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बोले भागलपुर: बस स्टैंड में शौचालय और पेयजल की सुविधा मिले

शहर में अंतरराज्यीय बस स्टैंड की स्थिति बहुत खराब है। यात्रियों को न शौचालय की सुविधा है और न ही बैठने की। प्राइवेट बसें अलग-अलग राज्यों के लिए यहां से खुलती हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव में...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरWed, 19 Feb 2025 09:12 PM
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बोले भागलपुर: बस स्टैंड में शौचालय और पेयजल की सुविधा मिले

शहर में अंतरराज्यीय बस स्टैंड बनाने की बात हो रही है। इसके पहले दो जगहों पर बस स्टैंड के लिए जमीन चिह्नित हुई लेकिन दोनों फ्लॉप साबित हुई। मौजूदा समय में कोयला डिपो डिक्सन रोड स्थित बस स्टैंड से प्राइवेट बसें अलग-अलग राज्यों के लिए खुलती हैं। यहां दिन भर हजारों यात्री आते-जाते हैं, लेकिन बस स्टैंड की स्थिति यह है कि यहां यात्रियों को न सिर छुपाने की जगह है न शौचालय है। बस ऑनर एसोसिएशन का कहना है कि सबसे दुरुह स्थिति तब होती है जब महिलाओं को शौचालय की जरूरत होती है। यहां आने वाले बस चालक, खलासी, कंडक्टर आदि भी इस समस्या से जूझते हैं। शहर में नए बस स्टैंड की कवायद लंबे समय से हो रही है। दावा होता है कि अंतरराज्यीय स्तर का बस स्टैंड होगा, टर्मिनल बनेगा। लेकिन अब तक धरातल पर कुछ नहीं हुआ। जीरोमाइल और रक्शाडीह में बस स्टैंड बनाने की कवायद हुई तो वहां प्रशासन सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा सका। फिलवक्त डिक्सन रोड के पास रेलवे की जमीन पर बने स्टैंड से बसों का संचालन होता है, लेकिन रेलवे इसे स्टैंड नहीं पार्किंग का दर्जा देकर टेंडर करता है। लिहाजा वहां कोई सुविधाएं नहीं हैं। यात्री बारिश में भीगते हैं तो धूप में आसपास की दुकानों में दुबकते हैं। न शौचालय की सुविधा है न पानी की। बस यहां से बसें खुल रही हैं, इसलिए यात्री यहां आ रहे हैं।

1991 में तत्कालीन डीएम द्वारा बनाए गए इस बस स्टैंड को पूर्व में कई बार स्थान परिवर्तन का प्रयास किया गया, लेकिन यात्रियों के हितों को देखते हुए बस मालिकों, कर्मियों के आग्रह पर इस फैसले पर वीराम लगा दिया गया। हाल यह है कि इस बस स्टैंड से जितनी भी बसें खुलती हैं उसके लिए बांस बल्ले, टाट और पन्नी से बने टिकट काउंटर बनाकर बस मालिकों को अपना व्यवसाय चलाना पड़ रहा है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव यहां काम करने वाले स्टैंड किरानी समेत सभी कर्मियों को अव्यवस्था के बीच अपनी रोजी-रोटी के लिए काम करना पड़ता है।

भागलपुर-बांका बस ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष निर्मल कुमार सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा तीन दशक पूर्व इस बस स्टैंड को जब बनाया गया था तो यहां दो शौचालय, यात्री शेड और पानी की सुविधा मुहैया कराई गई थी। उन्होंने बताया कि यह बस स्टैंड रेलवे की जमीन पर स्थित है। जिसके कारण 15 वर्ष पहले रेलवे ने नगर निगम से इस स्थान को अपने हैंडओवर ले लिया। इसके बाद यहां की स्थिति बद से बदतर होती चली गई। रेलवे ने यहां बना शौचालय, वाटर टावर और बाउंड्री वाल तोड़ दिया। संघ के उपाध्यक्ष सुबोध राय ने बताया कि अलग- अलग दूरी वाले बस से अलग-अलग चार्ज लिया जाता है। प्रति बस औसतन स्टैंड चार्ज के रूप में ढाई से तीन सौ रुपए वसूले जाते हैं। अधिक समय तक रुकने वाली लंबी दूरी की बसों से अधिक पैसा वसूला जाता है।

मुकेश यादव ने बताया कि लोगों को बस स्टैंड पर कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है, जबकि उनलोगों से टैक्स समय पर लिया जाता है। जब रेलवे द्वारा शौचालय तोड़ दिया गया तब से कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है। बस मालिक रितेश कुमार सिन्हा ने बताया कि मानक के अनुसार जो टेंडर हुआ है, उसी के अनुरूप अनुपालन हो। विनय प्रसाद साह ने बताया कि बारिश के दिनों में पूरे बस स्टैण्ड में कीचड़ और जलजमाव की स्थिति हो जाती है, जिससे यहां काम करने वालों के साथ आम यात्रियों को भी काफी असुविधा होती है। जिला मोटर मजदूर संघ के कोषाध्यक्ष पप्पू यादव ने बताया कि साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण बस स्टैण्ड परिसर और आसपास में गंदगी फैली रहती है।

1991 में बने बस स्टैंड में मूलभूत सुविधा नहीं

बस मालिक संघ के अध्यक्ष एनके सिंह ने बताया कि 1991 में जिला प्रशासन द्वारा इस बस स्टैंड का निर्माण किया गया है। उस समय यात्रियों के लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध थीं। जब से इसका संचालन रेलवे के अधीन हुआ है तब से सुविधाओं की घोर कमी हो गई है। जब यह बस स्टैंड जिला प्रशासन के अधीन था, तब यहां यात्रियों के लिए शौचालय, पीने के पानी की व्यवस्था और यात्री शेड की सुविधा उपलब्ध थी। अब सारी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे खत्म हो गईं। उन्होंने बताया कि शौचालय को तोड़ दिया गया और अब यहां यात्रियों को शौच के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यात्री शेड की व्यवस्था भी जर्जर हो गई है। बारिश और ठंड के दिनों में यात्रियों को सबसे अधिक परेशानी होती है। बस स्टैंड में साफ-सफाई और मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।

महिला और बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी

बस मालिक संघ के उपाध्यक्ष सुबोध राय ने बताया कि प्राइवेट बस स्टैंड में यात्रियों के लिए शौचालय, पेयजल और अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव लंबे समय से बना हुआ है, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। शौचालय की सुविधा नहीं होने से खासतौर पर महिलाओं और बच्चों को भारी परेशानी होती है। यात्रियों को पीने के पानी के लिए निजी दुकानों से महंगे दामों पर पानी खरीदना पड़ता है, जिससे पानी के लिए भी यात्रियों को अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है। बस स्टैंड पर प्रतिदिन काम करने वाले मजदूरों को भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में कठिनाई होती है। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए बस स्टैंड में कभी सभी सुविधाएं उपलब्ध थीं, लेकिन अब यह पूरी तरह बदहाल हो चुका है।

साफ-सफाई भी नहीं कचरे के ढेर से बदबू

जिला मोटर मजदूर संघ के अध्यक्ष हरिप्रकाश उपाध्याय ने बताया कि बस स्टैंड तक पहुंचने वाली सड़कों की स्थिति बेहद खराब है। गड्ढों और जलजमाव की समस्या के कारण बस चालकों और यात्रियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। खासकर बरसात के दिनों में स्थिति और गंभीर हो जाती है। बरसात के दौरान सड़कों पर पानी भर जाता है, जिससे यात्रियों और बस चालकों को दिक्कत होती है। उन्होंने बताया कि बस स्टैंड में साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। कचरे के ढेर और बदबू से यात्रियों को परेशानी होती है। क्षेत्र में सफाई का जिम्मा यहां के लोगों को खुद अपने स्तर पर उठाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था ठीक है, लेकिन रात्रि गश्ती की कमी महसूस होती है। रात के समय स्टैंड में लाइट की उचित व्यवस्था नहीं है, जिससे यात्री असुरक्षित महसूस करते हैं।

सुविधा शुल्क लेने के बाद भी व्यवस्था नहीं

बस मालिक रितेश कुमार सिन्हा ने बताया कि यह बस स्टैंड बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ता है। यहां से प्रतिदिन आठ दर्जन से अधिक बसों का परिचालन होता है। बावजूद यात्रियों और बस संचालकों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। बस स्टैंड में हर बस से स्टैंड मेंटेनेंस चार्ज के नाम पर 250 रुपये तक वसूले जाते हैं। यदि किसी बस को अधिक समय तक खड़ा करना हो तो यह शुल्क 400 रुपये तक लिया जाता है। उन्होंने बताया कि शौचालय की व्यवस्था खत्म कर दी गई है। जिससे यात्रियों को काफी परेशानी होती है। सफाई व्यवस्था पूरी तरह ठप है। गंदगी और दुर्गंध आम बात हो गई है। बरसात के दिनों में जलजमाव की समस्या गंभीर हो जाती है और यात्रियों को कीचड़ और पानी से होकर गुजरना पड़ता है।

बस मालिक नहीं चाहते यहां से स्टैंड हटे, सुविधा बहाल हो

भागलपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। डिक्सन रोड स्थित निजी बस स्टैण्ड की जर्जर हालत को लेकर बस मालिक संघ के अध्यक्ष एन के सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा डिक्सन रोड बस स्टैण्ड हटाने की बात कही जा रही है। उन सभी की जिला प्रशासन से मांग है कि इस जगह से बस स्टैण्ड नहीं हटाया जाय। उन्होंने बताया कि बस स्टैण्ड हटाने से न सिर्फ बस मालिकों, चालकों और इससे जुड़े कर्मियों को नुकसान होगा बल्कि शहर समेत विभिन्न जगहो से यहां बस पकड़ने आने वालों को भी काफी परेशानी का सामना कमरना पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि प्रशासन के इस निर्णय से अधिकतर बसें बिक जाएंगी, जबकि यहां पर बस स्टैण्ड को व्यवस्थित कर मूलभूत सुविधा मुहैया कराने से बस मालिकों और कर्मियों के साथ यात्रियों को भी काफी सहूलियत होगी। उन्होंने बताया कि ईस्टर्न बिहार बस ऑनर्स एसोसिएशन भागलपुर की ओर से डिक्सन रोड बस स्टैण्ड के कुप्रबंधन, अव्यवस्था, अनुचित पार्किंग वसूली और यात्री सुविधा के अभाव में अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर मालदा रेल मंडल कार्यालय को आवेदन दिया गया है। जिसमें डिक्सन रोड बस स्टैंड का सुचारू संचालन, यात्री सुविधाओं के लिए जिला प्रशासन द्वारा बनाई गई चारदीवारी, यात्री शेड, बोरिंग, चापाकल, शौचालय और बिजली पानी की व्यवस्था कराए जाने की मांग की गयी थी। रेलवे के तत्कालीन डीआरएम ने उन्नत एवं विकसित बस स्टैंड बनाने और सौंदर्यीकरण कराए जाने का आश्वासन दिया था। बस मालिकों ने कहा कि बस स्टैण्ड परिसर से बोरिंग पंप समेत कई समानों की चोरी कर लिए जाने और प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान का बस स्टैंड पर उपहास है।

कोर्ट के आदेश का किया जा रहा है उल्लंघन

बस मालिकों ने बताया कि नागरिक सुविधा एवं यात्री कर्मचारी सुविधा प्रदान किए बिना पार्किंग और टोल वसूला जाना पटना उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है। मोटर मजदूर संघ के अध्यक्ष हरि प्रकाश उपाध्याय ने बताया कि जिला मोटर मजदूर संघ द्वारा डिक्सन रोड बस स्टैण्ड का विकास एवं सौंदर्यीकरण किए जाने और उचित टोल पार्किंग सुनिश्चित करने की मांग की गई है।

सरकार के निर्देश का भी नहीं किया गया पालन

जिला बस ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि पूर्व में दिए गए आवेदन के आलोक में बिहार सरकार नगर विकास एवं आवास विभाग के उप सचिव कार्यालय से भागलपुर डीएम व नगर आयुक्त को एक सप्ताह के अंदर उचित कार्रवाई का निर्देश दिया गया था। मुख्यमंत्री सचिवालय एवं आवेदक को कार्रवाई से संबंधित प्रतिवेदन देकर विभाग को इसकी सूचना देने की बात कही गई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

शिकायत

1. सफाई व्यवस्था नहीं होने के कारण स्टैंड पर गंदगी, कूड़े-कचरे का ढेर लग जाता है।

2. जर्जर यात्री शेड के कारण यात्रियों को बैठने की व्यवस्था नहीं है।

3. बारिश के समय स्टैंड में जलभराव की स्थिति बन जाती है। जिससे कीचड़ हो जाता है। इससे परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

4. एक भी शौचालय नहीं है, सबसे अधिक कठिनाई महिला यात्री को होती है। लोग खुले में शौच के लिए मजबूर हैं।

5. रेलवे द्वारा शुल्क लिया जाता है, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं मिलता है।

सुझाव

1. निगम प्रशासन नियमित साफ-सफाई, डस्टबिन की व्यवस्था और स्वच्छता निरीक्षण के लिए एक टीम की नियुक्ति होनी चाहिए।

2. यात्री शेड का निर्माण और यात्रियों को बैठने के लिए व्यवस्था हो।

3. ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था करने के साथ सौंदर्यीकरण और मेंटेनेंस कार्य होना चाहिए।

4. शौचालय निर्माण होना चाहिए, जिसे यात्रियों को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

5. रेलवे को मूलभूत सुविधाएं देनी चाहिए, जैसे- शुद्ध पेयजल, शौचालय, यात्री शेड आदि।

इनकी भी सुनिए

स्टैंड में यात्रियों के लिए एकमात्र यात्री शेड मौजूद है, लेकिन वह भी जर्जर हालत में है। यात्रियों को बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिलती। बारिश या तेज धूप में उन्हें खुले आसमान के नीचे खड़ा रहना पड़ता है।

-मुकेश यादव

बस स्टैंड में साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण चारों ओर गंदगी का अंबार लगा रहता है। रात में लाइट की कमी के कारण यात्रियों और चालकों को भारी असुविधा होती है।

-विनय प्रसाद साह

मूलभूत सुविधाओं को लेकर प्रशासन को कई बार इसकी जानकारी दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बस स्टैंड का रख-रखाव रेलवे के अधीन है, लेकिन मेंटेनेंस चार्ज वसूलने के बाद भी सुविधा के नाम पर कुछ नहीं किया जा रहा।

-पप्पू यादव

हम मेंटेनेंस चार्ज भरते हैं, लेकिन सफाई के नाम पर बस स्टैंड को कूड़ाघर बना दिया गया है। यात्रियों और बस चालकों को हर दिन गंदगी और बदबू में काम करना पड़ता है। शौचालय और पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है।

-बादल यादव

यात्री गंदगी और बदबू में बैठने को मजबूर होते हैं। हमारा तो रोज का काम है, बरसात के दिनों में जलजमाव और कीचड़ से फिसलने और गिरने की घटनाएं होती रहती हैं। खासकर महिलाओं और बच्चों को विशेष परेशानी होती है।

-शाहीन वसीद

बस स्टैंड में शौचालय की कोई सुविधा नहीं है, जिसके कारण महिला यात्रियों को खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़ता है। रेलवे के अधिग्रहण के बाद शौचालय को तोड़ दिया गया और उसके बाद पुनर्निर्माण नहीं हुआ।

-जुगल किशोर प्रसाद

यात्री शेड में दरारें और छत का प्लास्टर गिर चुका है। बरसात में यात्री भीगने को मजबूर होते हैं। गर्मी में धूप से बचाव का भी कोई साधन नहीं है। बैठने की बेंच भी टूटी और गंदी है, जिन पर यात्रियों को बैठना भी मुश्किल हो जाता है।

-उपेंद्र यादव

बस स्टैंड में सफाई का कोई नियमित प्रबंध नहीं है। कचरे का ढेर कई दिनों तक पड़ा रहता है, जिससे गंदी बदबू आती है। यात्रियों को गंदी बदबू में खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है। बरसात के समय कीचड़ और जलजमाव से हालात और बदतर हो जाते हैं।

-हेमंत यादव

बस स्टैंड का निर्माण जब से हुआ तब शौचालय की व्यवस्था की गई थी। शौचालय को तोड़ दिया गया। महिला यात्रियों को खासकर दिन के समय शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। लोग खुले में शौच के लिए मजबूर हैं।

-शालिग्राम सिंह

बस स्टैंड में जो यात्री शेड बनाया गया था, वह अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है। इसकी छत जगह-जगह से टूट गयी है और बरसात के दिनों में पानी टपकता है। यात्रियों को परेशानियों से गुजरना पड़ता है।

-ललन सिंह

यात्रियों को बस का इंतजार करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। साफ-सफाई न होने के कारण शेड के नीचे बदबू और गंदगी बनी रहती है। खासकर महिलाएं और बुजुर्ग यात्री घंटों तक खड़े रहने को मजबूर होते हैं।

-दिलीप कुमार साह

सफाई के साथ ही बस स्टैंड में लाइट की भी भारी कमी है। रात होते ही स्टैंड में अंधेरा छा जाता है। यात्रियों को रात में असुरक्षित महसूस होता है और अंधेरे के कारण कई बार छोटे-मोटे आपराधिक घटनाए होती हैं। निजी तौर पर लाइट की व्यवस्था करनी पड़ती है।

-पप्पू

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