बड़ी बोतलों में होम्योपैथिक दवा बेचने की इजाजत मिले
भागलपुर में होम्योपैथिक चिकित्सा की पहचान है, लेकिन डॉक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार से अधिक समर्थन और कॉलेजों की स्थापना की मांग की है। होम्योपैथी को लेकर गलत धारणाएं हैं, जिससे मरीज देर से इलाज के लिए आते...
भागलपुर। होम्योपैथिक इलाज के मामले में भागलपुर जिले की भी अपनी पहचान है। यहां होम्योपैथिक के बड़े-बड़े डाक्टर हैं। होम्योपैथिक डॉक्टर्स एसोसिएशन भागलपुर का कहना है कि सरकार को जिस तरह से होम्योपैथिक इलाज को प्रोत्साहित करना चाहिए, उतना नहीं हो रहा है। होम्योपैथ को बढ़ावा देने के लिए अधिक कॉलेज बिहार में खुलना चाहिए। ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार को बड़ी बोतलों में दवा बेचने की भी अनुमति देनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में आयुष चिकत्सिकों से एलोपैथ इलाज कराने को लेकर होम्योपैथिक चिकत्सिकों में नाराजगी है। होम्योपैथिक डॉक्टर्स एसोसिएशन भागलपुर के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार गुप्ता ने बताया कि होम्योपैथी के प्रति लोगों में धारणा बना दी जाती है। यह डॉक्टरों के लिए बड़ी समस्या है। गलत अफवाह फैलायी जाती है कि होम्योपैथी इलाज से देर से मरीज ठीक होते हैं। हकीकत में ऐसी बात नहीं है। होम्योपैथी एक सुरक्षित और सौम्य चिकत्सिीय तरीका है जो कई प्रकार की बीमारियों का प्रभावी उपचार कर सकता है। इसकी आदत नहीं पड़ती है अर्थात रोगी को होम्योपैथिक दवाओं की लत नहीं लगती है। रोगी जब हर जगह से इलाज कराकर थक चुके होते हैं तभी होम्योपैथिक चिकत्सिा के लिए आते हैं जबकि तकलीफ काफी उलझ चुकी होती है। ऐसे में जन जागरूकता की आवश्यकता है कि रोगी प्रारंभिक अवस्था में ही होम्योपैथी चिकत्सिा की तरफ मुखातिब हो। सरकार को इसमें पहल करनी चाहिए। लोगों के बीच होम्योपैथी इलाज के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। होम्योपैथिक डॉक्टर्स एसोसिएशन भागलपुर के डॉ. रवीन्द्र प्रसाद यादव ने बताया कि शराबबंदी के बाद बिहार में दवाइयों की बड़ी बोतलों पर पाबंदी लगा दी गई। पहले उसी बड़ी बोतल से बहुत सारे रोगियों को दवाइयां वितरित की जाती थीं और इसमें लागत मूल्य काफी कम पड़ता था। किसी मरीज को दो बूंद दवा की जरूरत होती थी तो बड़ी बोतल से निकालकर दे दी जाती थी। लेकिन पाबंदी लगने के बाद अब 30 एमएल की शीशियों में ही दवाइयां उपलब्ध की जा रही हैं। दो बूंद के लिए भी 30 एमएल खरीदना पड़ता है। यह व्यवस्था अब लोगों को काफी महंगी पड़ रही है। होम्योपैथिक डॉक्टर्स एसोसिएशन भागलपुर के कोषाध्यक्ष डॉ. एसके पंजिकार ने बताया कि सरकार होम्योपैथी की उपेक्षा कर रही है। सरकारी अस्पतालों में जब आयुष चिकत्सिकों की बहाली हो रही है तो उस विधा की दवा भी उपलब्ध होनी चाहिए। संबंधित सरकारी अस्पतालों में सरकार जरूरत के अनुसार दवा उपलब्ध कराये। गठिया जैसी जोड़ों में दर्द वाली कुछ बीमारियों का इलाज होम्योपैथिक पद्धति से बेहतर माना जाता है। होम्योपैथिक डॉक्टर्स एसोसिएशन भागलपुर के सदस्य डॉ. तुषार कुमार ने बताया कि भागलपुर सहित अन्य जिलों में होम्योपैथी का सरकारी कॉलेज खुलना चाहिए। ताकि छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें। सरकारी कॉलेजों में संसाधन अधिक रहते हैं। कॉलेज में पारा मेडिकल स्टॉफ की भी जरूरत होती है। सरकार होम्यपैथी पद्धति की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को बेहतर संसाधन उपलब्ध कराये।
असाध्य रोग का इलाज संभव है इस पद्धति से
होम्योपैथी डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार गुप्ता ने बताया कि होम्योपैथी चिकत्सिा पद्धति में कई ऐसी असाध्य बीमारियों का भी इलाज संभव है जिसे अन्य चिकत्सिा पद्धति में लाइलाज या काफी खर्चीला भी बताया जाता है। लेकिन उन लोगों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या रोगियों का होम्योपैथी चिकत्सिक के पास काफी देरी से पहुंचना है। अक्सर रोगी सभी जगहों पर इलाज के लिए घूमकर और थक हारकर होम्योपैथी चिकत्सिक के पास पहुंचते हैं, जिससे इलाज काफी जटिल हो जाता है। इसके कारण इलाज में अधिक समय और खर्च भी लगता है, जिसे वहन करने में रोगी या परिजन असमर्थता जताते हैं। उन्होंने बताया कि लाइफ रस्कि एवं किसी भी इमरजेंसी या सर्जिकल केस की स्थिति में तत्काल रोगी के लिए जो भी पद्धति उचित हो उसका लाभ जरूर लेना चाहिए।
दवाओं की उपलब्धता सुनश्चिति करे सरकार
द होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया भागलपुर के मीडिया प्रभारी एवं वरष्ठि चिकत्सिक डॉ. समरेंद्र नाथ भौमिक ने बताया कि सरकार बिहार में शराबबंदी के कारण होम्योपैथी से आरएस को बंद कर दिया गया है, जिसके कारण होम्योपैथी चिकत्सिक मरीजों को सही इलाज के लिए जरूरी दवा उपलब्ध नहीं करा पाते हैं। बिहार सरकार आरएस की बक्रिी दवा के रूप में चालू करे। इसके अलावा सभी ऐसे स्वास्थ्य जांच शिविर में जहां नि:शुल्क चिकत्सिा जांच की व्यवस्था है, वैसे केंद्रों एवं जांच शिविरों में जरूरी दवाओं की आपूर्ति सरकार सुनश्चिति करे। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी या सिविल सर्जन के स्तर से जिले में नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविरों में दवाओं की उपलब्धता के लिए जरूरी फंड मुहैया कराया जाना चाहिए।
खुली दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध से इलाज महंगा
होम्योपैथी डॉक्टर्स एसोसिएशन के डॉ. एस पंजिकार ने बताया कि होम्योपैथी चिकत्सिा में बीमारी के मूल कारण और लक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रोगी का इलाज किया जाता है। बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद होम्योपैथी की खुला दवाओं के रखने और उपयोग करने पर प्रतिबंध है, जिसके कारण दवा की कीमत बढ़ने से डॉक्टरों के साथ मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। एक या दो डोज देने वाले रोगी का इलाज कम पैसे में हो जाता था, लेकिन अब अलग- अलग दवाओं की पूरी सीसी खरीदने में अधिक पैसे खर्च होते हैं। इसके कारण जनसामान्य से होम्योपैथी दूर होता जा रहा है। वहीं इलाज की बात करें तो पूर्व तो साधन और रिसर्च के साथ कोर्स सीमित थे। बिहार सरकार के द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकत्सिक की नियुक्ति की जा रही है, लेकिन मरीजो के इलाज के लिए होम्योपैथी की दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को एलोपैथी की दवा देनी पड़ती है।
भागलपुर में कॉलेज और रिसर्च सेंटर हो
होम्योपैथी डॉक्टर्स एसोसिएशन के डॉ. रेहान दे बताया कि भागलपुर में होम्योपैथी चिकत्सिा की पढ़ाई के लिए अप्रैल 1946 को कृतिनाथ हैनीमैन मेडिकल कॉलेज की स्थापना डॉ. एसएम कपूर ने की थी। जिसे एफलिएशन मिलने के बाद यहां भागलपुर समेत देश के अलग-अलग राज्यों और विदेशों से छात्र पढ़ने आते थे। यहां के छात्रों ने भारत समेत दुनियाभर में अपनी सेवा प्रदान की है, लेकिन अब इस कॉलेज की एफलिएशन समाप्त हो जाने के कारण यह कॉलेज बंद पड़ा है। जो होम्योपैथी और यहां पढ़ाई करने आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए काफी दुखद है। सरकार भागलपुर में नया होम्योपैथी कॉलेज और रिसर्च सेंटर की स्थापना करे, जिससे रोजगार के साथ इस चिकत्सिा पद्धति का लाभ आमलोगों को मिल सके।
वर्जन
जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में होम्योपैथी दवा की उपलब्धता सुनश्चिति की जाएगी। जिससे मरीजों को समय पर सही इलाज और दवा मिल सके। होम्योपैथी की दवा छोटी बोतल में सरकार के निर्देश पर बेचने का आदेश दिया गया है। जो व्यवस्था लागू की गई है, उसमें कोई छेड़छाड़ करना स्थानीय स्तर पर संभव नहीं है। इसमें किसी भी बदलाव के लिए मुख्यालय स्तर पर प्राप्त निर्देश के आधार पर ही कोई बदलाव किया जा सकता है। दवा महंगी होने या संदेह की स्थिति में दुकानों एवं डॉक्टरों के यहां छापेमारी एक सामान्य प्रक्रिया है। जिले में होम्योपैथी कॉलेज खोले जाने की जरूरत है, इससे नए छात्र पढ़ाई कर रोजगार प्राप्त करने के साथ मरीजों को अपनी सेवा दे सकेंगे।
- डॉ. अशोक प्रसाद, सिविल सर्जन, भागलपुर
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