पर तत्काल नियुक्ति हो। रेलवे अस्पताल की स्थिति अच्छी नहीं है। वहां सुविधाओं का विकास हो। बंद किए गए रेल स्कूलों का आधुनिकीकरण करते हुए फिर से चालू किया जाए। हमरा पे फिक्सेशन के तरीके में बदलाव हो। गठित कमेटी की अनुशंसा के अनुरूप रेल प्रशासन हमारा पे फिक्स करे।
- अनिल प्रसाद यादव, केंद्रीय संगठन मंत्री सह शाखा सचिव, ईआरएमयू, रेल वर्कशॉप, जमालपुर, मुंगेर
बोले जिम्मेदार
हम लोग कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने पर ज्यादा फोकस करते हैं। रेल कर्मियों को अत्याधुनिक यंत्रों से लैस किया जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में धीरे-धीरे कर्मचारियों की संख्या घटेगी। मॉडर्नाइजेशन को बढ़ावा मिलेगा। इससे प्रति व्यक्ति आय और उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। क्रेन की क्षमता बढ़ाने की जानकारी सीडब्लूएम दे सकेंगे।
-डी दत्ता, सीपीआरओ इंचार्ज, ईस्टर्न रेलवे
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